Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:February 07, 2025, 09:00 IST
Agriculture tips: चने की फसल के लिए ये एक बेहद खतरनाक रोग है, जो अधिक पानी देने से फैलता है. इस बीमारी से पौधे पीले होकर सूखने लगते हैं. इसे समय रहते नियंत्रित करने के लिए उपचार के साथ सावधानी बरतें.
चना की फसल
हाइलाइट्स
- चना फसल में ड्राई रूट रॉट बीमारी से बचें।
- अधिक पानी देने से चना फसल में सड़न हो सकती है।
- बीमारी नियंत्रण के लिए मेटालेक्जिल और मैनकोज़ेब का छिड़काव करें।
खरगोन. निमाड़ में सर्दी का मौसम पूरी तरह खत्म हुआ नहीं है और गर्मी ने अभी से अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. ऐसे में उन किसानों की चिंता और बढ़ गई, जिन्होंने देरी से बुआई की थी. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो कई बार किसानों की चने की फसल पीली होकर खेतों में खड़ी की खाड़ी सुख जाती हैं, जिससे उत्पादन घट जाता है और किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन, फसलों के सूखने के पीछे गर्मी के अलावा भी कई और कारण होते है.
खरगोन के कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीएस कुलमी बताते है कि, गर्मी के अलावा भी कुछ बीमारियां होती हैं, जिनके फैलने से पौधों का रंग पिला होकर फसल अचानक सुखने लगती है. ड्राई रूट रॉट ऐसी ही एक बीमारी है. समय रहते इसका नियंत्रण नहीं किया जाए, तो पूरी फसल में बीमारी फैल जाती है. फिर कोई दवा भी काम नहीं आती.
ज्यादा सिंचाई से होती है यह बीमारी
वैज्ञानिक डॉ. कुलमी के अनुसार, पिछेती चने की बुआई के 25 से 30 दिन बाद फसल में इस बीमारी का प्रकोप देखा जाता है. यह बीमारी फसल में ज्यादा पानी देने से भी होती है. किसानों की सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, खेत की मिट्टी कैसी है. अगर जमीन हल्की है और ज्यादा सिंचाई करेंगे, तो खेत में पानी भर जाएगा, जिससे पौधों में सड़न लग सकती हैं. जिसकी वजह ड्राई रूट रॉट नामक यह बीमारी हो सकती है.
बीमारी के सामान्य लक्षण
वैज्ञानिक बताते है कि, बुआई के समय बीजेपचार करने से बीमारी का खतरा कम रहता है. लेकिन, कई बार बीजोपचार के बाद भी फसल में बीमारी लग जाती है. जब यह बीमारी लगती है तो पौधा हल्का पिला पड़ने लगता है और फिर खड़े-खड़े सुख जाता है. अगर फसल में इस तरह के लक्षण आपको भी दिखाई दे, तो फिर तुंरत नियंत्रण प्रक्रिया में लग जाए.
बीमारी से नियंत्रण के लिए क्या करें
बीमारी के नियंत्रण के लिए बाजार में उपलब्ध मेटालेक्जिल और मैनकोज़ेब नामक दवाई का छिड़काव 30 ग्राम पति पंप के हिसाब से करें. ध्यान दें कि दवाई जमीन में तर करके हुए डालें. अगर मेटालेक्जिल और मैनकोज़ेब नहीं मिले तो आप कार्बेंडाजिम 50 का भी उपयोग कर सकते हैं.
Location :
Khargone,Madhya Pradesh
First Published :
February 07, 2025, 09:00 IST
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