धान-गेहूं की खेती से नहीं बना था मकान, फूल की खेती से 5 साल में बनी हवेली

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फूल

फूल की खेती

सीतामढ़ी जिले में किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर फूलों की खेती की ओर अग्रसर है. बता दे कि आज के दौर में आधुनिक खेती कमाई का अच्छा जरिया बन गया है. जिले के बथनाहा प्रखंड के बैरहा गांव के रहने वाले किसान नंदलाल महतो धान गेहूं की खेती से जो नहीं कर पाए अब फूलों की खेती से एक अलग मुकाम और पहचान बना चुके हैं. 55 वर्षीय नंदलाल महतो पहले पारंपरिक रूप से गेहूं, धान, मक्का, आलू जैसी फसलों की खेती करते थे, लेकिन उन्हें उतना लाभ नहीं मिलता था. फिर फूलों की खेती के बारे में जानकारी ली और पिछले 10 वर्षों से फूलों की खेती के जरिए पहले के मुकाबले काफी अधिक कमाई कर रहे हैं.

किसान ने बताया कि वह 30 वर्षों से घर बनाने का सोच रहे थे. उनके पिता और वह खुद वर्षों से खेती कर रहे हैं. लेकिन, पारंपरिक खेती में उतना फायदा नहीं हो रहा था, जिसके वजह से वह घर तक नहीं बना सके. धान और गेहूं की खेती से जो कमाई होती थी, उससे वह सिर्फ भरण पोषण ही कर पाते थे. इसके अलावा वह एक्स्ट्रा कुछ भी करने का मन रखते थे तो उनके मंसूबे पर पानी फिर जाता था. लेकिन, जब उन्हें फूल की खेती के बारे में जानकारी मिली तो, पहले एक एकड़ में शुरू किया और धीरे धीरे करीब 4,एकड़ में फुल की खेती करने लगें और इस फूल की खेती से 5 साल में दो जगह मकान भी बना लिए.

इसके अलावा वह अपने बेटे बेटियों को भी अच्छी पढ़ाई लिखाई करवा रहे हैं. एक बेटा पढ़ लिखकर बेगूसराय में बिजली ऑफिस में काम कर रहा है. गेंदा फूल की खेती में लागत से करीब तीन गुना कमाई हो रही है. इससे उनकी आय अन्य फसलों की तुलना में तीन गुनी हो गई है. किसान ने बताया कि गेंदा के फूलों की खेती के साथ साथ चेरी और जीना फूल की भी खेती करते हैं. दरअसल, दिसंबर के बाद जीना और चेरी फूल की मांग होती है. ठंड अधिक गिरने से गेंदा फूल सुखने और झड़ने लगता है। जिसके वजह से जीना और चेरी फूल की खेती करते हैं.

बता दे कि फिलहाल नंदलाल महतो दो एकड़ में गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं. नंदलाल खुद पूरे परिवार के साथ इसकी खेती करते है और गुथाई भी करते हैं. इसके बाद माला तैयार करके व्यापारियों के हाथ बेचते हैं. इनके यहां से स्थानीय बाजार के अलावा मुजफ्फरपुर, पटना, दरभंगा, शिवहर समेत पड़ोसी देश नेपाल के व्यापारी ले जाते हैं. बताया कि ऑफ सीजन में 100 रुपए कुड़ी तो पीक सीजन में 150 से लेकर 250 तक कुड़ी बेचते हैं.

Tags: Agriculture, Bihar News, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 21, 2024, 15:25 IST

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