रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 66 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी ने 24 आदिवासी, 19 ओबीसी, 16 उच्च जातियों और 7 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. बता दें कि इस बार का झारखंड चुनाव 2014 और 2019 से बिल्कुल अलग होने वाला है. क्योंकि, अदिवासी और गैरआदिवासी के साथ-साथ इस बार आदिवासी में ही संथाल और कोल्हान इलाके में वर्चस्व की लड़ाई तय हो जाएगी. बीजेपी के रणनीतिकारों ने इस बार कोल्हान और संथाल दोनों के लिए अलग-अलग प्लान बनाए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में हवा में हिमंता और जमीन पर हेमंत के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.
आपको बता दें कि बीजेपी इस बार कोल्हान में कुछ खास करने जा रही है. बीजेपी हरियाणा की तरह झारखंड में भी चमत्कारी परिणाम की उम्मीद पाले बैठी है. हालांकि, टिकट वितरण के बाद पार्टी में कुछ विरोध के स्वर भी दिखाई दे रहे हैं. बीजेपी के टिकट बंटवारे में परिवारवादी रंग देखने को मिला है. कभी परिवारवाद का विरोधी रही बीजेपी इस बार झारखंड में परिवार नाम की जप कर रही है.
बीजेपी के लिए परिवारवाद वरदान या अभिशाप?
जेएमएम से हाल ही में आए पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पिता-पुत्र के साथ ही अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा और रघुवर दास की पुत्रवधू को भी पार्टी ने टिकट दिया है. बाघमारा विधानसभा सीट से लगातार 3 बार जीतने वाले ढुलू महतो के धनबाद से सांसद बनने के बाद उनके बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को बेजीपी ने उम्मीदवार बनाया है. एक टिकट के फॉर्मूले पर चलने वाली बीजेपी एक ही परिवार में दो-दो टिकट और परिवार में ही टिकट के फॉर्मूले पर समर में उतरी है.
झारखंड में दो फैक्टर आदिवासी और गैरआदिवासी शुरू से ही रहे हैं.
हिमंता और हेमंत में कौन मारेगा बाजी
हिमंता बिस्वा सरमा की अतिसक्रियता और बीते एक-दो महीने के भारी मंथन के बाद पार्टी ने सिर्फ तीन सीटिंग विधायकों को ही बदला है. आपको बता दें कि झारखंड में दो फैक्टर आदिवासी और गैरआदिवासी शुरू से ही रहे हैं. लेकिन, पिछले कुछ सालों से आदिवासियों के भीतर भी दो फैक्टर संथाल और कोल्हान का मुद्दा गर्म हो रहा है. झारखंड में बीजेपी के दो चेहरे हिमंता बिस्वा सरमा और बाबू लाल मरांडी ने इस बार संथाल के साथ-साथ कोल्हान को भी साधने की कोशिश की है. कोल्हान में ‘हो’ आदिवासी समाज के सबसे बडे चेहरे के तौर पर मधु कोड़ा का नाम आता है. लेकिन, इसी क्षेत्र से कोल्हान टायगर से मशहूर संथाल समाज के नेता चंपई सोरेन भी हैं, जो अब बीजेपी में आ गए हैं.
कोल्हान का किंग कौन बनेगा?
इसी इलाके से राज्य के दूसरे और कद्दावर नेता अर्जुन मुंडा भी आते हैं. इसी एरिया से बीजेपी के एक और कद्दावर नेता नीलकंठ सिंह मुंडा भी आते हैं. आपको बता दें कि नीलकंठ सिंह मुंडा के सगे सहोदर भाई कालीचऱण मुंडा ने बीते लोकसभा चुनाव में अर्जुन मंडा को हराया था. कहा जाता है कि झारखंड की राजनीति में मुख्यमंत्री की कुर्सी का रास्ता कोल्हान से होकर जाता है. यही कारण है कि रघुवर दास छोड़ कर अभी तक सभी सारे मुख्यमंत्री आदिवासी रहे हैं.
संथाल में राज करेगा जेएमएम?
जेएमएम संस्थापक शिबू सोरेन को पहली बार राज्य की राजनीति में कोल्हान से आए मधुकोड़ा ने ही चुनौती दी थी. झारखंड की राजनीति में हो बिरादरी से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले मधु कोड़ा अबतक के एकमात्र मुख्यमंत्रीा रहे हैं. ऐसे में इस बार संथाल के तमाम बड़े चेहरे मधु कोड़ा, चंपई सोरेन, अर्जुन मुंडा की मौजूदगी कोल्हान में है. इन सब के कंधे पर बीजेपी की कोल्हान बीजेपी की जवाबदेही है.
झारखंड के इस चुनाव में बीजेपी में परिवारवाद का खेल चलेगा?
दिग्गजों को कोल्हान में कितना दबदबा?
हालांकि, यह अलग बात है कि कोल्हान के पोटका विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा के पति अर्जुन मुंडा हाल ही में लोकसभा चुनाव में हार का कड़वा स्वाद यहीं से चख चुके हैं. बीते लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय क्षेत्र के खरसावा विधानसभा सीट से अर्जुन मुंडा कांग्रेस उम्मीदवार से पिछड़ गए थे. यही कारण है कि अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित पोटका विधानसभा सीट से मीरा मुंडा को चुनाव लड़ाने का फैसला लिया गया है.
दूसरी तरफ, मधुकोड़ा की पत्नी जगन्नाथपुर से भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा भी बीते लोकसभा चुनाव में कोल्हान में हार चुकी हैं. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि मीरा मुंडा और गीता कोड़ा कोल्हान की राजनीति में विधानसभा में जीत का स्वाद चखने में कामयाब होंगी या हार का सिलसिला एक बार फिर दोहराएगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 15:10 IST