Last Updated:January 12, 2025, 11:55 IST
Maize Farming: उत्तर दिनाजपुर में धान और गेहूं के बाद मक्का सबसे महत्वपूर्ण फसल है. इसे सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, तो चलिए इसकी खेती के बारे में जानते हैं...
उत्तर दिनाजपुर: मक्का धान और गेहूं के बाद सबसे महत्वपूर्ण फसल के रूप में जानी जाती है. इसे सर्दियों से लेकर शुष्क-गर्म मौसम (dry-hot weather) तक, किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है. मक्का sandy से sandy-loamy और clay जैसी सभी प्रकार की मिट्टी में उगता है. हालांकि, मक्का की खेती के लिए मध्यम से ऊंची भूमि (medium to precocious land) ज्यादा बेहतर होती है क्योंकि पानी भरने से मक्का के पौधों की बढ़ोत्तरी रुक जाती है और उत्पादन कम हो जाता है.
मक्का के उपयोग और उत्पादन
बता दें कि मक्का का उपयोग खाने के साथ-साथ इसके आटे, पॉपकॉर्न और बेबी कॉर्न उत्पादन के लिए किया जाता है. उत्तर दिनाजपुर जिले के नौ ब्लॉकों में बेबी कॉर्न की खेती की जा रही है.
किसानों को मुफ्त बीज और उनकी विशेषताएं
खास बात ये है कि कालीगंज कृषि विभाग की पहल पर किसानों को मक्का की तीन किस्मों के बीज मुफ्त में उपलब्ध कराए गए हैं. इन बीजों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है:
LG (रबी मौसम के लिए):
पौधे की ऊंचाई: 7 फीट.
फसल तैयार होने में समय: 75-80 दिन.
प्रति एकड़ उपज: 16 क्विंटल.
GKMH (रबी और खरीफ दोनों के लिए):
पतली और कठोर पत्तियां.
फसल तैयार होने में समय: 170 दिन.
प्रति एकड़ उपज: 36 क्विंटल.
DMRH (रबी और खरीफ दोनों के लिए):
मजबूत पौधे, गिरने की समस्या कम.
प्रति एकड़ उपज: 32-36 क्विंटल.
खेत की तैयारी और उर्वरक का उपयोग
मक्का की खेती के लिए खेत को चार से पांच बार जुताई और समतल किया जाना चाहिए. प्रति बीघा जमीन में 1-1.5 टन सड़ी हुई जैविक खाद मिलाएं. इसके साथ 300 ग्राम Azospirillum और Phosphobacteria या 600 ग्राम Azophos मिलाना चाहिए.
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बीज की मात्रा और बुवाई
एक बीघा भूमि के लिए 3-3.5 किलोग्राम पोषक और एकसमान बीज की आवश्यकता होती है. इन सरल तरीकों का पालन करके किसान आसानी से मक्का की खेती कर सकते हैं.