Agency:News18Hindi
Last Updated:February 08, 2025, 06:01 IST
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि 500 मीटर चौड़ा उल्कापिंड 'बेन्नू' 2182 में पृथ्वी से टकरा सकता है, जिससे भूकंप, सुनामी और 2 साल की ठंड हो सकती है. धूल से सूर्य की रोशनी बाधित होगी, जलवायु में बड़े बदलाव होंगे औ...और पढ़ें
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वैज्ञानिकों ने बताया कि उल्कापिंड बेन्नू की टक्कर से क्या होगा. (AP)
हाइलाइट्स
- उल्कापिंड बेन्नू 2182 में पृथ्वी से टकरा सकता है
- टक्कर से भूकंप, सुनामी और 2 साल की ठंड हो सकती है
- बेन्नू की टक्कर से ओजोन परत को नुकसान पहुंचेगा
वॉशिंगटन: पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा खतरा उल्कापिंड है. हजारों की संख्या में उल्कापिंड घूम रहे हैं. लेकिन यह सभी धरती पर तबाही नहीं ला सकते. लेकिन एक उल्कापिंड ऐसा है, जिसने वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा चिंतित किया है. इस उल्कापिंड का नाम बेन्नू है. इसकी चौड़ाई 500 मीटर है. वहीं नासा के पास इसका सैंपल है, जिसमें वैज्ञानिकों को जीवन के प्रमुख घटक मिले हैं. वैज्ञानिक गणना के हिसाब से यह साल 2182 में 2,700 में से 1 बार इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना है. यह संभावना उतनी ही है कि एक सिक्के को 11 बार उछाला जाए और हर बार एक ही परिणाम मिले. यही कारण है कि यह टक्कर बेहद दुर्लभ मानी जाती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब पता लगा लिया है कि अगर यह पृथ्वी से टकराया तो क्या परिणाम होंगे.
शोधकर्ताओं ने पाया है कि इसकी टक्कर से भूकंप और सुनामी पैदा हो जाएगी. इस टक्कर से अंतरिक्ष में लाखों टन धूल पहुंच जाएगी. यह धूल इतनी होगी कि पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी का आना भी मुश्किल होगा. इस वजह से दो साल की ठंड ग्रह पर पड़ेगी. दुनिया ठंडी और शुष्क हो जाएगी. वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज होगी. इसके अलावा वैश्विक वर्षा में 15 फीसदी की कमी आएगी. दक्षिण कोरिया में पुसान नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सुपर कंप्यूटर और अत्याधुनिक जलवायु सिमुलेशन का उपयोग किया. उत्तरी अमेरिका के कुछ इलाकों में वर्षा 30-60 फीसदी के बीच कम हो जाएगी. यानी कि फसलों की पैदावार लगभग असंभव होगी.
डायनासोर की तरह हो जाएगा खात्मा?
इस शोध के प्रमुख लेखक डॉ. लान दाई के मुताबिक दुनिया में इससे एक बड़ा खाद्य संकट पैदा हो सकता है. चिक्सुलब एस्टेरॉयड की टक्कर से पृथ्वी पर डायनासोर का सफाया हो गया था. लेकिन बेन्नू की टक्कर से बड़े पैमाने पर जीवों का खात्मा नहीं होगा. माना जाता है कि बेन्नू के आकार का एस्टेरॉयड हर 100,000-200,000 वर्षों में पृथ्वी से टकराते हैं. इसलिए संभावना है कि हमारे शुरुआती पूर्वज पहले ही इनमें से किसी अंतरिक्ष चट्टान में खत्म होने से बच गए हैं. लेकिन यह तय है कि बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन ट्रिगर होगा.
ओजोन परत को होगा नुकसान
बेन्नू की टक्कर से उसी तरह की तबाही मचेगी जैसा किसी परमाणु हमले के बाद होने की कल्पना की जाती है. डॉ. दाई और स्टडी के अन्य लेखकों का मानना है कि 100 से 400 मिलियन टन धूल लगभग दो वर्षों तक पृथ्वी के ऊपर बनी रहेगी. यूरेशिया और उत्तर अमेरिका में सबसे भयानक ठंड देखी जाएगी. इसके अतिरिक्त शोधकर्ताओं का अनुमान है कि महासागरों के ऊपर वाष्पीकरण के पैटर्न में व्यवधान के कारण दुनिया के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर सूखा होगा. इसके अलावा बेन्नू की टक्कर से निकली धूल ओजोन परत को नुकसान पहुंचाएगी. इससे ओजोन परत 32 फीसदी तक कमजोर होने का खतरा रहेगा.
Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
February 08, 2025, 06:01 IST