'एससी और एसटी पर लागू नहीं तो कैसा UCC', कोर्ट ने दिया जवाब, हो सकता है...

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Last Updated:February 12, 2025, 17:21 IST

Uttarakhand UCC: एक देश-एक कानून पर आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) हाल ही में लागू कर दिया गया है. यूसीसी (UCC) लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. मगर, यू...और पढ़ें

'एससी और एसटी पर लागू नहीं तो कैसा UCC', कोर्ट ने दिया जवाब, हो सकता है...

उत्तराखंड में यूसीसी को चुनौती.

हाइलाइट्स

  • उत्तराखंड में यूसीसी लागू, विवाद जारी.
  • यूसीसी के प्रावधानों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
  • 12 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.

देहरादून: एक देश-एक कानून पर आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) हाल ही में लागू कर दिया गया है. यूसीसी (UCC) लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. मगर, यूसीसी लागू होने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार के आगे कभी कोई तो कभी कोई परेशानी खड़ी हो रही है. अब यूसीसी के कई प्रावधानों को अदालत में चुनौती दी गई है. अलग-अलग याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ और असंवैधानिक बताया है. वहीं, एसटी व जनजाति पर यूसीसी लागू नहीं होने पर भी सवाल उठाया है. इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी 2025 को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हो सकती है.

6 हफ्ते बाद की तारीख
उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य सरकार के जरिए लागू किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. केंद्र और राज्य सरकार से इस मामले में 6 हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए 6 हफ्ते बाद की तारीख तय की गई है.

अलग-अलग याचिका
आपको बता दें कि भीमताल के रहने वाले सुरेश सिंह नेगी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के अलग-अलग प्रावधानों को जनहित याचिका के तौर पर चुनौती दी है. जिसमें मुख्यतः ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. इसके अलावा मुस्लिम, पारसी आदि के वैवाहिक पद्धति की यूसीसी में अनदेखी किए जाने सहित कुछ अन्य प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है. वहीं देहरादून से भी एक याचिका दाखिल की गई है. यह याचिका अल्मासउद्दीन सिद्दकी नाम के शख्स ने यूसीसी के प्रावधानों को लेकर की गई है. इस याचिका में अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों की अनदेखी किए जाने का जिक्र किया है.

कोर्ट और सरकार का जवाब
बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बैंच ने राज्य और केंद्र सरकार को याचिका पर आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है. कोर्ट ने सरकार को 6 हफ्तों के भीतर अपनी आपत्ति करने के लिए समय दिया है. हांलाकि सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि समान नागरिक संहिता एकदम सही है और इसके प्रावधानों में कोई कमी नहीं है. लिव इन रिलेशनशिप मामले में भी याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई आपत्ति गलत है. इस पर अदालत ने कहा कि हो सकता है महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार ने ये किया हो.

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गौरतलब है, देहरादून के अल्मासउद्दीन सिद्दकी ने याचिका दाखिल कर कहा है कि राज्य सरकार ने सूबे में यूसीसी लागू किया है जो संवैधानिक आर्टिकल 14 व 21 का उल्लंघन करता है. याचिका में कहा गया है कि यूसीसी के तहत मुस्लिम की धार्मिक स्वतंत्रता को खत्म किया गया है वो उनके अधिकारों का हनन करता है. वहीं लिव इन रिलेशनशिप को राइट टू प्राइवेसी के खिलाफ बताया है. याचिका में कहा गया है कि एसटी और जनजाति पर ये लागू नहीं होता तो कैसा समान नागरिक संहिता है.

उत्तराखंड में यूसीसी से बाहर हैं ये लोग
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को हिंदू, मुस्लिम समेत सभी धर्मों पर समान रूप से लागू किया गया है. इसके बाजवूद संविधान के अनुच्छेद-342 में वर्णित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है. यानी कि इन पर यूसीसी के किसी तरह के प्रावधान लागू नहीं होंगे. इसके अलावा ट्रांसजेंडर समुदाय को भी इससे बाहर रखा गया है.

12 फरवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने के बाद ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के प्रावधानों पर विवाद खड़ा हो गया है. अनिवार्य रजिस्ट्रेशन और बिना रजिस्ट्रेशन सजा के प्रावधान को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. यह मामला अब कानूनी लड़ाई का रूप ले चुका है और इस पर 12 फरवरी को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई होने जा रही है. यदि कोर्ट इस कानून में संशोधन की बात कहता है, तो उत्तराखंड सरकार को इसमें बदलाव करना पड़ सकता है.

Location :

Dehradun,Uttarakhand

First Published :

February 12, 2025, 17:21 IST

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