कब-कब हुआ टैक्स स्लैब में बदलाव, पहली बार किसने दी मिडिल क्लास को राहत?

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Last Updated:February 01, 2025, 09:12 IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 2025 का बजट पेश करेंगी, जिसमें टैक्स छूट की सीमा बढ़ने की उम्मीद है. 1949 से अब तक कई बार टैक्स स्लैब में बदलाव हुए हैं. 2020-21 में 'न्यू टैक्स रिजीम' पेश किया गया, जिससे टैक्स ...और पढ़ें

कब-कब हुआ टैक्स स्लैब में बदलाव, पहली बार किसने दी मिडिल क्लास को राहत?

टैक्स स्लैब में पहला बदलाव 1949-50 में हुआ था.

हाइलाइट्स

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 2025 का बजट पेश करेंगी.
  • टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये होने की उम्मीद.
  • 1949 में पहली बार टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया था.

नई दिल्ली. आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन के पटल पर साल 2025 का बजट रखेंगी. इस बजट से टैक्सपेयर्स में टैक्स में छूट की बड़ी उम्मीद है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आज टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया जाएगा. ऐसा होता है या नहीं यह तो कुछ देर में सामने आ ही जाएगा लेकिन उससे पहले हम आपको यह बता दें कि आजाद भारत के इतिहास में कितनी बार टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया.

सबसे पहली बार 1949-50 में जॉन मथाई के वित्त मंत्री कार्यकाल में टैक्स स्लैब को घटाया गया था. तब 10,000 रुपये की सालाना आय पर 1 आना टैक्स लगता था. उन्होंने इसमें एक चौथाई कटौती कर दी थी. इसके बाद 10,000 से अधिक की आय वाले दूसरे स्लैब पर टैक्स को 2 आना से घटाकर 1.9 आना कर दिया गया था.

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आगे के बदलाव

1974-75 – वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने इनकम टैक्स की ऊपरी सीमा 97.75% से घटाकर 75% कर दी. 6,000 रुपये सालाना कमाने वालों को छूट मिली. सभी कैटेगरी के लिए सरचार्ज की सीमा घटाकर 10% कर दी गई.

1985-86: वी.पी. सिंह ने टैक्स स्लैब्स की संख्या 8 से घटाकर 4 कर दी. 1 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 50% टैक्स लागू किया. अधिकतम मार्जिनल टैक्स रेट 61.875% से घटाकर 50% कर दिया गया.

1992-93: मनमोहन सिंह ने टैक्स स्लैब को तीन हिस्सों में बांटा. 30-50 हजार पर 20%, 50 हजार-1 लाख पर 30% और 1 लाख से ऊपर 40% टैक्स तय हुआ. वर्तमान टैक्स ढांचे की नींव इसी बजट में रखी गई.

1994-95: पहले स्लैब को 35-60 हजार की आय के लिए 20% पर रखा गया. 60 हजार-1.2 लाख पर 30% और 1.2 लाख से ऊपर 40% टैक्स तय हुआ. टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ, बस स्लैब में सुधार किया गया.

1997-98: पी. चिदंबरम का ‘ड्रीम बजट’ टैक्स दरों में बड़ी कटौती लेकर आया. 40-60 हजार रुपये पर 10%, 60 हजार-1.5 लाख पर 20% और उससे ऊपर 30% टैक्स लागू हुआ. इससे करदाताओं को राहत मिली.

2005-06: 1 लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया गया. 1-1.5 लाख पर 10%, 1.5-2.5 लाख पर 20% और उससे अधिक पर 30% टैक्स रखा गया. यह मिडिल क्लास के लिए बड़ी राहत थी.

2010-11: प्रणब मुखर्जी ने 1.6 लाख तक की आय को टैक्स फ्री किया. 1.6-5 लाख पर 10%, 5-8 लाख पर 20% और 8 लाख से ऊपर 30% टैक्स तय हुआ. यह नया ढांचा अधिक व्यवस्थित था.

2012-13: टैक्स छूट सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई. 2-5 लाख पर 10%, 5-10 लाख पर 20% और 10 लाख से ऊपर 30% टैक्स तय हुआ. इससे मिडिल क्लास को थोड़ी और राहत मिली.

2017-18: अरुण जेटली ने 2.5-5 लाख की आय पर टैक्स 10% से घटाकर 5% किया. 3 लाख तक की आय पर टैक्स लगभग खत्म हो गया. सेक्शन 87A में बदलाव कर 3.5 लाख तक की आय वालों के लिए 2,500 रुपये की छूट दी गई.

2020-21: ‘न्यू टैक्स रिजीम’ पेश किया गया, जिससे टैक्स स्लैब को आसान बनाया गया. कई छूटें खत्म कर 5 लाख तक की आय पर राहत दी गई. यह नया सिस्टम करदाताओं के लिए अधिक सरल और स्पष्ट था.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 01, 2025, 09:12 IST

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