Last Updated:February 03, 2025, 13:08 IST
अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए 10 प्रतिशत के टैरिफ से भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को फायदा हो सकता है. ऐपल और मोटोरोला जैसे ब्रांड भारत को निर्यात का केंद्र बना रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- अमेरिका ने चीन पर 10% टैरिफ लगाया.
- भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को फायदा हो सकता है.
- भारत को तेजी से काम कर ट्रेड एग्रीमेंट करना होगा.
नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयात होने वाले सामानों पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाने के फैसले ने भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी है. यह कदम भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का केंद्र बनाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है. ऐपल, मोटोरोला जैसे ब्रांड्स भारत को अपने निर्यात का केंद्र बना रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.
ट्रंप ने यह टैरिफ स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाया गया है, जो पहले इससे मुक्त थे. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो भारत को अपने निर्यात का केंद्र बना रही हैं. ऐपल और मोटोरोला जैसे ब्रांड्स इसका सबसे ज्यादा फायदा उठा सकते हैं.
मनीकंट्रोल ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट लिखी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, डिक्सन टेक्नोलॉजीज (Dixon Technologies) के चेयरमैन सुनील वचानी ने कहा कि यह टैरिफ एक शॉर्ट टर्म के लिए समाधान है, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौता (Trade Agreement) होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध मजबूत बने रहेंगे और जिन क्षेत्रों में भारत ने पहले ही महत्वपूर्ण स्थिति हासिल कर लिया है, वे सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे.
भारत के लिए मौका है, लाभ उठाना चाहिए
भारतीय सेल्युलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों पर अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए एक बड़ा अवसर है, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए नीति निर्माताओं और उद्योग को तेजी से काम करना होगा. उन्होंने कहा कि एक व्यापक व्यापार समझौता आवश्यक है, जो दोनों देशों के हितों को पूरा करे.
सुनील वचानी ने यह भी कहा कि कई कंपनियां मैक्सिको को अपना आधार बना रही थीं, लेकिन अब भारत एक विकल्प के रूप में उभर सकता है. उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा अवसर हो सकता है, लेकिन इस अवसर को बिजनेस में बदलने के लिए इंडस्ट्री और सरकार दोनों को और काम करने की जरूरत है. इंफ्रास्ट्रक्चर और अप्रूवल जैसे क्षेत्रों में बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
स्मार्टफोन, टेलीविजन, लैपटॉप, सर्वर और लाइटिंग जैसे उत्पाद कैटेगरी को इससे फायदा होगा, क्योंकि अब अधिक कंपनियां इन्हें भारतीय कारखानों से सोर्स करने की ओर देखेंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐपल और मोटोरोला जैसी कंपनियां टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, फॉक्सकॉन और डिक्सन जैसे ईएमएस (EMS) प्लेयर्स के माध्यम से भारत से निर्यात बढ़ाने की कोशिश करेंगी, जिससे भारत की वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में स्थिति और मजबूत होगी.
क्या कहता है पुराना रिकॉर्ड
2024 में भारत के मोबाइल फोन निर्यात ने 20.4 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड तोड़ा, जिसमें ऐपल और सैमसंग का योगदान सबसे अधिक था. ऐपल ने 65 फीसदी निर्यात के साथ अग्रणी भूमिका निभाई, जबकि सैमसंग ने 20 फीसदी और भारतीय कंपनियों ने 15 फीसदी योगदान दिया. ऐपल का लक्ष्य है कि अगले दो-तीन वर्षों में वह अपने 25 फीसदी आईफोन भारत में उत्पादित करे और चीन पर निर्भरता कम करे.
वचानी ने कहा कि आईटी हार्डवेयर सेगमेंट, जिसमें लैपटॉप, टैबलेट और सर्विसेज शामिल हैं, को एक बड़ा पुश मिलने वाला है, क्योंकि कई ताइवानी कंपनियां भारत को वैश्विक निर्माण आधार बनाने की ओर देख रही हैं. उन्होंने कहा कि भारत में डिजाइनिंग और बैकवर्ड इंटीग्रेशन को गहराई से अपनाया जा रहा है.
1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए मोबाइल फोन उत्पादन के लिए आवश्यक घटकों पर आयात टैरिफ हटा दिया. इस कदम से निर्माण प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कंपनियों को घटकों का स्थानीय उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
February 03, 2025, 13:08 IST