कोशिशों के बाद भी थायरॉइड से नहीं मिल रही राहत? इन 5 तेल के यूज से मिलेगी राहत

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Best Oil For Thyroid: आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल से उपजी गंभीर बीमारियों में थायरॉइड भी एक है. यह हमारी गर्दन के सामने एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है, जो शरीर में हार्मोन बनाता है. यह ग्रंथि थ्योरिकसिन नाम का हार्मोन का उत्पादन करती है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है. थायरॉइड हार्मोन तभी तक ठीक है जब तक कि वह कंट्रोल में है. अनकंट्रोल होने पर यह समस्याओं का अंबार लगा देता है. यदि समय रहते इस परेशानी का इलाज न कराया तो जोखिम बढ़ सकता है. थायरॉइड कंट्रोल करने के लिए लोग तमाम चीजों का सेवन करते हैं, लेकिन आपको बता दूं कि, कुछ तेल अधिक कारगर हो सकते हैं. अब सवाल है कि आखिर क्या है थायरॉइड? कंट्रोल करने के लिए क्या करें? कौन से तेल का यूज कर सकते हैं? क्या हैं इस परेशानी के लक्षण? आइए जानते हैं इन सवालों के बारे में-

थायरॉइड क्या और किन बीमारियों का जोखिम

हेल्थलाइन की रिपार्ट के मुताबिक, थायरॉइड हार्मोन हमारे ब्लड में शुगर, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा के लेवल को नियंत्रित करता है. इतना ही नहीं, यही हार्मोन हमारे धड़कन और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है. इसलिए थायरॉइड में गड़बड़ी होने पर शरीर में आयोडीन की कमी, ऑटोइम्यून डिजीज, जेनेटिक डिसऑर्डर और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है.

क्या हैं थायरॉइड बढ़ने के लक्षण

गर्दन में दर्द होना थायराइड का सबसे पहला लक्षण है. इससे न सिर्फ गर्दन में दर्द होता है, बल्कि गले में सूजन भी हो सकती है. थायराइड बढ़ने पर इसका दर्द गर्दन के साथ-साथ जबड़ों और कानों तक पहुंचता है. वहीं, सबस्यूट थायरॉयडिटिस की स्थिति में मरीजों का दर्द धीरे-धीरे जोड़ों और मांसपेशियों तक पहुंचता है. इस स्थिति में उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा घबराहट, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, हाथों में कपकपी, अधिक पसीना आना, धड़कन तेज होना, बालों का पतला होना, याददाश्त कमजोर होना और महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता बनी रहना भी इसके लक्षण हैं.

इन 5 तेल थायरॉइड की समस्या से दिला सकते निजात

– लेमनग्रास में कई तरह के एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. यह तेल प्रो इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को रोकता है. इसके इस्तेमाल से थायरॉइड असंतुलन से जुड़ी एलर्जी या सूजन में मदद मिलती है.

– लैवेंडर में दर्द दूर करने वाले के साथ साथ एंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं. थायरॉइड की वजह से एंग्जायटी की समस्या ट्रिगर होती है और लैवेंडर का तेल एंग्जायटी से लड़ने में मदद करता है. यह तेल डिप्रेशन को भी कम करने में भी कारगर है.

– चंदन के तेल में एंग्जायटी जैसे गुण होते हैं. यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें पैनिक अटैक आता है या फिर थायरॉइड की वजह से स्ट्रेस की समस्या रहती है तो यह आपको रिलीफ पहुंचा सकता है. इसके अलावा चंदन का तेल हाइपोथायरायडिज्म के कारण बालों के झड़ने की समस्या को भी कम करता है.

– पुदीने के तेल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसे पिपरमिंट ऑयल के नाम से भी जानते हैं. थायरॉइड की वजह से मूड स्विंग, पाचन शक्ति की खराबी, खराब मेटाबॉलिज्म में आप इस तेल का उपयोग करें. इसके लिए पुदीना तेल की कुछ बूंदे पानी में डालकर भाप लेने से रिलैक्स मिलेगा.

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– काली मिर्च को एनर्जी बूस्टर को रूप में भी जाना जाता है. हाइपोथायरायडिज्म की वजह से होने वाली थकान को दूर करने में काली मिर्च बेहद फायदेमंद है. इसके साथ ही यह शरीर में सूजन, स्ट्रेस और खराब टॉक्सिन से लड़ने में भी मदद करती है.

Tags: Health benefit, Health tips, Lifestyle

FIRST PUBLISHED :

September 22, 2024, 10:29 IST

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