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रामपुर के किसानों की पहल पराली से कमाई और पर्यावरण की सुरक्षा
Moradabad News: जिले में खेतों से पराली उठाने के लिए 45-46 बेलर मशीनें मंगवाई गई हैं. ये मशीनें पराली के बड़े-बड़े बंड ...अधिक पढ़ें
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated : November 27, 2024, 15:22 IST
अंजू प्रजापति/रामपुर: रामपुर के किसानों ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए अनोखी पहल शुरू की है. धान की कटाई के बाद निकली पराली को अब गत्ता और एथनॉल बनाने के संयंत्रों तक पहुंचाया जा रहा है. बेलर मशीनों की मदद से पराली के बंडल तैयार कर उत्तराखंड के बाजपुर, गदरपुर और बदायूं के प्लांट्स में भेजा जा रहा है. यह कदम पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के लिए भी लाभदायक साबित हो रहा है.
पराली का उपयोग कैसे हो रहा है?
जिले में खेतों से पराली उठाने के लिए 45-46 बेलर मशीनें मंगवाई गई हैं. ये मशीनें पराली के बड़े-बड़े बंडल तैयार कर संयंत्रों तक पहुंचाती हैं. अब तक 60 हजार मीट्रिक टन पराली भेजी जा चुकी है, जिसका उपयोग गत्ता, एथनॉल और बॉयलर बनाने में किया जा रहा है. साथ ही, कृषि विभाग ने इसके लिए दो डंपिंग ग्राउंड बनाए हैं.
किसानों को कैसे हो रहा फायदा?
एक एकड़ खेत में लगभग 18 क्विंटल पराली निकलती है. बेलर संचालकों को पराली से 50-60 रुपये प्रति क्विंटल का लाभ हो रहा है. किसानों का कहना है कि यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि उनकी आय भी बढ़ा रहा है.
पराली जलाने की घटनाओं में कमी
2020 में पराली जलाने के 155 मामले सामने आए थे, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 37 रह गई है. प्रशासन और किसानों की जागरूकता से यह बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है.
यह पहल प्रदूषण रोकने और पराली के उपयोग का बेहतरीन उदाहरण है. अगर इसे देशभर में लागू किया गया, तो यह पर्यावरण संरक्षण के साथ किसानों के लिए भी एक क्रांतिकारी कदम बन सकता है.
Tags: Hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 15:22 IST