Intercontinental Ballistic Missile: रूस और यूक्रेन के बीच लगभग ढाई साल से जारी युद्ध अब भीषण रुख अख्तियार कर चुका है. यूक्रेन ने अमेरिकी मिसाइल का इस्तेमाल कर रूस में भयंकर तबाही मचाई थी. लेकिन जवाब में रूस ने भी ऐसा कदम उठाया कि पूरी दुनिया सकते में आ गई है. इस जंग में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ पहली बार इंटर कांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) से हमला किया. इंटर कांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल को काफी खतरनाक माना जाता है. लंबी दूरी तक मार करने वाली ये मिसाइल न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में भी सक्षम है.
इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल करीब 5 हजार किमी दूर स्थित टारगेट को भेदने में सक्षम है. इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल या आईसीबीएम सतह-से सतह पर मार करने वाला हथियार है. इसकी खासियत यहा है कि ये लंबी दूरी तक मार कर सकती है. एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक इनके द्वारा हमला किया जा सकता है. इसीलिए इनका नाम इंटर कांटिनेंटल मिसाइल रखा गया है. इस मिसाइल की रेंज पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा होती है. इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है.
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रूस ने दागी आरएस-26 रुबेज
आईसीबीएम को मोबाइल लॉन्च व्हीकल से दागा जाता है. ठोस ईंधन वाली आईसीबीएम को अधिक खतरनाक माना जाता है, जबकि तरल ईंधन वाली आईसीबीएम मिसाइल को कम समय में दागा जा सकता है. रूस ने यूक्रेन के नीपर शहर पर जिस आईसीबीएम को दागा, वह आरएस-26 रुबेज है. ठोस ईंधन वाली आरएस-26 की मारक क्षमता 5800 किलोमीटर तक है. हालांकि, कुछ आईसीबीएम की मारक क्षमता नौ हजार किलोमीटर से भी अधिक होती है. आरएस-26 का पहली बार 2012 में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था. अनुमान है कि यह 12 मीटर (40 फीट) लंबी और 36 टन वजनी है. ये मिसाइल 800 किलोग्राम का परमाणु वारहेड ले जा सकती है.
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किन देशों के पास है आईसीबीएम
दुनिया में भारत सहित केवल आठ देशों के पास इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल और उत्तर कोरिया के पास आईसीबीएम है. स्पीड के मामले में आईसीबीएम अन्य किसी भी मिसाइल से काफी आगे है. आईसीबीएम की गति लगभग 15 मैक (15000 मीटर प्रतिघंटे) के करीब होती होती है. जबकि हाइपर सोनिक मिसाइल की स्पीड भी लगभग 5-10 मैक ((3800 मीटर प्रति घंटा) होती है. एक मैक की स्पीड कितनी होती है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोई लड़ाकू जेट एक-दो मैक की गति से ही उड़ान भरते हैं.
भारत के पास है अग्नि-6
भारत की अग्नि-6 एक अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विकसित कर रहा है. अग्नि-6, अग्नि मिसाइल कार्यक्रम का सबसे उन्नत संस्करण है. इसे पनडुब्बियों के साथ-साथ जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है. इसकी मारक क्षमता वारहेड्स के साथ 8,000-10,000 किलोमीटर है.
भारत की अग्नि-6 एक आईसीबीएम है.
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अग्नि-6 से जुड़े कुछ तथ्य
अग्नि मिसाइल कार्यक्रम की नींव 1983 में रखी गई थी. अग्नि मिसाइल कार्यक्रम को देश के प्रसिद्ध एयरोस्पेस साइंटिस्ट डॉ. राम नारायण अग्रवाल ने चलाया था. अग्नि मिसाइल कार्यक्रम के तहत अब तक पांच पीढ़ियां विकसित हो चुकी हैं. अग्नि-6 मिसाइल को लंबी दूरी तक मार करने और परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम माना जाता है.
आईसीबीएम के बारे में ये भी जानिए
आईसीबीएम को पहली बार अमेरिका ने साल 1959 में तैनात किया था. इसकी रेंज 6,000 से 9,300 मील के बीच होती है. अमेरिका के पास मिनटमैन-3 नाम की आईसीबीएम भी है. यह 28,300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टारगेट को हिट करती है. अमेरिका के पास यूजीएम-133 ट्राईडेंट-2 नाम की आईसीबीएम भी है. यह पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलेस्टिक मिसाइल है. चीन के पास डीएफ-41 नाम की आईसीबीएम है. इसकी अधिकतम स्पीड 30,625 किलोमीटर प्रति घंटा है.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 13:02 IST