ऋषिकेश. भारत में नॉर्वे की राजदूत मे-एलिन स्टेनर ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम का दौरा किया. यहां उन्होंने आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती और ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अंतरराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें भारतीय संस्कृति, वैश्विक सहयोग और आध्यात्मिकता से जुड़े विषय शामिल थे. इस मुलाकात के बाद राजदूत ने गंगा आरती में भी भाग लिया. गंगा आरती का अनुभव उनके लिए एक अद्भुत और खास रहा, जो भारतीय संस्कृति की पवित्रता और शांति का प्रतीक है.
राजदूत मे-एलिन स्टेनर ने अपनी इस यात्रा को विशेष बताया और कहा कि यह विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है. उनका मानना है कि भारत और नॉर्वे के बीच इस प्रकार की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्राएं दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाएंगी. इस तरह यह मुलाकात न केवल भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाती है बल्कि वैश्विक समन्वय और सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास भी है. भारतीय संस्कृति में निहित ज्ञान और शांति का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाने का यह एक सुंदर उदाहरण है.
पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति का प्रभाव
वहीं स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस मौके पर भारतीय संस्कृति के महत्व पर बात की. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और इसकी परंपराओं का प्रभाव पूरी दुनिया में देखा जा सकता है. भारतीय संस्कृति की गहराई, विविधता और समृद्धि ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक खास पहचान बनाई है. भारतीय संस्कृति में संस्कारों और परंपराओं को सहेज कर रखा गया है, जो कई पीढ़ियों से चली आ रही है.
भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता का विशेष महत्व
साध्वी भगवती सरस्वती ने भी भारतीय संस्कृति के बारे में अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसकी आध्यात्मिकता है. भारतीय धर्मग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद और गीता में जीवन के रहस्यों और सत्य की खोज की गई है. भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता का विशेष महत्व है, जो व्यक्ति को आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में प्रेरित करता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 11:37 IST