पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान सरकार इमरान खान के समर्थन वाली सूबे की सरकार को हटाने की तैयारी कर रही है. कहा जा रहा है कि हमला तो बहाना है इमरान असली निशाना है. इसके साथ ही पाकिस्तान सरकार का मकसद 24 नवंबर को इस्लामाबाद चलो रैली को विफल करना भी है.
खैबर पख्तूनख्वा में गत दिवस हुए आतंकवादी हमले में 50 से ज्यादा लोग मारे गए और 20 लोग घायल हुए. आतंकवादी संगठनों ने यह हमला इसलिए किया क्योंकि बसों का काफिला सुरक्षा बलों की देखरेख में चल रहा था. आतंकवादियों ने बसों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत 50 लोग मारे गए. दिलचस्प है कि पाकिस्तानी सेना द्वारा ही यह खबर उड़ाई गई थी कि इन बसों में सुरक्षाकर्मी और उनके परिजन यात्रा कर रहे हैं. इसके पहले आतंकवादियों ने कभी भी पख्तून या पश्तून लोगों पर हमला नहीं किया था.
निशाने पर इमरान खान
इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने नहीं ली है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार द्वारा इस हमले के बाद खैबर पख्तूनख्वा की सरकार को हटाने की तैयारी की जा रही है क्योंकि यह सरकार इमरान खान के समर्थन वाली सरकार है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अब यहां गवर्नर रूल लगाना चाहते हैं. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि स्थानीय सरकार सुरक्षा मुहैया कराने में असफल रही है. जबकि सच्चाई यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थन वाली सरकार के जरिए ही पाकिस्तान में इमरान खान के कहने पर धरना प्रदर्शन के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आगामी 24 नवंबर को इस्लामाबाद चलो की रैली बुलाई है. इसके लिए कहा गया है कि इस्लामाबाद के सभी रास्तों के जरिए राजधानी का घेराव किया जाए. इसके लिए सबसे ज्यादा भीड़ खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान से ही आती है. इस हमले के बाद अब खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में फौज और सुरक्षा बलों की तादाद इतनी बढ़ा दी जाती है कि वहां से लोगों को निकलने ही ना दिया जाए. यानी यह हमला भी पाकिस्तान सरकार के लिए वरदान ही साबित होने जा रहा है जिसके जरिए वह एक बार फिर इमरान खान को निशाना बनाने की तैयारी कर रही है.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 14:56 IST