दिल्ली में है एशिया की सबसे बड़ी रावण के पुतले बनाने वाली मंडी
दिल्ली: दशहरा के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के गगनचुंबी पुतलों को फूटकर राख होने में 30 मिनट से ज्यादा का वक्त नहीं लगता है. हालांकि, क्या आप जानते हैं कि इन पुतलों को बनाने में एक महीने से अधिक समय लगता है और पश्चिमी दिल्ली का तितारपुर एक ऐसी जगह है. जहां दशहरे से लगभग दो महीने पहले ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. तितारपुर के कारीगर हर साल दिल्ली में दशहरे पर जलाए जाने वाले 90 प्रतिशत से अधिक पुतले बनाते हैं.
एशिया की इकलौती और सबसे बड़ी मार्केट
यहां के कारीगरों का कहना था कि यह मार्केट एशिया की सबसे बड़ी और इकलौती ऐसी मार्केट है. जहां पर रावण के पुतले बनाकर बेचे जाते हैं. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि यह मार्केट करीबन 60 से 70 साल पुरानी है. कारीगरों ने यह भी बताया कि यहां पर आप 500 रुपए प्रति फुट के हिसाब से रावण के पुतले खरीद सकते हैं.
विदेशों में भी यहां से ले जाते हैं लोग पुतले
यहां के सबसे पुराने कारीगर दीपक ने बताया कि यहां के पुतले अक्सर लोग विदेशों में भी लेकर जाते हैं. मगर वह पुतले ज्यादातर डेकोरेशन के लिए होते हैं. उन्होंने बताया कि लोग अक्सर ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में यहां से पुतले मांगते हैं.
ऐसे बनाए जाते हैं यहां पुतले
पुतला बनाने की प्रक्रिया त्योहार से कम से कम डेढ़ महीने पहले शुरू हो जाती है. बांस के बुनियादी ढांचे पहले बनाए जाते हैं, फिर उन्हें रंगीन कपड़े और पपीयर-मैचे से सजाया जाता है, उसके बाद दशहरे से लगभग एक सप्ताह पहले अंतिम पेंटिंग और सजावट की जाती है. आयोजन से एक या दो दिन पहले इन पुतलों को लादकर दशहरा मैदान में ले जाया जाता है और आखिरी समय में इन्हें पटाखों और भूसे से भर दिया जाता है.
खरीदारी करने आए हुए लोगों ने कहा
यहां पर खरीदारी करने आए हुए लोगों में से एक व्यक्ति जिनका नाम डॉक्टर शाहिद था. उनका कहना था कि वह यहां पर बचपन से आ रहें हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने ऑफिस में दशहरा मना रहे हैं इसलिए यहां पर इस बार रावण पुतले लेने आए हैं. वहीं इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि यहां के रेट भी काफी सही होते हैं और यहां के कारीगरों को इसका पैसा भी मिलना चाहिए, क्योंकि वह यह पुतले बनाने में काफी ज्यादा मेहनत करते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 07:41 IST