राजकोट के कालावड रोड पर सेंट मैरी स्कूल के सामने स्थित संकीर्तन मंदिर अपने आप में अद्वितीय है. यहां पिछले 41 वर्षों से लगातार ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ की धुन दिन-रात गूंज रही है. इस रामधुन की शुरुआत रामकथाकार मोरारी बापू ने की थी. उस समय राजकोट में रामकथा चल रही थी, और बापू ने मौन तोड़ते हुए इस धुन को गाया था.
हर परिस्थिति में बजती रही रामधुन
इस अखंड रामधुन को समय और परिस्थितियों ने कभी नहीं रोका. चाहे ठंड हो, बारिश, भूकंप, तूफान, या कोरोना जैसी महामारी—यह रामधुन निरंतर चलती रही. इस मंदिर में बजने वाली रामधुन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों के धैर्य, समर्पण और सेवा का भी प्रतीक है. रविवार को रेसकोर्स में आयोजित रामकथा में मोरारी बापू ने इस मंदिर की रामधुन को याद करते हुए भक्तों की भक्ति और समर्पण की सराहना की.
रामधुन की शुरुआत का प्रेरक प्रसंग
मोरारी बापू ने रामकथा में 41 साल पुरानी याद साझा की. उन्होंने बताया कि जब वे रामधुन की पोथी लेकर संकीर्तन मंदिर पहुंचे, तो वहां पहले से चल रही रामधुन में शामिल होकर खुद रामधुन गाई. बापू के साथ-साथ भक्त भी भक्ति में खो गए. यह क्षण भक्तों के लिए आज भी प्रेरणादायक है. उस दिन के बाद यह रामधुन अखंड रूप से बज रही है और हर दिन इसमें भक्त शामिल होते हैं.
सेवकों और भक्तों की अटूट आस्था
लोहाना समुदाय के नेता हसुभाई भागदेव के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 10 भक्त नियमित रूप से रामधुन गाने आते हैं. वहीं, मंगलवार और शनिवार को यह संख्या बढ़कर 100 तक पहुंच जाती है. हसुभाई ने यह भी बताया कि उनके पिता नरोत्तमभाई भागदेव और अन्य सेवकों ने इस अखंड रामधुन को जारी रखने के लिए अथक प्रयास किए. हर सेवक अपने समय और क्षमता के अनुसार इसमें योगदान देता है. मंदिर का यह वातावरण भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्रदान करता है.
पीढ़ियों तक बनी रही परंपरा
राजकोट में रामभक्ति की यह परंपरा पीढ़ियों तक चलती रही. लॉकडाउन के दौरान, जब पूरा शहर बंद था, तब भी कलेक्टर की विशेष अनुमति से यह रामधुन बिना रुके जारी रही. इस रामधुन के कारण मंदिर ने कई लोगों की आस्था को मजबूत किया है. पीढ़ियों के बदलाव के बावजूद, यह धुन यहां के लोगों के दिलों में रमी हुई है.
भक्तों के जीवन पर प्रभाव
यह मंदिर केवल भक्ति का स्थान नहीं है, बल्कि यहां आने वाले भक्त इसे एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र मानते हैं. कई भक्तों का कहना है कि रामधुन सुनने से उनके जीवन में शांति और सकारात्मक बदलाव आए हैं. यहां का वातावरण भक्तों को जीवन के कठिन समय में भी धैर्य और उम्मीद प्रदान करता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 21:15 IST