गर्दन में सूजन और बेचैनी? अगर जल्द इलाज न हुआ, तो ये रोग मवेशी की ले सकता जान

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Agency:Local18

Last Updated:February 03, 2025, 14:10 IST

Disease successful Cattle: गाय और भैंस में गलसूंढ़ का रोग होता है. इस रोग के कारण पशु को सांस लेने में दिक्कत होती है. कई मामलों में पशु की मौत भी हो सकती है.

गर्दन में सूजन और बेचैनी? अगर जल्द इलाज न हुआ, तो ये रोग मवेशी की ले सकता जान

हाइलाइट्स

  • मवेशियों में गलसूंढ़ रोग से सांस लेने में दिक्कत होती है.
  • गलसूंढ़ रोग में मवेशियों की गर्दन में सूजन आ जाती है.
  • गलसूंढ़ रोग का समय पर इलाज न होने पर मवेशी की मौत हो सकती है.

भावनगर: गुजरात में पशुपालक पशुपालन बिजनेस कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. वे अच्छी नस्ल के पशु रखते हैं. पशुपालक दूध उत्पादन से सालाना लाखों रुपये की कमाई करते हैं, लेकिन कई बार पशु रोग का शिकार हो जाते हैं. रोग के कारण कई मामलों में पशुओं की मौत हो जाती है, जिससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान होता है. पशुओं में बैक्टीरिया से गलसूंढ़ या घेंघा रोग होता है. इस रोग में पशु खाना-पीना छोड़ देते हैं. गर्दन और जबड़े के नीचे सूजन आ जाती है. सांस लेने में दिक्कत होती है. इस रोग का निदान करना जरूरी है.

महुवा पशु अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. बलदानीया ने बताया, “पशुओं में बैक्टीरिया से होने वाले रोगों में मुख्य रूप से गलसूंढ़ रोग (goitre disease) है. यह रोग मुख्य रूप से गाय और भैंस वर्ग के पशुओं में देखा जाता है. खासकर डेढ़ से दो साल की उम्र के बछड़े या बछड़ियों में यह रोग अधिक होता है. यह रोग खासकर पानी वाले क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है.”

पशुओं का तापमान 105 या 106 डिग्री तक हो जाता
डॉक्टर ने आगे बताया, “इस रोग के कारण पशुओं का तापमान 105 या 106 डिग्री तक हो जाता है. पशु बेचैनी महसूस करते हैं. इसके साथ ही पशु की गर्दन के नीचे सूजन आ जाती है. पशु के मुंह से बार-बार लार गिरती है. इस रोग में 24 घंटे के भीतर अगर पशुओं का सही समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो पशु की मौत भी हो सकती है. खासकर इस रोग के कारण पशु की गर्दन में सूजन आ जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है. सांस रुकने के कारण ऐसे पशुओं की कई मामलों में मौत भी हो जाती है.”

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बता दें कि पशुपालकों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जिसमें इस रोग के लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक अधिकारी से संपर्क कर उचित इलाज कराना फायदेमंद है. इस रोग के नियंत्रण के लिए टीकाकरण भी कराया जाता है. इसका टीकाकरण मानसून से पहले होता है, इसलिए इसका टीकाकरण कराना बहुत ही फायदेमंद है. अगर टीकाकरण नहीं कराया गया हो तो तुरंत इलाज कराना चाहिए ताकि समय पर रोग का नियंत्रण किया जा सके.

First Published :

February 03, 2025, 14:10 IST

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