काशी में हुआ विद्वानों का संगम, BAPS का स्वामी भद्रेशदास जी का सम्मान

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Last Updated:February 10, 2025, 21:02 IST

श्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में वेदांत, दर्शन और शास्त्रों के ख्यातिप्राप्त विद्वान महामहोपाध्याय स्वामी भद्रेशदास जी का भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया. स्वामी भद्रेशदास जी, "श्री स्वामीनारायण ...और पढ़ें

काशी में हुआ विद्वानों का संगम, BAPS का स्वामी भद्रेशदास जी का सम्मान

श्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में महामहोपाध्याय स्वामी भद्रेशदास जी व विश्वविद्यालय के प्रोफेसर.

वाराणसी. भारतीय संस्कृति और शास्त्रों की आध्यात्मिक एवं विद्या परंपरा का केंद्र वाराणसी एक ऐतिहासिक आयोजन हुआ. श्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में वेदांत, दर्शन और शास्त्रों के ख्यातिप्राप्त विद्वान महामहोपाध्याय स्वामी भद्रेशदास जी का भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया. स्वामी भद्रेशदास जी, “श्री स्वामीनारायण भाष्य” के माध्यम से श्री अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन की स्थापना कर चुके हैं. यह कार्य परम श्रद्धेय प्रमुख स्वामी जी महाराज के आदेश से पूर्ण हुआ, जो वैदिक और शास्त्रीय परंपरा के संवर्धन का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय बन गया है. समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा ने पारंपरिक विधि से स्वामी भद्रेशदास जी का स्वागत किया.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के तमाम प्रतिष्ठित आचार्य एवं विद्वान उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी (वेदांत विभागाध्यक्ष), प्रो. रमेश प्रसाद (पालि संकायाध्यक्ष), प्रो. दिनेश कुमार गर्ग (साहित्य एवं संस्कृति संकायाध्यक्ष), प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी प्रो. शंभू शुक्ला (दर्शन संकायाध्यक्ष), प्रो. विजय पाण्डेय, प्रो. शैलेश कुमार मिश्रा, श्री नितिन कुमार आर्य, श्री ज्ञानेन्द्र स्वामी जी प्रमुख रूप से शामिल रहे.
इन सभी विद्वानों ने महामहोपाध्याय स्वामी भद्रेशदास जी के शास्त्रीय योगदान की सराहना की. उन्होंने श्री अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन के माध्यम से शास्त्रीय भाष्य-परंपरा को आगे बढ़ाने और वैदिक परंपरा की सेवा करने के लिए उनकी प्रशंसा की.

स्वामी भद्रेशदास जी संस्कृत विद्या के विलक्षण आचार्य हैं

अपने संबोधन में कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा ने कहा कि “भाष्यकार महामहोपाध्याय स्वामी भद्रेशदास जी संस्कृत विद्या के विलक्षण आचार्य हैं, उनका योगदान ‘श्रीमद्भगवद्गीता’, ‘उपनिषद’ और ‘ब्रह्मसूत्र’ के भाष्य-लेखन के माध्यम से शास्त्रीय परंपरा को समृद्ध करता है. उनका शोध भारतीय दार्शनिक दृष्टि को वैश्विक पटल पर प्रस्तुत करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है. श्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, ‘श्री अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन’ को अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर इससे लाभान्वित होगा.

 प्रचार-प्रसार में BAPS का योगदान महत्वपूर्ण 

स्वामी भद्रेशदास जी के भाष्य-लेखन को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने सराहा. भारतीय दर्शन और वेदांत के वैश्विक प्रचार-प्रसार में BAPS का योगदान महत्वपूर्ण है. यह आयोजन न केवल भारतीय शास्त्रीय परंपरा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, बल्कि भारतीय विद्या और संस्कृति के संवर्धन की दिशा में एक सशक्त कदम भी साबित हुआ.

Location :

Varanasi,Uttar Pradesh

First Published :

February 10, 2025, 21:02 IST

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