Last Updated:January 12, 2025, 11:47 IST
Maha Kumbh News: न्यूज़ 18 ने ग्राउंड पर पहुंचकर कल्पवासियों से बातचीत कर उनकी दिनचर्या के बारे में जाना. कि कैसे कल्पवासी टेंट में रहकर पूजा-पाठ और तप करते हैं.
प्रयागराजः महाकुंभ में बड़ी संख्या में कल्पवासी माघ के पूरे महीने तंबू में रहते हैं. महीने भर साधना करते हैं और अपनी जरूरत का सामान गाड़ियों में रखकर घर से निकलते हैं. यहां तंबू में पूरे एक महीने रहकर दिन-रात कड़ा तप करते हैं. मान्यता है कि माघ के महीने में कल्पवास करने से मनोकामना पूरी होती है और जीवन में शांति, सुख और समृध्दि आती है. ऐसे में न्यूज़ 18 ने ग्राउंड पर पहुंचकर कल्पवासियों से बातचीत कर उनकी दिनचर्या के बारे में जाना.
13 जनवरी से आयोजित होने वाले महाकुंभ के शुभ अवसर पर कल्पवासी अपने पूरी गृहस्थी को समेटे कल्पवास की कामना से महाकुंभ नगर में पहुंच रहे हैं. यह कल्पवासी पूरे भारत के अलग-अलग कोनों से यहां पहुंच रहे हैं. इस दौरान बड़ी-बड़ी गाड़ियों जैसे ट्रक, ट्रैक्टर, पिकअप में अपनी जरूरत का सामान लादे घर से निकलते हैं. पूरे 45 दिनों तक चलने वाले इस दिव्य भव्य अलौकिक महाकुंभ में मिलने वाली आध्यात्मिक ऊर्जा को अपने शरीर के अंदर रचने बसाने के लिए महाकुंभ नगर में पहुंच रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले कल्पवासी पंडित तीर्थराज मिश्रा बताते हैं कि, वह कल्पवास के दौरान पूरा एक महीने महाकुंभ में रुकने वाले हैं. उन्होंने दिनचर्या के बारे में बताया कि वह सुबह गंगा स्नान कर पूजा पाठ करते हैं. दिन में तकरीबन तीन बार स्नान किया जाता है, यह श्रृध्दानुसार है. कुछ कल्पवासी एक या दो बार ही दिन में स्नान करते हैं. भोजन सिर्फ एक बार ही किया जाता है, वह चाहे दिन में या रात में किया जा सकता है. उनका कहना है कि एक माह इस पावन धरती रहने से ही कल्पवास पूरा हो जाता है.
कल्पवासी ने पं. तीर्थराज कहते हैं कि जिस पंडे के पास रुकते हैं, उन्हें सेतिया दान किया जाता है. यह क्षमता के अनुसार किया जाता है. यहां दिन में पूजा पाठ के अलावा, प्रवचनों में भी हिस्सा लेते हैं, साथ ही साथ हवन भी किया जाता है. कुछ कल्पवासी स्वंय हवन कर लेते हैं, जबकि कुछ कल्पवासी ब्राम्हणों को बुलाकर हवन करा लेते हैं.