पटना जैसे 29 शहरों में नए एयरपोर्ट, 9 तो केवल एक ही राज्य में! नाम है...

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हाइलाइट्स

लागत या समय सीमा को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं.ज्यादातर हवाईअड्डों को बड़ा और आधुनिक बनाने की योजना है.कोरोना महामारी के बाद भारत के छोटे शहरों में यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई.

नई दिल्ली. भारत के छोटे शहरों को बड़ी उड़ान मिलने वाली है. आने वाले दो दशकों में सरकार की योजना है कि 29 नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों का निर्माण किया जाए. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने 10 नए हवाईअड्डों के बारे में तो अपनी स्टडी पूरी भी कर ली है. इन हवाईअड्डों का उद्देश्य छोटे शहरों को सीधे अंतर्राष्ट्रीय मार्गों से जोड़ना है, ताकि इन क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को मजबूती मिल सके. यह कदम छोटे शहरों को बाहर की दुनिया से जोड़ने की दिशा में एक नया अध्याय साबित हो सकता है. इस पहल से न सिर्फ आने-जाने की सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि इन क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा.

द मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूची में सबसे ऊपर गुजरात का नाम है, जहां 9 हवाईअड्डों का निर्माण किया जाएगा. इसके बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश और झारखंड का स्थान है. इसके अलावा, 13 अन्य राज्यों में भी एक-एक हवाईअड्डे का निर्माण किया जाएगा.

5 वर्षीय योजना में छोटे शहरों का नंबर
सरकार इसके साथ ही छोटे शहरों में पांच साल की योजना के तहत नए हवाईअड्डों को बेहतर बनाने या नए हवाईअड्डे स्थापित करने की योजना बना रही है. बड़े मेट्रो शहरों में भी नए हवाईअड्डों की योजना बनाई जा रही है, जहां मौजूदा हवाईअड्डों की क्षमता लगभग भर चुकी है.

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एक अधिकारी ने बताया, “ज्यादातर हवाईअड्डों को बड़ा और आधुनिक बनाने की योजना है, ताकि वे बोइंग 737 और एयरबस 320 जैसे बड़े विमानों को संभाल सकें. भविष्य में, इन हवाईअड्डों को बड़े, दो-कॉरिडोर वाले विमानों के लिए तैयार किया जाएगा ताकि ये सीधे अंतर्राष्ट्रीय डेस्टिनेशन्स से जुड़ सकें.”

छोटे शहरों के एयरपोर्ट्स पर बढ़ रहा फुटफॉल
छोटे शहरों में बड़े हवाईअड्डे बनाना लॉन्ग टर्म डेवलपमेंट के लिए महत्वपूर्ण है. अधिकारी ने कहा कि छोटे शहरों के मौजूदा हवाईअड्डों पर बढ़ते फुटफॉल को देखते हुए इन्हें अपग्रेड करने की योजना अपर्याप्त साबित हो रही है. इसलिए, इन शहरों में नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों का निर्माण किया जाएगा ताकि आने वाले वर्षों में यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके.

अभी तक इन हवाईअड्डों को बनाने की लागत या समय सीमा को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की गई है, क्योंकि योजना अभी प्रारंभिक चरण में है. मिंट ने लिखा है कि इस बाबत AAI और विमानन मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का जवाब रिपोर्ट लिखे जाने तक नहीं मिल पाया.

‘राजनीतिक नहीं होना चाहिए एयरपोर्ट बनाने का कारण’
विश्लेषक इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि हवाईअड्डों की योजना को यात्रियों की संख्या में होने वाली वृद्धि के पूर्वानुमानों पर आधारित होना चाहिए, न कि राजनीतिक उद्देश्यों पर. विमानन परामर्श फर्म “मार्टिन कंसल्टिंग” के संस्थापक और सीईओ मार्क मार्टिन ने कहा, “यह वास्तव में सरकार की दूरदर्शिता का परिचय देता है. लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि हवाईअड्डों की योजना केवल यात्री मांग के आधार पर होनी चाहिए, न कि राजनीतिक दबाव के तहत. अतीत में हमने देखा है कि चुनावी कारणों से कुछ हवाईअड्डों की योजना बनाई गई, जबकि यात्रियों की संख्या के लिहाज से वे आवश्यक नहीं थे.”

मार्टिन ने विशेष रूप से मणिपाल, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और बिहार जैसे क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “पटना जैसे शहरों को अब भी एक सुरक्षित और बेहतर हवाईअड्डे की ज़रूरत है, जबकि कई हवाईअड्डों का निर्माण यूं ही हो गया है, जहां पर यात्री हैं ही नहीं. यह अच्छा है कि पटना के लिए एक ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे की योजना है, लेकिन सूची में कुछ ऐसे हवाईअड्डे हैं, जिनकी अभी आवश्यकता नहीं है.”

थैंक्स टू उड़ान योजना, कोरोना के बाद बढ़ी है हवाई यात्रा
कोरोना महामारी के बाद भारत के छोटे शहरों में यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है, जिसका श्रेय सरकार की “उड़ान” योजना को जाता है. यह योजना कम सर्विस वाले डेस्टिनेशन्स के लिए उड़ानों को सब्सिडी देती है. कुछ हवाईअड्डों पर इस वित्तीय वर्ष में यात्रियों की संख्या में छह गुना वृद्धि हुई है, हालांकि यह एक छोटे आधार से शुरू हुई है.

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2017 में शुरू की गई इस योजना ने छोटे शहरों में हवाई यात्रा की मांग को काफी बढ़ा दिया है. 2014 में जहां घरेलू मार्गों की संख्या 215 थी, वह अप्रैल 2024 तक 540 तक पहुंच गई, और लक्ष्य है कि 1,000 उड़ानें चालू हों. नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों के अलावा, मेट्रो शहरों में जैसे जेवर और नवी मुंबई में भी नए हवाईअड्डों का निर्माण किया जा रहा है. यह कदम बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उठाया गया है.

भारतीय एयरलाइंस ने जून 2024 की तिमाही के दौरान 8 मिलियन (लगभग 66 करोड़ रुपये) यात्रियों को ढोया, जो सालाना आधार पर 17.6% की वृद्धि है, जबकि अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात 10% बढ़कर 9.6 मिलियन (लगभग 79 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया.

14 शहरों में और एयरपोर्ट बनाने की जरूरत
यात्रियों की वृद्धि के आधार पर अनुमान है कि 14 शहरों में जल्द ही दूसरे या तीसरे हवाईअड्डों की आवश्यकता हो सकती है. चेन्नई और पुणे में दूसरे हवाईअड्डों की योजना पहले से ही उन्नत चरणों में है, जबकि मुंबई और बेंगलुरु को 2047 तक तीसरे हवाईअड्डे की जरूरत हो सकती है.

टियर-2 शहर जैसे श्रीनगर, कोलकाता, चंडीगढ़, देहरादून, गोरखपुर, और लेह को भी अगले 10 से 20 वर्षों में नए हवाईअड्डों की आवश्यकता हो सकती है, ताकि भविष्य में यात्रियों की बढ़ती संख्या को समायोजित किया जा सके.

Tags: Aviation News, Civil aviation, India economy, Ministry of civilian aviation, Patna airport

FIRST PUBLISHED :

September 25, 2024, 11:47 IST

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