कौन थी हिडिंबा जिससे भीम ने किया विवाह, क्यों उसके भाई को पटक-पटकर मारा

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भीम और हिडिंबी की शादी से घटोत्कच पैदा हुए.भीम और हिडिंबी की शादी से घटोत्कच पैदा हुए.

Who was Hidimba successful the Mahabharata: हिडिंबा अपने भाई के साथ जंगल में रहा करती थीं. जब उन्होंने पहली बार भीम को देखा तो ...अधिक पढ़ें

    पांडव जब लाक्षागृह से बच निकले तो हिडिंबवन में शरण ली. उस वन में में हिडिंब नामक एक राक्षस अपनी बहन हिडिंबा (Hidimba) के साथ रहता था. दोनों नरभक्षी थे और जंगल में शिकार के इंतजार में बैठे थे. हिडिंब एक ऊंचे पेड़ पर बैठा था. तभी उसकी निगाह पांडवों पर पड़ गई, जो पेड़ के नीचे सो रहे थे. कुंती अपने बेटों के बगल में लेटी थीं. हिडिंब आलस महसूस कर रहा था, इसलिए उसने अपनी बहन हिडिंबा से पांडवों को मारकर लाने को कहा. हिडिंबा ने अपने भाई की बात मान ली और तुरंत पांडवों के पास उनका शिकार करने पहुंच गई. हिडिंबा की निगाह बलशाली भीम पर पड़ी. उनके विशाल शरीर, चौड़े कूल्हों और पहलवान जैसी जांघ को देखकर उनपर तुरंत मोहित हो गई. हालांकि हिडिंबा जानती थी कि उसके रंग-रूप को देखकर भीम उसे पसंद नहीं करेंगे.

    भीम पर मोहित हो गई हिडिंबा
    नमिता गोखले अपनी किताब ‘महाभारत: नई पीढ़ी के लिए’ में लिखती हैं कि हिडिंबा ने अपनी राक्षसी शक्तियों का उपयोग किया और खुद को एक खूबसूरत युवती में बदल लिया. अब उसकी आंखों में मंद मुस्कान थी. उसकी पलकें मोटी हो गई थीं और उसके चेहरे पर एक आकर्षक खुमारी थी. कोई भी पुरुष उसकी तरफ आकर्षित हो सकता था. भीम ने नींद में उसके कदमों की आहट सुनी और जग गए. उनके सामने एक सुंदर महिला खड़ी थी. भीम को भी हिडिंबा से तुरंत उससे प्रेम हो गया. भीम ने हिडिंब से कहा- मुझे तुमसे प्रेम हो गया है… तुम कौन हो और इस अंधेरे जंगल में अकेली क्या कर रही हो? राक्षसी ने जवाब दिया- मैं हिडिंबा हूं. मेरे भाई हिडिंब को इंसान का मांस बहुत पसंद है और वह तुम्हारा शिकार करना चाहते हैं. मुझे तुम्हें और तुम्हारे परिवार को बचाना है.

    Hidimbi - Wikipedia

    भीम और हिडिंब की लड़ाई
    भीम ने कहा- मैं तुम्हारे भाई से कभी भी निपट सकता हूं…चिंता न करो. इसी बीच हिडिंब अपनी बहन की खोज में निकल पड़ा. जब उसने हिडिंबा को भीम से बातें करते देखा तो आग बबूला हो गया और चीखते हुए कहा- ‘मैं तुम दोनों को मार डालूंगा और एक साथ निवाला बनाऊंगा…’ इस पर भीम ने जवाब दिया- इतना शोर मत करो, तुम मेरी मां को जगा दोगे और हिडिंब से भिड़ गए. चीख-पुकार सुनकर कुंती और दूसरे पांडव भी जग गए. कुन्ती ने सुंदर युवती को देखा और तो लगा कि वह इस जंगल की देवी है. कुंती ने हिडिंबा से सवाल किया- ‘क्या तुम इस वन की संरक्षक आत्मा हो? और यह बदसूरत राक्षस कौन है जो मेरे बेटे भीम से लड़ने की हिम्मत कर रहा है?’ हिडिंबा ने कुंती से भीम के प्रति अपने प्रेम के बारे में बताया और कहा कि यह असभ्य राक्षस दुर्भाग्य से मेरा भाई हिडिंब है. पांडवों ने अपने भाई भीम की सहायता करने का प्रयास किया, पर भीम ने उन्हें दूर धकेल दिया. कुछ मिनट में ही वो हिडिंब पर हावी हो गए.

    हिडिंब का वध करने के बाद उसकी बहन से शादी
    भीम ने हिडिंब को घुमाकर जमीन पर पटक दिया. उस पर तब तक कूदते रहे जब तक कि उसकी मौत नहीं हो गई. हिडिंबा आंखों में आंसू लिए सब देख रही थी. हालांकि जब उसने देखा कि भीम जिंदा हैं तो उसने राहत की सांस ली. हिडिंबा ने भीम से कहा- मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूं और तुम्हें अपने पति के रूप में चुना है. भीम ने जवाब दिया- मैं भी तुमसे प्रेम करता हूं लेकिन मेरे भाई और मैं पथिक हैं. इसलिये अपना जीवन तुम्हारे साथ बिताने का वचन नहीं दे सकता. हिडिंबा ने उत्तर दिया, ‘जो भी समय हम एक साथ बिताएंगे, वह मेरे शेष जीवन को सार्थक बन देगा. मुझसे विवाह कर लो. मैं तुम्हारी और तुम्हारी माता और भाइयों की सच्ची और निष्ठावान तरह से सेवा करूंगी और जब तुम्हारे जाने का समय आएगा, तो मैं आंसू नहीं बहाऊंगी. इसके बाद भीम ने माता कुंती की अनुमति से हिडिंबा से विवाह कर लिया.

    Chapter 14 – The Birth of Ghatotkacha | My Mahabharat

    भीम और हिडिंब के बेटे घटोत्कच का जन्म
    भीम और हिडिंबा ने शालिवाहन के पास जंगल में रहने लगे. सात महीने बीतने के बाद ऋषि व्यास उनसे मिलने आए. उन्होंने भीम से कहा- तुम्हारे लिए एक ही स्थान पर बहुत देर तक विश्राम करना बुद्धिमानी नहीं है. जल्द ही हिडिंबा से तुम्हें एक सुन्दर पुत्न होगा. उसे आशीर्वाद देने के बाद तुम्हारे लिए आगे बढ़ने का समय आ जाएगा. कुछ समय बाद हिडिंबा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम पांडवों ने ‘घटोत्कच’ रखा. वह अपने पिता के प्रिय तो थे ही, लेकिन युधिष्ठिर के उससे भी पसंदीदा थे.

    हिडिंबा ने आखिर तक निभाया अपना वादा
    जब पांडव शालिवाहन छोड़कर जाने लगे तो उनकी आंखों में आंसू थे. लेकिन हिडिंबा ने अपना वचन निभाया और एक भी आंसू नहीं गिराए. भीम ने जाते हुए अपने बेटे से कहा- ‘जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो, बस मेरे बारे में सोचना और मैं तुम्हारी मदद को आ जाऊंगा..’

    Tags: Mahabharat, Religion

    FIRST PUBLISHED :

    September 22, 2024, 16:43 IST

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