Last Updated:February 02, 2025, 18:03 IST
अगर बात करें दुनिया के पहले शिवलिंग की तो यह अलग-अलग धार्मिक कथाओं के अनुसार इसके स्थान को बताया गया है. आज की खबर में हम यही जानेंगे कि ये पुराने मंदिर कहां पर है...
हाइलाइट्स
- अरुणाचलेश्वर मंदिर को पहला शिवलिंग प्रकट होने का स्थान माना जाता है.
- जागेश्वर धाम को भी दुनिया के पहले शिवलिंग की स्थापना का स्थान माना जाता है.
- जागेश्वर धाम में 250 मंदिर हैं, जिनमें 224 छोटे-बड़े मंदिर हैं.
अगर आप शिवभक्त हैं तो आपको यह जानना जरूरी है कि दुनिया का सबसे पुराना शिवलिंग कहां है और इसकी स्थापना कैसे हुई? शिवलिंग की स्थापना कैसे हुई इसे लेकर कई मान्यताएं हैं. अगर बात करें दुनिया के पहले शिवलिंग की तो यह अलग-अलग धार्मिक कथाओं के अनुसार इसके स्थान को बताया गया है. आज की खबर में हम यही जानेंगे कि ये पुराने मंदिर कहां पर है…
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग को दुनिया का सबसे पुराना माना जाता है. यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित है. यह मंदिर एक गुफा में स्थित है और इसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है, यानी भगवान शिव ने स्वयं इसकी स्थापना की थी. इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है और यहां हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, खासकर महाशिवरात्रि के अवसर पर, गुफा में स्थित यह शिवलिंग चमत्कारी माना जाता है और इसकी उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.
कहा जाता है कि तमिलनाडु के तिरुवन्नामलई में स्थित अरुणाचलेश्वर मंदिर को पहला शिवलिंग प्रकट होने का स्थान माना जाता है, पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ, तब भगवान शिव ने एक अनंत अग्नि स्तंभ (लिंग) के रूप में प्रकट होकर उन्हें शांत कराया फिर ब्रह्मा और विष्णु ने शिवलिंग की पूजा की.
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम को भी दुनिया के पहले शिवलिंग की स्थापना का स्थान माना जाता है. हां लगभग 250 मंदिर हैं, जिनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बड़े 224 मंदिर स्थित हैं. कहा जाता है कि सप्तऋषियों ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर उनकी आराधना की, और यहीं से शिवलिंग की पूजा की परंपरा शुरू हुई.
इसके अलावा मध्य प्रदेश का भी नाम सामने आता है. मध्य प्रदेश के सागर जिले के राहतगढ़ कस्बे में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर को लगभग 900 वर्ष पुराना माना जाता है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक ही जलहरी में 108 शिवलिंग स्थापित हैं. यहां एक लोटा जल चढ़ाने से सभी 108 शिवलिंगों का एक साथ अभिषेक हो जाता है. सावन में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ रहती है, जो भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए यहां आते हैं.
First Published :
February 02, 2025, 18:03 IST