कलारीपट्टू नोएडा में इकलौता है यह सेंटर, इसकी ट्रेनिंग के बाद सेल्फ डिफेंस के सा
नोएडा: कलरीपायट्टु या फिर कहें कलारी पट्टू हजारों वर्ष पुराना भारत की एक युद्ध कला है. दक्षिणी राज्य केरल से शुरू हुए इस युद्ध कौशल को मदर ऑफ ऑल मार्शल आर्ट भी कहते हैं. इसकी ट्रेनिंग के बाद आप सेल्फ डिफेंस के साथ किसी भी स्पोर्ट्स में बेहतर परफॉर्मेंस कर सकते हैं. इसे सीखने के बाद दूसरी एकेडमी में मार्शल आर्ट्स और जूड़ो कराटे सीखने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नोएडा के सेक्टर 56 में स्थित ये नॉर्थ इंडिया का इकलौता कलारी का गुरुकुलम है जिसे मंदिर के साथ डेवलप किया गया है. दिल्ली में अन्य एकेडमी में स्टेज और स्टूडियो के माध्यम से संचालित किया जा रहा है.
6 महीने की ट्रेनिंग से शरीर और दिमाग बनता है मजबूत
कलरीपायट्टु की एकेडमी चला रहे मुरुगन पिल्लई ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि वो दिल्ली एनसीआर में 1991 से हैं और शुरुआत में उन्होंने बहुत छोटे लेवल से इस कला की एकेडमी को शुरू किया था. अब धीरे-धीरे बढ़ाकर दिल्ली में 9 अलग-अलग जगह इसकी एकेडमी चला रहे हैं. इसके साथ ही यूपी, राजस्थान, हरियाणा, केरल, बैंगलुरु और अन्य राज्यों में एकेडमी संचालित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले 5 सालों में अन्य राज्यों में पहुंचने की तैयारी है.
मुरुगन ने बताया कि कलरीपायट्टु की मात्र 6 महीने की ट्रेनिंग से एक साधारण आदमी शरीर और दिमागी रूप से खुद को मजबूत महसूस करता है. इसकी ट्रेनिंग के बाद युवा अन्य स्पोर्ट्स में बिना ट्रेनिंग के भी बेहतर परफॉर्मेंस कर अपना टैलेंट दिखा सकते हैं.
इस तरह होती है ट्रेनिंग
मुरुगन पिल्लई ने बताया कि शुरुआत में नॉर्मल एक्सरसाइज के साथ प्रैक्टिस फिर वुडन इक्यूपमेंट से और फिर आगे चलकर मेटल के भिन्न भिन्न वेपन की कला को सीखते हैं. फिलहाल उनकी नोएडा एकेडमी में दर्जनों बच्चे और कुछ युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसके साथ ही उनके इन सेंटर पर ट्रेनिंग के दौरान बॉडी के किसी हिस्से में कोई चोट या मोच या हड्डी में गैप आता है तो जड़ी-बूटियों और ऑयल के द्वारा उसका इलाज किया जाता है. इस एकेडमी के छात्रों के लिए ही स्पेशल क्लीनिक है.
आगामी पांच सालों में सभी राज्यों में पंहुंचने का सपना
मुरुगन पिल्लई ने बताया कि अभी दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान और केरल समेत करीब 9 स्टेट में वो कलरीपायट्टु एकेडमी चला रहे हैं. आने वाले पांच सालों में लक्ष्य है कि इसे देश के दूसरे राज्यों में भी लेकर जाएं. उन्होंने बताया कि आज से करीब 30 साल पहले स्टार्ट किया तब मात्र 15 बच्चों से स्टार्टिंग की थी लेकिन आज उनके पास अच्छी संख्या में बच्चे और युवा इसकी ट्रेनिंग के लिए आते है. कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने कलारी पट्टू की ट्रेनिंग लेने के साथ दूसरे स्पोर्ट्स की प्रतियोगिता में दर्जनों गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल और ब्रान्ज मेडल जीते हैं. उसका सबसे बड़ा कारण है कि सभी स्पोर्ट्स कलरीपायट्टु से ही निकले हैं और इसीलिए इसे मार्शल आर्ट्स की माता कहते हैं.
नॉर्थ इंडिया का इकलौता टेंपल वाला कलारी सेंटर
मुरुगन ने बताया कि नोएडा सेक्टर 56 सी- 12 स्थित ये एनसीआर ही नहीं नॉर्थ इंडिया का इकलौता प्रॉपर कलारी सेंटर है जिसे मंदिर के साथ डेवलप किया गया है. ये उनका सपना था लेकिन जगह नहीं मिल पाने के कारण अन्य जगह पर एकेडमी को स्टेज और स्टूडियो के तौर पर विकसित किया गया है.
उन्होंने कहा, “ये गुरुकुलम के तौर पर मंदिर के साथ हमने पारम्परिक तौर पर बीते छः महीने पहले शुरू किया है.” उन्होंने बताया कि कलारी की प्रैक्टिस करने वालों के लिए पुराने हिसाब से सिर्फ सात्विक भोजन (वेजिटेरियन भोजन) करना चाहिए. नॉनवेजिटेरियन भोजन बॉडी को असंतुलित करता है जो शरीर और दिमाग पर बुरा असर डालता है. मुरुगन ने कहा, “हम फिलहाल मना नहीं कर पाते हैं लेकिन प्रॉपर कलारी पट्टू जिस छात्र ने अपने जीवन में उतार लिया वो हमेशा सात्विक भोजन ही करता है.”
एकेडमी की फीस
मुरुगन ने बताया कि कलारी स्पोर्ट मिनिस्ट्री में तो शमिल है लेकिन स्कूल करिकुलम में शामिल नहीं है. योगा आ गया है, जुड़ो कराटे की जगह पर मार्शल आर्ट्स को शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा कलरीपायट्टु को भी स्कूल करिकुलम लेवल पर शामिल किया जाए ताकि दूसरी एक्सरसाइज और प्रैक्टिस की बच्चों को जरूरत न पड़े. ये एकेडमी नित्थ चैथन्या कलारी (एन सी कलारी गुरुकुलम) नाम से संचालित हैं. फीस की बात करें तो सोमवार से शुक्रवार चार हजार जबकि हफ्ते में तीन दिन के क्लास की फीस दो हजार रुपए रखी गई है.
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FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 19:49 IST