बुलंदशहर: उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के पहासू कस्बे के गांव दीघी में पन्नी की तिरपाल मशहूर है. दीघी के लोग बताते हैं कि हर चीज़ का एक समय होता है और ऐसे ही तिरपाल का समय साल के पांच-छह महीने में भारी रहता है. यहां जिले के साथ-साथ आस-पास के जिलों में भी तिरपाल की सप्लाई होती है.
50 वर्षों से हो रही है तिरपाल की बिक्री
यहां की दुकानों में से करीब 50 दुकानदार केवल तिरपाल की बिक्री करते हैं. दीघी मार्केट में तिरपाल की बिक्री करने वाले आशीष गुप्ता ने बताया कि वह पिछले 50 वर्षों से तिरपाल की बिक्री कर रहे हैं. यहां बुलंदशहर जिले व आस-पास के जिलों से भी लोग तिरपाल खरीदने आते हैं.
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मानसून से पहले तिरपाल की बढ़ती मांग
आपको बता दें कि मानसून आने के तीन महीने पहले से ही माल की खरीददारी शुरू हो जाती है. तिरपाल की बिक्री करने वाले होलसेल व्यापारी मानसून आने के तीन महीने पहले से ही माल खरीद लेते हैं. वहीं रिटेल का काम करने वाले दुकानदार करीब एक महीने पहले माल स्टॉक कर लेते हैं.
तिरपाल की जबरदस्त डिमांड
फिलहाल बाजार में तिरपाल की जबरदस्त डिमांड है, और सभी तिरपाल कारोबारी भी बाजार की मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. लोकल 18 से बात करते हुए आशीष ने बताया कि बाजार में कैनवस, प्लास्टिक, फैब्रिक की तिरपाल और काली पॉलिथिन की खूब बिक्री हो रही है. खरीदार अपनी जरूरत के हिसाब से तिरपाल खरीदते हैं. पिछले दो महीने से क्षेत्र में जमकर बरसात हो रही है, जिससे तिरपाल की अच्छी खासी मांग बढ़ गई है.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 14:30 IST