Vertical Farming successful Israel: भारत में जमीन की कमी नहीं है, इसीलिए हमारे यहां बड़े-बड़े खेत होते हैं. लेकिन हर देश इतना खुशनसीब नहीं है. दुनियाभर में खेती की जमीन तेजी से घटती जा रही है. यही नहीं, आबादी बढ़ने के साथ दुनियाभर में कृषि उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है. ऐसे में खेती की एक तकनीक ने कुछ सालों में पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. खास तौर से अगर हम इजरायल की बात करें तो वहां जमीन की खासी कमी है. इस समस्या से निजात पाने के लिए वहां लोगों ने वर्टिकल फॉर्मिंग का विचार अपनाया. वर्टिकल फॉर्मिंग को दीवार पर खेती की तकनीक कहा जा सकता है.
वैसे भी खेती करना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. कहीं बारिश नहीं होती है, तो कहीं बहुत ज्यादा बारिश होती है. कहीं जमीनें हैं तो सिंचाई के लिए पानी नहीं है. कहीं उपजाऊ जमीनें नहीं हैं. दुनियाभर में कृषि उत्पादन बढ़ाने की नई-नई तकनीकों पर शोध चलते रहते हैं. ऐसे में इजरायल ने पूरी दुनिया को वर्टिकल फॉर्मिंग से परिचित कराया. यह तकनीक काफी असरदार साबित हुई. इसी वजह से इसे दुनिया भर में अपनाया जा रहा है. इजरायल में तो वर्टिकल फार्मिंग काफी प्रचलित है.
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कैसे काम करती है यह तकनीक
इस तकनीक के सरलतम रूप में दीवार पर ऐसी व्यवस्था की जाती है कि पौधे अलग से छोटे-छोटे गमलों में लगाए जाते हैं. उन्हें व्यवास्थित तरीके से दीवार पर इस तरह से रख दिया जाता है कि वे गिर न सकें. इनकी सिंचाई के लिए खास तरह की ड्रॉप इरिगेशन (Drop Irrigation) की तरह की व्यवस्था होती है. जिससे इन पौधों को नियंत्रित तरीके से पानी दिया जाता है.
अगर आप ध्यान दें तो भारत में भी फ्लाईओवर और पुलों के साथ लगी दीवारों और कई जगहों पर वर्टिकल फॉर्मिंग के तरीकों से ऐसे पौधे लगाए जा रहे हैं जो हवा को दूषित होने से बचा सकें. दिल्ली और बड़े महानगरों में ये काफी दिखाई देता है.
वर्टिकल फॉर्मिंग आधुनिक कृषि के लिए नया क्षेत्र है.
घरों की दीवार पर भी हो सकती है खेती
माना जाता है कि इजरायल के किसानों ने ही वर्टिकल फॉर्मिंग को डेवलप किया और सबसे पहले अपनाया. इजरायल का 60 फीसदी हिस्सा रेगिस्तान है. लिहाजा, इस यहूदी बहुल देश में खेती योग्य जमीन की काफी कमी है. बता दें कि इजरायल की आधी से ज्यादा आबादी शहरों में रहती है. लिहाजा, शहरों में लोगों को खेती की ये तकनीक काफी पसंद आई. इस तकनीक में घर की दीवार पर छोटा सा फॉर्म बनाकर खेती की जाती है. अभी इजरायल में बड़ी संख्या में लोग इस तकनीक की मदद से अपने घरों की दीवारों पर सब्जियां उगा रहे हैं.
लोग अपने घर की दीवार को सजाने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
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सब्जी ही नहीं उगा सकते हैं अनाज भी
एक्सपर्ट का मानना है कि इस तकनीक से दीवारों पर चावल और गेहूं की भी खेती जा सकती है. वर्टिकल फॉर्मिंग शहरी इलाकों में कई तरह के समाधान पेश करती है. इस पद्धति से बड़ी दीवारों पर गेहूं, चावल, जैसे अनाजों के अलावा कई तरह की सब्जियों का भी उत्पादन हो सकता है. वर्टिकल फॉर्मिंग के तहत पौधों को छोटे-छोटे यूनिट्स में लगाया जाता है. अनाज उगाने के लिए यूनिट्स को कुछ समय के लिए दीवार से निकाल लिया जाता है. बाद में फिर उन्हें दीवार में लगा दिया जाता है.
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वर्टिकल फॉर्मिंग के भी तीन तरीके
वर्टिकल फॉर्मिंग में एक-दो नहीं, बल्कि तीन-तीन कृषि तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और एरोपोनिक्स तकनीक शामिल हैं. हालांकि, ज्यादातर किसान सबसे ज्यादा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक अपनाते हैं. बता दें कि इस तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है. पौधों को एक सॉल्यूशन में उगाया जाता है. एरोपोनिक्स में पौधों को हवा में उगाया जाता है. इजरायल के साथ ही अमेरिका, यूरोप और चीन में भी वर्टिकल फॉर्मिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है.
इजरायल में वर्टिकल फॉर्मिंग वाली खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है. (विकी कामंस)
शहरी इलाकों में बहुत फायदेमंद
इस पद्धति को लोग अपने घरों में गार्डनिंग के लिए खास तौर पर पसंद कर रहे हैं. घर की दीवार को छोटा सा फार्म बनाने का विचार लोगों को आकर्षित कर रहा है. कुछ लोग अपने घर की दीवार को सजाने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं, कुछ लोग इससे मनपसंद सब्जी उगा रहे हैं. पर्यावरण के लिहाज से भी इसके बहुत फायदे हैं. दीवार पर पौधे होने से घर के तापमान में वृद्धि नहीं होती और यह आसपास के वातावरण में नमी बनाए रखता है. इससे ध्वनि प्रदूषण का असर भी कम होता है. सबसे अहम है कि यह शहरी इलाकों में काफी हरियाली ला सकता है. इसमें पानी का बहुत किफायती तरीके से उपयोग होता है जो परंपरागत गार्डनिंग से बहुत बेहतर है.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 15:35 IST