Last Updated:February 03, 2025, 08:17 IST
Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक कांग्रेस में संकट गहराया, डीके शिवकुमार और सिद्दारमैया के बीच सत्ता संघर्ष जारी। सिद्दारमैया के सलाहकार बीआर पाटिल ने इस्तीफा दिया, जिससे तकरार और बढ़ी।
Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में कांग्रेस का संकट गहरा गया है. प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बड़ा खेल कर दिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया अब अपनी कुर्सी कितने दिनों तक बचा पाएंगे? दरअसल, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की हालत बहुत पतली है. पूरे देश में उसकी मात्री तीन राज्यों में सरकार है. उसमें सबसे बड़ा कर्नाटक है. इसके अलावा तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में पार्टी की सरकार है. लेकिन, 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली जीत के बाद से ही सीएम की कुर्सी लेकर झगड़ा चल रहा है. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच यह लड़ाई जगजाहिर है. केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद राज्य में सत्ता के बंटवारे का फॉर्मूल तय हुआ था. डीके शिवकुमार खेमा दावा करता है कि ढाई-ढाई साल के सीएम का फॉर्मूला तय हुआ था. इस कारण बीते कुछ दिनों से डीके शिवकुमार खेमा बार-बार परोक्ष तौर पर सीएम की कुर्सी पर अपना दावा ठोकता रहा है.
इस बीच ताजा डेवलप्मेंट यह है कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के राजनीतिक सलाहकार रहे वरिष्ठ नेता बीआर पाटिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे राज्य कांग्रेस के बीच जारी तकरार एक बार फिर सामने आ गई है. पाटिल को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया खेमा का नेता माना जाता है. वह उनके खास करीबी माने जाते हैं. लेकिन, राज्य में कांग्रेस के कई खेमों में बंटे होने की वजह से उनके लिए कैबिनेट में जगह नहीं बनी. पिछले माह ही सिद्दारमैया खेमे के नेताओं ने एक डिनर पार्टी की थी. इसके बाद यह ताजा राजनीतिक संकट पैदा हुआ है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों का दावा है कि पाटिल का इस्तीफा सीधे तौर पर सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच टकराव का नतीजा नहीं है. पाटिल कुलबर्गी जिले के अलांद से चार बार के विधायक हैं. उन्होंने सरकार और पार्टी में उचित महत्व नहीं मिलने के कारण इस्तीफा दिया है. इस क्षेत्र में डीके शिवकुमार का कुछ खास प्रभाव नहीं है. कुलबर्गी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का इलाका है. यहीं से खरगे के बेटे प्रियांक खरगे उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं. लेकिन पाटिल और प्रियांग खरगे का रिश्ता बहुत अच्छा नहीं है. यही कारण है कि एक वरिष्ठ नेता होने के बावजूद सिद्दारमैया सरकार में पाटिक को जगह नहीं मिली.
First Published :
February 03, 2025, 08:17 IST