दो जिलों के बीचों-बीच है राजस्थान का ये मंदिर, भोग के रूप में चढ़ती है पत्ती

3 hours ago 2

Agency:News18 Rajasthan

Last Updated:February 05, 2025, 17:17 IST

राजस्थान की धरती देवभूमि के लिए प्रसिद्ध है, जहां अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जिनकी कहानी और चमत्कार अनोखी है. ऐसा ही डीडवाना-कुचामन के देवरा गांव में 1100 साल पुराना देवनारायण भगवान का मंदिर है, जो दो जिलों की सीमा ...और पढ़ें

X

लोकदेवता

लोकदेवता देवनारायण भगवान 

हाइलाइट्स

  • 1100 साल पुराना देवनारायण भगवान का मंदिर देवरा गांव में स्थित है.
  • मंदिर की देखरेख गुर्जर समाज करता है और चार पहर पूजा होती है.
  • मंदिर में नीम की पत्तियों का भोग चढ़ाया जाता है.

नागौर:- राजस्थान में ऐसे अनेकों मंदिर हैं, जो अपने आप में भक्ति के साथ कई विरासत भी सजोए हुए हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर डीडवाना-कुचामन में है. यह मंदिर लोकदेवता देवनारायण भगवान का है. जानकारी के अनुसार, यह मंदिर 1100 साल पुराना है. यह मंदिर डीडवाना-कुचामन के छोटे से गांव देवरा में बना हुआ है. यह मंदिर ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. खास बात है कि मंदिर दो जिलों की सीमा पर बना हुआ है. मंदिर का बायां हिस्सा लाडनूं तहसील डीडवाना-कुचामन जिले में, तो दायां हिस्सा सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील में आता है. मंदिर की देखरेख व पूजा-पाठ गुर्जर समाज की ओर से ही की जाती है.

मंदिर के बीचों-बीच प्राकृतिक दरार
पुखराज गुर्जर ने लोकल 18 को बताया कि मंदिर के अधिकार को लेकर करीब 600 साल पहले जोधपुर व जयपुर रियासत के राजाओं के बीच विवाद व लड़ाई भी हुई थी. जिसके बाद से मंदिर के बीचों-बीच दरार आ गई थी. गांव के पुखराज गुर्जर बताते हैं कि ये दरार प्राकृतिक रुप से आई थी. वहीं साल 2001 में मंदिर का जीर्णोद्धार करने के बाद भी ये दरार आज भी बनी हुई है.

मुख्य द्वार पर दो भागों में बांटने के लिए लगा है पत्थर
दो रियासतों के बीच हुई लड़ाई के बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर पत्थर लगाया गया है. मंदिर के बाहर ही नीम का पुराना पेड़ भी है. इसी की पत्तियों को भोग के तौर पर मंदिर में चढ़ाया जाता है. साथ ही गुर्जर समाज में मान्यता है कि कोई भी नीम के पेड़ को ना ही काटता है और ना ही जलाता है. पंडित ने Local 18 को बताया कि इस मन्दिर में ईंट की पूजा होती है. देवनारायण भगवान विष्णु के अवतार है. धड़ देवनारायण, शीश खाटूश्याम ओर पग्लया रामदेवजी भगवान के स्थापित हैं. वहीं गर्भगृह में अखंड ज्योत भी जल रही है. मंदिर में चार पहर पूजा की जाती है. वहीं प्रसाद के रूप में नारियल, चावल व दूध चढ़ाए जाते हैं. हर शनिवार को दूध में नीम डालकर प्रसाद बनाया जाता है.

Location :

Nagaur,Rajasthan

First Published :

February 05, 2025, 17:17 IST

homedharm

दो जिलों के बीचों-बीच है राजस्थान का ये मंदिर, भोग के रूप में चढ़ती है पत्ती

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article