कैसे मुगलों के लिए खास था संभल, गुलाम वंश ने बसाया, ऐतिहासिक शहर की 10 बातें

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हाइलाइट्स

संभल को 13वीं सदी में गुलाम और खिलजी वंश ने तवज्जो देनी शुरू कीइसके बाद बाबर ने इसे शाही सूबे के तौर पर विकसित किया700 सालों से भी ज्यादा पुराना शहर है ये

उत्तर प्रदेश का संभल ऐतिहासिक शहर है. पहले यहां की शाही मस्जिद को लेकर विवाद छिड़ा. मामला अदालत में गया. उसके बाद यहां हिंसा हो गई, जिसमें अब तक पांच लोगों की जान जा चुकी है. हिंदू पक्ष का दावा है कि जहां विशाल शाही मस्जिद बनी हैं वहां कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था. वैसे जहां तक संभल की बात है तो ये शहर मध्यकालीन शहर है. ये मुगलों के लिए बहुत खास हुआ करता था.

इस शहर की 60 फीसदी आबादी मुस्लिम है तो 40 फीसदी मुस्लिम. मुगल साम्राज्य के दौर में इसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र माना जाता था. जानते हैं इस शहर को लेकर दस खास बातें कि कैसे ये मुगलों के लिए बहुत खास था. इस शहर की नींव 13 सदी में गुलाम वंश के दौरान पड़ चुकी थी.

1. बाबर ने यहां शाही दरबार बनाया
संभल मुस्लिम सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है. बाबर ने इसे अपने शासनकाल में महत्व दिया था. इसे “शाही दरबार” के रूप में विकसित किया.उसके बाद तकरीबन सभी मुगल शासकों ने इस शहर को खास तवज्जो दी. इस शहर में एक ऐतिहासिक क़िला है, जो मुग़ल और सुल्तान शासकों के शासनकाल की गवाही देता है.

बाबर ने इसे अपने शासनकाल में महत्व दिया था. इसे “शाही दरबार” के रूप में विकसित किया. (wiki commons)

2. ये शाही सूबा बना
मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने संभल को एक रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर माना. बाबर के शासनकाल में संभल को एक शाही प्रांत (सूबा) के रूप में विकसित किया गया. हुमायूं के शासनकाल में भी संभल को विशेष महत्व दिया गया. इस क्षेत्र का प्रशासनिक उपयोग और विस्तार मुग़ल साम्राज्य की मजबूती के लिए किया गया.

3. अकबर ने भी खास ध्यान दिया
अकबर ने अपने शासनकाल में संभल को “सूबा संभल” का दर्जा दिया. अकबर के प्रशासनिक ढाँचे में संभल को एक अलग इकाई के रूप में व्यवस्थित किया गया, जो उनकी “सूबेदारी प्रणाली” का हिस्सा था. अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी में संभल का खास उल्लेख मिलता है. मुगलों की सेनाएं यहां रहा करती थीं.

अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी में संभल का खास उल्लेख मिलता है. मुगलों की सेनाएं यहां रहा करती थीं. (wiki commons)

4. ये मुगलों के लिए दिल्ली-आगरा के बीच एक कड़ी था
मुग़लों ने संभल को एक प्रमुख सैन्य और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया. दिल्ली और आगरा जैसे बड़े मुग़ल नगरों के बीच संभल एक कड़ी के रूप में कार्य करता था. मुग़ल शासनकाल में संभल में कई मस्जिदें, किले और भवन बनाए गए. जामा मस्जिद और अन्य संरचनाएं मुग़ल वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण हैं. मुग़ल शासकों ने संभल की कृषि और व्यापार को बढ़ावा दिया. इस क्षेत्र में अफ़गानी और फारसी व्यापारियों का आगमन हुआ, जिससे संस्कृति और अर्थव्यवस्था का समृद्धिकरण हुआ.

5. गुलाम और खिलजी वंश ने यहां तुर्कियों को बसाया
संभल में बड़े पैमाने पर तुर्की मुसलमान रहते हैं. जो मुगलों से भी पहले 13वीं सदी में गुलाम और फिर खिलजी वंश के दौरान यहां आकर बस गए. ये क्षेत्र राजनीतिक, सैन्य, और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, जिसने तुर्की मूल के मुसलमानों को यहां बसने के लिए आकर्षित किया.
ग़ुलाम वंश (तुर्क वंश) और बाद में ख़िलजी वंश के दौरान तुर्की मूल के सैनिक, शासक, और प्रशासक भारत में आए. संभल जैसे रणनीतिक स्थानों पर तुर्की सैनिकों और अधिकारियों को बसाया गया. स्थानीय शासन की मजबूती के लिए तुर्की मुसलमानों को ज़मीनें और अधिकार दिए गए.

संभल की शाही जामा मस्जिद , जिसे लेकर धार्मिक विवाद पैदा हो गया है.

6. तुर्की मूल को यहां प्रशासनिक और सैन्य पद दिए गए
बाद में बाबर और उनके तुर्की समर्थक सैनिकों ने संभल जैसे स्थलों पर अपने प्रभाव को मजबूत किया. तुर्की मूल के कई लोगों को यहाँ प्रशासनिक और सैन्य पद दिए गए. बाबर और उनके उत्तराधिकारी, खासकर अकबर के शासनकाल में तुर्की मुसलमानों को स्थानीय स्तर पर शक्तिशाली समुदाय के रूप में स्थापित किया गया.

7. तुर्की मुसलमानों को बड़ी जागीर मिली
तुर्की मुसलमानों को सेना में उनकी वफादारी के लिए जागीरें दी गईं. जागीरदारी व्यवस्था के तहत इन तुर्की समुदायों ने स्थानीय प्रशासन और भूमि प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली. यह बस्तियां धीरे-धीरे स्थायी हो गईं. इनकी सामाजिक पहचान मजबूत हुई. संभल में की ऐतिहासिक मस्जिदें और कब्रें तुर्की मुसलमानों के प्रभाव को दर्शाती हैं. इनमें तुर्की और मुग़ल वास्तुकला का मिश्रण देखा जा सकता है.

8. संभल की कुल आबादी कितनी
संभल जिले की कुल जनसंख्या लगभग 22 लाख है. शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक है. मुस्लिम आबादी करीब 55-60 फीसदी है तो हिंदू आबादी लगभग 40-45 फीसदी. संभल की साक्षरता दर लगभग 55-60% है, महिलाएं यहां पुरुषों की तुलना में ज्यादा साक्षर हैं.

9. संभल के राजपूत मुसलमानों की उत्पत्ति कैसे
संभल में बड़े पैमाने पर राजपूत मुसलमान भी रहते हैं, जो राजपूत समुदाय के उन सदस्यों का हिस्सा हैं जिन्होंने समय के साथ इस्लाम धर्म को अपनाया और मुस्लिम समाज का हिस्सा बन गए. संभल में मुस्लिम शासन स्थापित होने के बाद, कई राजपूत योद्धा और जमींदारों ने इस्लाम धर्म अपनाया. धर्मांतरण के पीछे मुख्य कारण सामरिक गठजोड़, राजनीतिक संरक्षण, और धार्मिक प्रभाव था.

10. कौन है खानजादा समुदाय
ख़ानज़ादा समुदाय कभी संभल के राजपूत थे, उन्होंने मुस्लिम शासकों के साथ जुड़कर इस्लाम धर्म स्वीकार किया. संभल और आसपास के क्षेत्रों में यह समुदाय महत्वपूर्ण संख्या में है. राजपूत राठौड़ परिवारों ने भी इस्लाम अपनाया और राठौर मुस्लिम बन गए. चौहान वंश के राजपूत चौहान राजपूत कहे गए, ये भी केवल संभव में ही पाए जाते हैं.

Tags: Mughal Emperor, Sambhal, Sambhal News

FIRST PUBLISHED :

November 26, 2024, 15:43 IST

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