Last Updated:February 01, 2025, 09:18 IST
FIR Against SHO for forcing To Singh National Anthem: 2020 में पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान पांच युवकों से मारपीट और राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के मामले में दिल्ली पुलिस के एसएचओ और पांच पुलिसकर्मियों पर...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- दिल्ली दंगों में SHO के खिलाफ एफआईआर का आदेश.
- कोर्ट ने कपिल मिश्रा के आचरण पर भी आपत्ति दर्ज की.
- 11 फरवरी तक पुलिस को कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी है.
नई दिल्ली. साल 2020 में पूर्वी दिल्ली में काफी दंगे हुए. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई. इस दौरान पांच युवकों से मारपीट और उन्हें राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के मामले में दिल्ली की एक जिला अदालत ने दिल्ली पुलिस के एक एसएचओ और पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं. जज साहब को घटना के एक वीडियो दिखाया गया, जिसमें दावा है कि पुलिसकर्मियों को शिकायतकर्ता मोहम्मद वसीम सहित पांच लोगों पर हमला करते और उन्हें राष्ट्रगान और वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर करते हुए दिखाया गया है. कोर्ट ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के आचरण पर भी आपत्ति दर्ज की.
कोर्ट ने माना कि यह एक नफरती अपराध है. पिछले महीने 18 जनवरी को दिए गए अपने आदेश में कड़कड़डूमा कोर्ट के मजिस्ट्रेट उद्भव कुमार जैन ने ज्योति नगर थाने के तत्कालीन एसएचओ पद पर रहे अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है.
11 फरवरी तक दर्ज करें FIR
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “मौजूदा एसएचओ को निर्देश दिया जाता है कि वे इस मामले की जांच के लिए इंस्पेक्टर रैंक के कर्मी को जांच अधिकारी नियुक्त करे. जांच के दौरान घटना में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका का भी पता लगाया जाए.” इस मामले में 11 फरवरी तक पुलिस को कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी है. वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं.
अब तक दर्ज नहीं हुआ मुकदमा
वसीम की शिकायत के आधार पर जब एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया. आरोप है कि 24 फरवरी 2020 को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे वो दंगों के बीच अपनी मां की तलाश में अपने घर से निकला था. तभी उसने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ सड़क पर भगवा स्कार्फ पहने लोगों के एक समूह को देखा. शिकायत के अनुसार. पूर्व विधायक कपिल मिश्रा को हाथ में लाउडस्पीकर लिए देखा गया. आरोप लगाया गया कि मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इसके बाद एसएचओ ने अपने कर्मियों से वसीम को ऐसी जगह फेंकने के लिए कहा, जहां अन्य घायल लोग पड़े हों.
कपिल मिश्रा पर क्या बोले जज साहब?
अदालत ने पाया कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाई रिपोर्ट मिश्रा की कथित भूमिका के बारे में चुप थी. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा, “ऐसा लगता है कि आईओ को पुलिस अधिकारियों की अधिक चिंता थी और या तो वह कथित आरोपी कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच करने में विफल रहे या उन्होंने उक्त आरोपी के खिलाफ आरोपों को छिपाने की कोशिश की.” कोर्ट ने कहा कि कथित आरोपी नंबर 3 (कपिल मिश्रा) लोगों की नज़रों में है और उन पर ज़्यादा नज़र रखी जा सकती है! समाज में ऐसे लोग आम जनता के रुख/मनोदशा को निर्देशित करते हैं और इस प्रकार, ऐसे लोगों से भारत के संविधान के दायरे में ज़िम्मेदाराना व्यवहार की उम्मीद की जाती है!” मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसने शिकायतकर्ता को कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित अदालत से संपर्क करने का निर्देश दिया.
First Published :
February 01, 2025, 09:18 IST