बेगूसराय. बिहार के किसान काफ़ी परिश्रमी होते हैं. वैसे तो खेती और पशुपालन दोनों ही प्रकृति पर काफी ज्यादा निर्भर है. किसानों के हाथ में बहुत ज्यादा कंट्रोल नहीं रहता है. खेती में जहां मौसम की मार और तरह-तरह के रोगों से किसान मुश्किल में पड़ जाते हैं, वहीं पशु पालन में जानवरों को स्वस्थ रखना किसानों के लिए बड़ा चैलेंज है. पशु पालन में रोज जानवरों के चारे का इंतजाम करने के साथ ही उनका दूध निकालने तक में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.
इसके साथ ही बदलते मौसम में भी बेहतर देखभाल करने की जरूरत पड़ती है. ठंड में कई बार उचित देखभाल ना हो पाने के चलते पशु बीमार रहने लगते हैं और सही इलाज न मिल पाया तो पशु मर भी जाते हैं. वर्तमान में डायरिया का प्रकोप पशुओं में सामने आने लगा है. पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन कुमार से जानेंगे लक्षण और उपचार का क्या तरीका है.
डायरिया से पशुओं की हो रही मौत
बेगूसराय के किसान पंकज सिंह ने बताया कि गांव में डायरिया की वजह से चार-पांच पशुओं की अब तक मौत हो चुकी है. आस-पास में रोजाना किसी ना किसी पशु की डायरिया की वजह से मौत हो रही है. उन्होंने बताया कि पशुओं के बाल खड़े रहे तो यह समझ लें कि ठंड लग गई है. पशुओं को ठंड लगने से डायरिया तो होता ही है, इसके अलावा पशुओं को ज्यादा दाना और सिर्फ हरा चारा देने से डायरिया रोग का खतरा मंडराने लगता है. सही समय पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो पशु की मौत भी हो सकती है.
डायरिया ऐसे करें रोकथाम
कृषि विभाग केंद्र खोदावंदपुर बेगूसराय के पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन कुमार ने बताया कि पशु में अगर डायरिया रोग दिख रहा है तो अपने नजदीकी पशु चिकित्सक की सलाह ले सकते हैं. इसके अलावा घरेलू उपचार के तौर पर हरा चारा के साथ भूसा का प्रयोग, कम मात्रा में पशुओं को दाना देना चाहिए. इसके अलावा पानी में गुड़ को मिलाकर पशुओं को देना चाहिए. इसके अलावा पीने के लिए गर्म पानी देना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 12:03 IST