स्थानीय लोग.
नवादा. दलित बस्ती में 11 दिन पहले हुई दिल दहलाने वाली घटना के बाद आज भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है. बस्ती में अब भी सुरक्षाबलों की तैनाती है, और हर तरफ तनाव बना हुआ है. हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर राहत और पुनर्वास का काम जारी है. लोकल 18 की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची, तो हमें वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया और बताया कि शूटिंग के लिए जिलाधिकारी की अनुमति जरूरी है. कुछ घंटों के इंतजार के बाद, हमें बताया गया कि ऐसा कोई आदेश नहीं है जो मीडिया को रोकता हो, जिसके बाद हमें वहां जाने की अनुमति मिल गई.
बस्ती की मौजूदा स्थिति
घटना के बाद अब बस्ती में स्थिति काफी हद तक साफ-सुथरी हो चुकी है. त्रिपाल और तंबू लगाकर लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है. प्रशासन की ओर से प्रत्येक परिवार को मुआवजे के रूप में 1 लाख 39 हजार 250 रुपए दिए गए हैं. स्थानीय लोग अब भी उस भयावह रात की यादों से बाहर नहीं निकल पाए हैं. घटना के दौरान बस्ती का एक स्कूल, चर्च और कई घर पूरी तरह से जल गए थे.
स्थानीय लोगों का दर्द
हमारी बातचीत में स्थानीय लोगों ने बताया कि घटना के बाद से वे अब भी डरे हुए हैं और घर से बाहर निकलने से कतराते हैं. कुछ लोगों ने कहा कि वे अब अकेले बाहर नहीं जाते और पुलिस को सूचना देकर ही निकलते हैं. काम-धंधे भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. स्थानीय प्रशासन ने राहत के तौर पर दो टाइम का खाना और सुबह नाश्ता उपलब्ध कराया है, जिसमें खिचड़ी जैसी सादी चीजें शामिल हैं.
प्रशासन की तैयारी
प्रशासन ने बस्ती में बिजली, पानी, वाशरूम और एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई है. प्रभावित परिवारों को मुआवजा भी दिया जा चुका है. लेकिन सवाल उठता है कि यह मदद कब तक जारी रहेगी और क्या इससे बस्ती के लोगों को दीर्घकालिक राहत मिल पाएगी?
प्रशासन और मीडिया के बीच तनाव
प्रशासन ने मीडिया से नाराजगी जताते हुए कहा कि इस मामले को जरूरत से ज्यादा तूल दिया जा रहा है, जिससे उनकी ड्यूटी प्रभावित हो रही है. हालांकि, मीडिया का मानना है कि वह अपना काम कर रही है और प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
बस्ती के लोग अब भी उस रात के भय से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, और सवाल यह है कि सरकार की यह मदद कब तक जारी रहेगी और उन्हें कब तक सामान्य स्थिति की ओर लौटने का मौका मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 10:30 IST