केरल का एक ऐसा मंदिर जहां माता के दर्शन पाने के लिए पुरुष बनते हैं महिला

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Last Updated:February 07, 2025, 13:20 IST

Sree Bhagavathi Temple: श्री भगवती मंदिर केरल की संस्कृति और परंपरा का एक अनूठा उदाहरण है जो अपनी खासियतों के कारण दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है.

केरल का एक ऐसा मंदिर जहां माता के दर्शन पाने के लिए पुरुष बनते हैं महिला

श्री भगवती मंदिर केरल

हाइलाइट्स

  • पुरुषों को महिलाओं का वेश धारण करना पड़ता है.
  • चाम्याविलक्कू उत्सव में पुरुष करते हैं सोलह श्रृंगार.
  • मंदिर में किसी भी धर्म या जाति का व्यक्ति आ सकता है.

Sree Bhagavathi Temple: भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर है जहां की अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. कई तो ऐसी मान्यताएं हैं जो आपको हैरत में डाल देंगी. ऐसा ही एक मंदिर केरल के कोल्लम में है जहां जहां पुरुषों को पूजा करने के लिए महिलाओं का वेश धारण करना पड़ता है. इस मंदिर का नाम है श्री भगवती मंदिर और यहां की सबसे खास बात है चाम्याविलक्कू उत्सव.

चाम्याविलक्कू: पुरुषों का सोलह श्रृंगार
मलयालम महीने मीनम में जो मार्च के मध्य से अप्रैल के मध्य तक चलता है इस मंदिर में एक अद्भुत उत्सव मनाया जाता है जिसे चाम्याविलक्कू कहते हैं. इस उत्सव में पुरुष महिलाओं का वेश धारण करते हैं, सोलह श्रृंगार करते हैं, और फिर देवी की पूजा करते हैं.

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पौराणिक कथाएं: नारियल से प्रकट हुई देवी
इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार कुछ लड़कों को जंगल में खेलते समय एक नारियल मिला. जब उन्होंने इसे तोड़ने की कोशिश की तो उसमें से खून बहने लगा. लोगों ने इसे देवी का चमत्कार समझा और वहां मंदिर की स्थापना की.

एक अन्य मान्यता के अनुसार, कुछ चरवाहों ने महिलाओं के कपड़े पहनकर एक पत्थर पर फूल चढ़ाए जिससे दिव्य शक्ति प्रकट हुई. इसके बाद वहां मंदिर का निर्माण किया गया.

महिला रूप में ही क्यों?
मान्यता है कि इस मंदिर में दो देवियां विराजमान हैं जिनकी पूजा का अधिकार केवल महिलाओं को है. इसलिए पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने के लिए महिलाओं का रूप धारण करना पड़ता है. यह भी माना जाता है कि जो पुरुष महिलाओं का वेश धारण करके पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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मंदिर में ही होता है श्रृंगार
पुरुष भक्तों को महिलाओं में बदलने के लिए मंदिर परिसर में ही एक कमरा बनाया गया है. यहां स्त्रियों की वेशभूषा से लेकर नकली बाल और गहने तक सब कुछ उपलब्ध है. कई पुरुष अपनी मनोकामना पूरी होने पर देवी को श्रृंगार का सामान भी भेंट करते हैं.

सबके लिए खुला है मंदिर
इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहां किसी भी धर्म या जाति का व्यक्ति आ सकता है. चाम्याविलक्कू उत्सव में भाग लेने के लिए किन्नर भी दूर-दूर से आते हैं.

First Published :

February 07, 2025, 13:20 IST

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