पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे राज्य की वायु गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है. पराली जलाने की वजह से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया है. कई जिलों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. प्रदूषण के कारण बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों की परेशानी भी बढ़ गई है. सड़क यातायात पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा है, जहां धुंध और धुएं की वजह से दृश्यता घट गई है.
जागरूकता अभियानों के बावजूद चुनौती
धान के सीजन से पहले प्रशासन ने किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया. ग्राम पंचायत स्तर पर बैठकों, रैलियों और सोशल मीडिया कैंपेन चलाए गए. किसानों को बताया गया कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होती है. हालांकि, जागरूकता के इन प्रयासों का पूर्ण असर नहीं दिखा, और कई किसान अभी भी पराली जलाने को मजबूर हैं.
मिसाल बना कपूरथला का किसान
इन सबके बीच, कपूरथला के एक किसान ने प्रशासन के निर्देशों का पालन कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मिसाल पेश की. उन्होंने पराली न जलाने का संकल्प लिया और सरकार द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी का लाभ उठाया. इस किसान ने डेढ़ करोड़ रुपए के भूसा संग्रहण उपकरण खरीदे और इसे उपयोग में लाकर अपने खेतों में पराली का प्रबंधन किया.
भविष्य को बचाने का प्रयास
इस किसान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैं दूरदर्शी हूं और पर्यावरण बचाना चाहता हूं. मैंने सब्सिडी लेकर कृषि उपकरण खरीदे, जिसमें सरकार ने 65% की मदद दी. मेरा लक्ष्य है कि पराली जलाने की समस्या को खत्म किया जाए और पंजाब को प्रदूषण मुक्त बनाया जाए.” उन्होंने अन्य किसानों को भी इस दिशा में कदम उठाने की सलाह दी और कहा कि पराली को प्रबंधन के लिए उपयोग में लाकर न केवल पर्यावरण को बचाया जा सकता है, बल्कि खेतों की उर्वरता भी बढ़ाई जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 21:02 IST