Last Updated:February 03, 2025, 16:05 IST
भारत में इनकम टैक्स को सरल बनाने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा दी है. सैलरी पाने वाले और पेंशनभोगियों को 75,000 रुपये की छूट मिलती है. मतलब कुल टैक्सेबल आय में से 75,000 रुपये की छूट मिल जाती है. लेकिन क्य...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- सैलरी और पेंशनभोगियों को ₹75,000 की छूट मिलती है.
- स्वरोजगार और बिजनेस करने वाले इस छूट का लाभ नहीं उठा सकते.
- स्टैंडर्ड डिडक्शन टैक्स फाइलिंग को सरल बनाता है.
Standard Deduction : भारत में इनकम टैक्स भरना काफी जटिल और मुश्किल रहा है, खासकर ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत. लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे आसान बनाने की दिशा में कई सुधार करने की कोशिश की है. सबसे खास इंतजाम न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) है. इससे पहले सरकार ने ओल्ड और न्यू दोनों तरह के रिजीम के लिए एक खास तरह की छूट दी थी, जिसे स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) कहा जाता है. यह एक ऐसी सुविधा है जो आपकी आय में से एक निश्चित राशि को काटकर आपकी टैक्स योग्य इनकम को कम करती है. फिलहाल न्यू टैक्स रिजीम में 75,000 रुपये है, जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम में यह 50,000 रुपये है. लेकिन यह सुविधा हर टैक्सपेयर के लिए नहीं है. किसके लिए है और किसके लिए नहीं? चलिए जानते हैं.
सबसे पहले यह बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन है क्या. पहले के समय में सैलरी पाने वाले लोग ट्रांसपोर्ट अलाउंस (परिवहन भत्ता) और मेडिकल रीइम्बर्समेंट जैसे छोटी-छोटी छूट का लाभ उठाते थे. उन्हें सबका हिसाब-किताब देना पड़ता था. यह राशि 50,000 रुपये से कम ही रहती थी. छोटा-छोटा हिसाब रखना कर्मचारियों के लिए भी मुश्किल था, कंपनी के लिए भी और सरकार के लिए भी. ऐसे में सरकार ने उन सभी को हटाकर एक ही स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा शुरू कर दी है. इसके तहत एक राशि तय कर दी गई, जो टैक्सेबल इनकम से घटा दी जाती है.
इसका मतलब यह है कि अगर आपकी सालाना आय रुपये 13 लाख रुपये है और स्टैंडर्ड डिडक्शन रुपये 75,000 है, तो आपकी कर योग्य आय रुपये 12.25 लाख हो जाएगी. बजट 2025-26 में निर्मला सीतारमण ने 12.75 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया है. यह सुविधा न्यू टैक्स रिजीम के तहत है, न कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में. इस बार बजट में नए टैक्स स्लैब भी बदल गए हैं. अब कुल 6 टैक्स स्लैब हो गए हैं-
इनकम टैक्स स्लैब | टैक्स की दर |
₹ 4,00,000 तक | NIL |
₹ 4,00,001 – ₹ 8,00,000 | 5% |
₹ 8,00,001 – ₹ 12,00,000 | 10% |
₹ 12,00,001 – ₹ 16,00,000 | 15% |
₹ 16,00,001 – ₹ 20,00,000 | 20% |
₹ 20,00,001 – ₹ 24,00,000 | 25% |
₹ 24,00,000 से अधिक | 30% |
कौन इस सुविधा का लाभ उठा सकता है?
यह सुविधा मुख्य रूप से सैलरी पाने वाले लोगों और पेंशनभोगियों के लिए है. अगर आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं और आपको सैलरी मिलती है, तो आप इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. इसके अलावा, अगर आप पेंशन पाते हैं, चाहे वह सरकारी पेंशन हो या प्राइवेट कंपनी की पेंशन, तो आप भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से अधिक उम्र के) और अति वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष से अधिक उम्र के) को भी इस सुविधा का लाभ मिलता है.
कौन इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकता?
हालांकि यह सुविधा काफी लोगों के लिए फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसका लाभ नहीं उठा सकते. अगर आप स्वरोजगार करते हैं या अपना खुद का बिजनेस चलाते हैं, तो आप इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते. इसके अलावा, अगर आपकी आय सिर्फ ब्याज, किराया, या कैपिटल गेन (पूंजीगत लाभ) से होती है, तो भी आप इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते. कंपनियां, फर्म, और अन्य संस्थाएं भी इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकतीं.
यह सुविधा क्यों देती है सरकार?
सरकार कई कारणों से यह स्टैंडर्ड डिडक्शन देती है. पहला, यह टैक्स फाइलिंग को सरल बनाता है. पहले के समय में लोगों को छोटी-छोटी छूट का लाभ उठाने के लिए कई दस्तावेज जमा करने पड़ते थे, लेकिन अब स्टैंडर्ड डिडक्शन ने इसे आसान बना दिया है. दूसरा, यह लोगों के टैक्स बोझ को कम करता है. जब आपकी टैक्सेबल इनकम कम होती है, तो आपका टैक्स भी कम हो जाता है. तीसरा, यह सुविधा सैलरी पाने वाले लोगों और पेंशनभोगियों को राहत देती है, क्योंकि उनके पास आय अर्जित करने के लिए होने वाले खर्चों को दिखाने के लिए सीमित विकल्प होते हैं.
Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
February 03, 2025, 16:02 IST