क्या भाकपा-माले सही प्रत्याशी पर नहीं लगा पाई दांव? यहां समझे हार जीत की वजह

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5 पॉइंट में समझिए विशाल प्रशांत कैसे माले के गढ़ को कोस ढाहे5 पॉइंट में समझिए विशाल प्रशांत कैसे माले के गढ़ को कोस ढाहे

भोजपुर : बिहार के तरारी के उपचुनाव का परिणाम आ चुका है. एनडीए के प्रत्याशी विशाल प्रशांत की जीत हुई है. उनके प्रतिद्वंदी माले प्रत्याशी राजू यादव की हार हुई है. राजू यादव ने मीडिया कर्मियों के सामने हार को स्वीकार किया और कहा कि मोदी कैबिनेट की पूरी टीम लगाकर हमको हरवाई है. तरारी में धनबल और बाहुबल की जीत हुई है. गरीबों की हार हुई है. वहीं एनडीए की तरफ से पहली बार चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक सुनील पांडेय के पुत्र विशाल प्रशांत ने जीत हासिल की है. लोकल 18 की टीम तरारी के इस चुनाव के हार और जीत के समीकरण को समझने का प्रयास कर रही है. हम पांच पॉइंट बता रहे हैं विशाल प्रशांत की जीत क्यों और कैसे हुई है.

आरा के अनुभवी पत्रकारों ने बताया क्यों हुई है जीत. तरारी के लगातार चुनाव कवरेज कर रहे पत्रकारों ने लोकल 18 को पांच पॉइंट में बताया कि विशाल प्रशांत की जीत क्यों हुई है.

पत्रकार सोनू सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद यहां की जनता बदले की मूड़ में थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद वोटरों के दिमाग मे था कि गलती को सुधारना है. वही सुधार के प्रयास के वजह से तरारी उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई है. तरारी में पूर्व में किये गए पिता सुनील पांडेय के किये गए कार्यों के वजह से भी विशाल प्रशांत की जीत हुई है.

पत्रकार आशुतोष पांडेय ने दूसरा पॉइंट बताया कि तरारी में पिछले 10 साल से माले के विधायक थे. उनके द्वारा कोई कार्य नही किया गया, जिसके वजह से विशाल प्रशांत को वहां की जनता मौका दी है. वैश्य प्रत्याशी नही होने की वजह से वैश्य माले को वोट नहीं दिए. तरारी में वैश्य समाज हर बार जीत हार में अहम भूमिका निभाते रहें है इस बार वैश्य पूरी तरह से बीजेपी के साथ था.

युवा पत्रकार शुभम तीसरे पॉइंट में बताते हैं कि तरारी से माले के उम्मीदवार की वजह से उन्हें वहां के वोटर वोट नही मिला. माले प्रत्याशी का चुनाव सही से नहीं कर पाई. राजू यादव वहां के लोकल नहीं है, पार्टी में भी सक्रिय नही है. चुनावी घोषणा के बाद तरारी में सिर्फ राजू यादव उतरे उसके पहले वहां कोई नही जानता था. चुनाव के समय ही क्षेत्र में गए जिसके वजह से लोग पहचान नही पाए, जिसका परिणाम रहा हर जाति हर वर्ग ने विशाल प्रशांत को वोट देकर विधायक बनाया.

पत्रकार शैयद मिराज चौथे पॉइंट में बता रहे हैं कि विशाल प्रशांत युवा प्रत्याशी हैं, जिसकी वजह से लोग विश्वास किए साथ ही 10 साल से माले के विधायक वहां काम नहीं किए. माले के तरफ से गलत प्रत्याशी का भी चयन किया गया. अब आप काम नही करेंगे तो कोई वोट नही देगा. वही हाल यहां भी हुआ माले विधायक सुदामा द्वारा काम नही किये उसका खमियाजा राजू यादव को भुगतना पड़ा.

लोकल पत्रकार अमरेंद्र कुमार पांचवे और आखिरी पॉइंट में बताये की एंटी कमबेन्शी हावी रही. लोगों का कहना था तरारी में विकास नहीं हुआ इसलिए एक तरफा वोट विशाल प्रशांत को मिला. वहां की जनता बदलाव चाहती थी, जिस तरीके की छवि बाहुबली सुनील पांडेय की थी उसके बाद भी विकास का कार्य बहुत किये जिसका फायदा बेटा विशाल प्रशांत को मिला. सुनील पांडेय पिछले 2015 के चुनाव मे 292 वोट से हारे थे. फिर निर्दलीय लड़ते हुए 2020 में 63 हजार लाये, जिसके वजह से बीजेपी उनपर विश्वास की और टिकट दी. बीजेपी से आना सुनील पांडेय और विशाल प्रशांत को बहुत फायदा हुआ.

Tags: Bhojpur news, Bihar News, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 24, 2024, 10:35 IST

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