न वायरल, न कैंसर और न ही..., फिर क्या है यह बला, जम्मू के बाद अब राजस्थान...

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Last Updated:February 12, 2025, 11:23 IST

Rajasthan Big News: जम्मू-कश्मीर की रहस्मयी बीमारी अब राजस्थान में अपना कहर बरपा रही है. गांव के लोग डरे हुए हैं. एक ही परिवार के दो बच्चों की मौत हो चुकी है. यहां तक कि घर के कुछ लोग बीमार भी चल रहे हैं. यह कौ...और पढ़ें

न वायरल, न कैंसर और न ही..., फिर क्या है यह बला, जम्मू के बाद अब राजस्थान...

राजस्थान में रहस्यमयी बीमारी से भाई-बहन की मौत.

हाइलाइट्स

  • राजस्थान में रहस्यमयी बीमारी से लोग मर रहे हैं.
  • बीमारी का कारण न्यूरोटॉक्सिन हो सकता है.
  • डॉक्टर और टीमें बीमारी की जांच में जुटी हैं.

जयपुर: जम्मू-कश्मीर की रहस्मयी बीमारी अब राजस्थान में अपने पैर पसार चुकी है. यहां के संपतनगर के ढाणी में कोहराम मचा हुआ है. यहां एक परिवार में एक के बाद एक बच्चे की मौत हो रही है. यहां तक कि घर के कुछ लोग भी बीमार चल रहे हैं. यह कौन सी बीमारी है किसी को पता नहीं है. देश भर के डॉक्टरों की कई टीमें काम कर रही हैं, लेकिन बीमारी का पता नहीं लग पा रहा है. अब तक ये पता चला है कि यह न कोई इंफेक्शन है, न कोई वायरल बीमारी है न ही कैंसर और न ही कोई असाध्य बीमारी है.

पिछले साल रहस्मयी बीमारी जम्मू में बरपा रही थी कहर
गौरतलब है, पिछले साल दिसंबर में जम्मू के बथाल में इस रहस्यमयी बीमारी के कारण सिर्फ एक महीने के अंदर 17 लोगों की मौत हो गई थी. हर तरफ डर का माहौल है. यहां तक कि गांव में सेना को भी बुला लिया गया था. अब तक इस बीमारी से गांव के 38 लोग प्रभावित हो चुके हैं. इनमें से 17 की मौत चुकी है. सरकार और यहां तक कि गृह मंत्रालय की टीम भी इस बीमारी को समझने-बूझने में लगे हुए हैं. वहीं, प्रशासन ने पूरे गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया. गांव में बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा दी गई और प्रभावित परिवारों को भी घरों में रहने को कहा गया था.

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एक बार फिर खौफ में लोग
अब एक बार फिर लोगों में खौफ पैदा हो गया है. ढाणी में बुखार एवं संक्रमण से एक दिन के अंतराल में भाई-बहन की मौत हो गई. यहां तक कि मृतकों के चचेरे भाई भी बीमार चल रहे हैं. सूचना मिलने पर चिकित्सा विभाग की टीम ने मंगलवार को ढाणी क्षेत्र का सर्वे किया. बीमार बच्चों की जानकारी जुटाकर सैंपल लेकर जांच के लिए जयपुर भेजे हैं.

भाई-बहन की मौत
बताया जा रहा है कि संपतनगर के ढाणी के रहने वाले राकेश कुमार की नौ साल की बेटी आरुषि और 10 साल का बेटा विकास कुछ दिन से बीमार थे. उन्हें बुखार और खांसी की शिकायत थी. उनको जिला अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तथा जांच करवाई. आरुषि की रविवार को तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो उसे बीकानेर रेफर कर दिया गया. वहां रविवार रात को उसकी मौत हो गई.

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सोमवार को उसका दाह संस्कार कराया गया. सोमवार को ही विकास की तबीयत बिगड़ गई. परिजन पहले उसको हिसारिया अस्पताल ले गए. वहां से श्रीगंगानगर व बीकानेर ले गए. मंगलवार को विकास की बीकानेर में मौत हो गई. परिजनों के अनुसार बच्चों की मौत का कारण चिकित्सकों ने फेफड़ों में संक्रमण बताया. वहीं, चिकित्सा विभाग की टीम ने मंगलवार को ढाणी का सर्वे किया. मृतक विकास का सैंपल लिया. साथ ही मृतक के बीमार चचेरे भाई आकाश (9) एवं साहिल (7) के भी सैंपल लिए. सैंपल को जांच के लिए जयपुर भिजवा दिया गया.

ब्रेन में सामने आया था न्यूरोटॉक्सिन
वहीं, जब जम्मू में एक के बाद एक ही परिवार के लोगों की मौत हो रही थी, तब राजौरी के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल डॉ. ए. एस भाटिया ने बताया था कि जिन लोगों की मौत हुई है उनमें लगभग सबमें लक्षण समान थे. सिर्फ दर्द, बुखार, बेहोशी आदि की शिकायतें आई थीं. इस बीमारी के अंत में दिमाग में सूजन होने लगती है और मरीज की मौत हो जाती है. जब दिमाग के सैंपल का लेबोरेटरी टेस्ट हुआ तो पहला संकेत मिला. इसमें न्यूरोटॉक्सिन सामने आया है. न्यूरोटॉक्सिन की वजह से ब्रेन डैमेज होने लगता है. लेकिन इस टॉक्सिन की क्या वजह है, इसे जानना बाकी है. जो सैंपल लिए गए हैं उसे नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे, और अन्य कई लेबोरेटरी में भी टेस्ट किए गए हैं. टेस्ट रिजल्ट में अब तक यह साबित हुआ है कि इस बीमारी की वजह न तो वायरस है और न ही बैक्टीरिया. इसलिए यह किसी तरह की संक्रामक बीमारी भी नहीं है. टेस्ट में सिर्फ दिमाग में टॉक्सिन मिला है.

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क्या होता है न्यूरोटॉक्सिन?
बता दें कि न्यूरोटॉक्सिन ऐसा पदार्थ होता है जो दिमाग के नर्वस सिस्टम के कामकाज को खत्म करने लगता है. इसमें ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और पेरिफेरल नर्वस सिस्टम डैमेज हो जाता है. दिमाग की ये सारी चीजें ऐसी हैं जो दिमाग और शरीर के बीच संदेश के आदान-प्रदान को प्रभावित करती है. इससे नर्व सिग्नल देना बंद कर देता है जिसकी वजह से शरीर कई तरह से प्रभावित हो सकता है. यह टॉक्सिन मुख्य रूप से न्यूरॉन को टारगेट करता है जिससे दिमाग का अधिकांश हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है.

यह टॉक्सिन दिमाग में कैसे बनता
सांप, बिच्छू या कुछ जानवरों में कुदरती रूप से टॉक्सिन बनता है. अगर ये काट ले तो दिमाग में टॉक्सिन घुस कर उसे खत्म कर देता है. वहीं दूसरी ओर बैक्टीरिया, एल्गी और कुछ प्लांट भी टॉक्सिन को बना देता है. यानी अगर यह भी दिमाग में घुस जाए तो भी इससे दिमाग में टॉक्सिन बन सकता है. सिंथेटिक न्यूरोटॉक्सिन में पेस्टीसाइड, इंडस्ट्री से निकले केमिकल, धुआं, कुछ दवाइयां आदि से भी टॉक्सिन बन सकता है. दिमाग में अगर ये टॉक्सिन घुस जाए इससे मसल्स में कमजोरी आती है, कंफ्यूजन होने लगता है, दौरा पड़ सकता है, लकवा मार सकता है और अंततः हार्ट फेल हो सकता है.

हालांकि, राजस्थान में भाई-बहनों की मौत के संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता है. जांच के बाद ही बीमारी का कुछ पता लग पाएगा. डॉक्टर इसकी जांच कर रहे हैं.

Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

February 12, 2025, 11:23 IST

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