नरसिंहपुर की इस लाइब्रेरी ने संभालकर रखी हैं ओशो की यादें

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Last Updated:January 19, 2025, 13:25 IST

Narsinghpur News: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में 100 से ज्यादा पुरानी लाइब्रेरी है. इसी लाइब्रेरी में ओशो पढ़ाई किया करते थे. यहां उनकी यादों को अभी भी संभालकर रखा गया है.

नरसिंहपुर की इस लाइब्रेरी ने संभालकर रखी हैं ओशो की यादें

MP News: नरसिंहपुर की लाइब्रेरी में पढ़ते थे ओशो.

नरसिंहपुर. दुनिया के विख्यात दार्शनिक ओशो का आज निर्वाण दिवस है. ओशो को पढ़ने का कितना शौक था यह बताता है उनके शहर की वो लाइब्रेरी जो आजादी के पहले से आज तक चल रही है. यहां आज भी ओशो की कई स्मृतियां मौजूद हैं. नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा का बाल गंगाधर तिलक पुस्तकालय 100 साल से ज्यादा का सफर तय कर चुका है. सबसे खास बात यह है कि यह लाइब्रेरी विश्व के प्रसिद्ध दार्शनिक ओशो के अध्ययन का बड़ा केंद्र था. इस लाइब्रेरी में कई पुस्तकें ऐसी है जिसमें ओशो ने खुद अपने दस्तखत किए हैं. आज जिन्हें पूरी दुनिया ओशो के नाम से जानती है उनके बचपन का नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था. इस लाइब्रेरी में उनके नाम से जारी हुई पुस्तकों का रजिस्टर और उनकी पढ़ी गई बुक पर किए गए दस्तखत को बहुत ही शिद्दत से संभाल कर रखा गया है.

लाइब्रेरी के अध्यक्ष अनिल गुप्ता बताते हैं कि ओशो की स्मृतियों से जुड़े हुए सभी फर्नीचर, पुस्तके और रजिस्टर आज भी बहुत सम्मान के साथ संजोकर रखे हुए हैं. देश विदेश के लोग आकर इन्हें अपने माथे से लगा लेते हैं. ओशो ने इस लाइब्रेरी की सारी पुस्तक पड़ी है. यहीं ओशो का प्राथमिक अध्ययन केंद्र रहा है. लोगों का कहना है कि ओशो को पढ़ने का इतना शौक था कि वे एक दिन में 3-3 पुस्तक घर ले जाते थे. उस समय एक सदस्य को एक ही पुस्तक दी जाती थी. इसके चलते उन्होंने अपने परिवार के लोगों को भी लाइब्रेरी का सदस्य बना रखा था, जिससे एक से ज्यादा बुक वे घर ले जा सकते थे.

लाइब्रेरी में ओशो की यादें

1946 से 1950 की आजादी का दौर ओशो ने इसी लाइब्रेरी के इर्द गिर्द बिताया. उस समय इस लाइब्रेरी की कोई भी ऐसी पुस्तक नहीं रही जो ओशो से अछूती रही हो. इस लाइब्रेरी की यादों के साथ गाडरवारा शहर में बचपन की यादों को समेटते हुए ओशो विश्व को दर्शन की यात्रा पर कराने निकल पड़े. लाइब्रेरी के एंट्री रजिस्टर में ओशो के हाथ से खुद किए गए दस्तखत और उन्होंने लाइब्रेरी को जो पुस्तकों दी है, उनमें उनके किए गए दस्तखत खुद बताते है कि वे कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे. इस शहर में रहने वाले लोग इस बात का फक्र करते हैं कि उन्हें विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक का साथ भले ना मिला, पर जहां उनके अध्ययन की साधना हुई उस ऊर्जा से भरे स्थान पर आज वे भी स्टडी कर रहे हैं.

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1984 से सहायक ग्रंथपाल पद पर लाइब्रेरी का कार्य संभालने वाले नेतराम बताते हैं कि उन्हें पुस्तकालय में सेवा देने का भाव ही ओशो को पढ़कर आया. जिंदगी में कभी भी कोई चीज छोटी नहीं होती और यही खासियत ओशो की जिंदगी में रही. उन्होंने इस लाइब्रेरी से जो ज्ञान के छोटे से बिंदु से शुरुआत की उसकी रोशनी सारी दुनिया को नई विचारधारा दे गई.

Location :

Narsinghgarh,Damoh,Madhya Pradesh

First Published :

January 19, 2025, 13:25 IST

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