Last Updated:January 20, 2025, 14:33 IST
Mysterious Death successful Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के बधाल गांव में एक रहस्यमयी बीमारी से अब तक 17 लोगों की जान चली गई है. यह कौन सी बीमारी है, इसके बारे में किसी को पता नहीं चल रहा है. आइए इसके लक्षण को जानते हैं.
Mysterious Death successful Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बधाल गांव में कोहराम मचा हुआ है. इस गांव में अब तक 17 लोगों की जान चली गई है. यह कौन सी बीमारी है किसी को पता नहीं है. देश भर के डॉक्टरों की कई टीमें काम कर रही हैं लेकिन बीमारी का पता नहीं लग पा रहा है. अब तक ये पता चला है कि यह न कोई इंफेक्शन है, न कोई वायरल बीमारी है न ही कैंसर और न ही कोई असाध्य बीमारी है. दिसंबर 2024 से बथाल में इस रहस्यमयी बीमारी के कारण 17 लोगों की मौत सिर्फ एक महीने के अंदर में हुई है. हर तरफ खौफ है. यहां तक कि गांव में सेना को भी बुला लिया गया है. अब तक इस बीमारी से गांव के 38 लोग प्रभावित हो चुके हैं. इनमें से 17 की मौत चुकी है. सरकार और यहां तक कि गृह मंत्रालय की टीम भी इस बीमारी को समझने-बूझने में लगे हुए हैं. रविवार को भी इससे एक और व्यक्ति की मौत हो गई है.
ब्रेन में सामने आया न्यूरोटॉक्सिन
राजौरी के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल डॉ. ए. एस भाटिया ने बताया कि जिन लोगों की मौत हुई है उनमें लगभग सबमें लक्षण समान थे. सिर्फ मतली, दर्द, बुखार, बेहोशी आदि की शिकायतें आई हैं. इस बीमारी के अंत में दिमाग में सूजन होने लगती है और मरीज की मौत हो जाती है. दिमाग के सैंपल का लेबोरेटरी टेस्ट में पहला संकेत मिला है. इसमें न्यूरोटॉक्सिन सामने आया है. न्यूरोटॉक्सिन की वजह से ब्रेन डैमेज होने लगता है. लेकिन इस टॉक्सिन की क्या वजह है, इसे जानना बाकी है. जो सैंपल लिए गए हैं उसे नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे, और अन्य कई लेबोरेटरी में भी टेस्ट किए गए हैं. टेस्ट रिजल्ट में अब तक यह साबित हुआ है कि इस बीमारी की वजह न तो वायरस है और न ही बैक्टीरिया. इसलिए यह किसी तरह की संक्रामक बीमारी भी नहीं है. टेस्ट में सिर्फ दिमाग में टॉक्सिन मिला है.
क्या होता है न्यूरोटॉक्सिन
न्यूरोटॉक्सिन ऐसा पदार्थ होता है जो दिमाग के नर्वस सिस्टम के कामकाज को खत्म करने लगता है. इसमें ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और पेरिफेरल नर्वस सिस्टम डैमेज हो जाता है. दिमाग की ये सारी चीजें ऐसी हैं जो दिमाग और शरीर के बीच संदेश के आदान-प्रदान को प्रभावित करती है. इससे नर्व सिग्नल देना बंद कर देता है जिसकी वजह से शरीर कई तरह से प्रभावित हो सकता है. यह टॉक्सिन मुख्य रूप से न्यूरॉन को टारगेट करता है जिससे दिमाग का अधिकांश हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है.
यह टॉक्सिन दिमाग में कैसे बनता
सांप, बिच्छू या कुछ जानवरों में कुदरती रूप से टॉक्सिन बनता है. अगर ये काट ले तो दिमाग में टॉक्सिन घुस कर उसे खत्म कर देता है. वहीं दूसरी ओर बैक्टीरिया, एल्गी और कुछ प्लांट भी टॉक्सिन को बना देता है. यानी अगर यह भी दिमाग में घुस जाए तो भी इससे दिमाग में टॉक्सिन बन सकता है. सिंथेटिक न्यूरोटॉक्सिन में पेस्टीसाइड, इंडस्ट्री से निकले केमिकल, धुआं, कुछ दवाइयां आदि से भी टॉक्सिन बन सकता है. दिमाग में अगर ये टॉक्सिन घुस जाए इससे मसल्स में कमजोरी आती है, कंफ्यूजन होने लगता है, दौरा पड़ सकता है, लकवा मार सकता है और अंततः हार्ट फेल हो सकता है.
First Published :
January 20, 2025, 14:32 IST