न कीड़े लगेंगे, न फसल होगी खराब...आलू से भर जाएगा पूरा घेत, बस करें ये काम

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Agency:Local18

Last Updated:January 22, 2025, 17:19 IST

Aloo ki kheti: बनासकांठा के डीसा में आलू की खेती का बड़ा केंद्र है. यहां प्रोसेसिंग आलू की खेती से किसानों की आय में इजाफा हो रहा है.

न कीड़े लगेंगे, न फसल होगी खराब...आलू से भर जाएगा पूरा घेत, बस करें ये काम

आलू की खेती

बनासकांठा जिले का डीसा पूरे देश में आलू नगरी के नाम से मशहूर है. यहां हर साल लगभग 55 से 60 हजार हेक्टेयर जमीन पर आलू की खेती की जाती है. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही किसान इस महत्वपूर्ण फसल की बुवाई में जुट जाते हैं. हालांकि, बीते कुछ वर्षों में फसल में रोग और अन्य समस्याओं के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. लेकिन, सही जानकारी और तकनीक का उपयोग कर इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

खेती की पद्धतियों में आया बदलाव
डीसा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक योगेश पवार बताते हैं कि बनासकांठा के किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर प्रोसेसिंग आलू की खेती पर जोर दिया है. पहले किसान खाने के आलू उगाते थे, लेकिन अब प्रोसेसिंग आलू की मांग बढ़ने के कारण उनकी खेती व्यापक स्तर पर की जा रही है. यह बदलाव किसानों के लिए एक नए अवसर के रूप में उभरा है.

तापमान और सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी
सफल आलू उत्पादन के लिए रात के समय का तापमान 18 से 22 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इसके अलावा, मौसम में बदलाव के कारण रोग और कीटों से बचने के लिए सिंचाई का सही प्रबंधन बेहद जरूरी है. वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि मौसम विभाग की भविष्यवाणियों के अनुसार फफूंदनाशक दवाओं का उपयोग किया जाना चाहिए.

रोग नियंत्रण के लिए दवाओं का छिड़काव
फसल में रोगों को नियंत्रित करने के लिए क्लोरोथेलोनिल, एजोक्सीस्ट्रोबिन जैसी दवाओं का छिड़काव महत्वपूर्ण है. इन दवाओं का तीन बार 10-10 दिनों के अंतराल पर उपयोग करना चाहिए. इस प्रक्रिया से फसल को फफूंद और अन्य रोगों से बचाया जा सकता है.

पोषक तत्वों का महत्व
आलू की फसल में सूखा और चर्म जैसे रोगों को रोकने के लिए कैल्शियम और बोरॉन जैसे पोषक तत्वों का उपयोग करना आवश्यक है. ये तत्व आलू के फटने की समस्या को भी रोकने में मदद करते हैं. साथ ही, आलू के आकार को बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इन पोषक तत्वों का सही मात्रा में उपयोग जरूरी है.

कीटों से बचाव के उपाय
मोलक्रिकेट कीटों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए आलू की बुवाई के समय क्लोरपायरीफोस का छिड़काव शाम के समय करना चाहिए. इससे कीटों के प्रकोप को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है.

First Published :

January 22, 2025, 17:18 IST

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