Agency:News18 Haryana
Last Updated:February 12, 2025, 17:18 IST
Surajkund Mela Faridabad: फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में इस बार मध्य प्रदेश की पारंपरिक गोंड कला आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. कलाकार प्रदीप मरावी, जो 25 वर्षों से गोंड पेंटिंग बना रहे हैं, पहली बार यहां पहुंचे ह...और पढ़ें
सूरजकुंड मेले में गोंड कला की अनूठी झलक.
हाइलाइट्स
- प्रदीप मरावी पहली बार सूरजकुंड मेले में पहुंचे.
- गोंड पेंटिंग्स में आदिवासी कहानियां और त्योहार दर्शाते हैं.
- 2014 में कालिदास प्रदर्शनी में सम्मानित हुए.
फरीदाबाद. फरीदाबाद के सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में इस बार मध्य प्रदेश की पारंपरिक गोंड कला की झलक देखने को मिल रही है. यह कला सदियों पुरानी है और इसे आदिवासी समाज अपनी कहानियों त्योहारों और प्रकृति से जुड़ी मान्यताओं को दर्शाने के लिए इस्तेमाल करता है. इसी कला को लेकर प्रदीप मरावी पहली बार सूरजकुंड मेले में पहुंचे हैं और अपनी बनाई पेंटिंग्स का स्टॉल लगाया है.
25 साल से बना रहे हैं गोंड पेंटिंग
प्रदीप मरावी मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और पिछले 25 सालों से गोंड आर्ट बना रहे हैं. वे बताते हैंहमारी यह परंपरा बहुत पुरानी है. पहले हमारे पूर्वज दीवारों पर प्राकृतिक रंगों से यह चित्र बनाते थे.अब हम इसे कैनवास, लकड़ी, साड़ी, दुपट्टे और कागज पर भी बनाते हैं. हर पेंटिंग के पीछे एक कहानी होती है. कभी यह आदिवासी त्योहारों से जुड़ी होती है तो कभी प्रकृति के किसी तत्व को दर्शाती है.
प्रदीप मरावी का पूरा परिवार इस कला से जुड़ा है. वे घर पर ही पेंटिंग बनाते हैं और जब भी कोई बड़ा मेला या प्रदर्शनी होती है वहां अपने स्टॉल लगाते हैं. उन्होंने बताया कि गोंड आर्ट बनाने के लिए पहले कहानी का कॉन्सेप्ट सोचना पड़ता है फिर उसे रंगों और डिज़ाइनों के जरिए उकेरा जाता है. पहले ये चित्र प्राकृतिक रंगों से बनाए जाते थे लेकिन अब बाजार से खरीदे गए रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.
2014 में मिला सम्मान
प्रदीप मरावी को 2014 में कालिदास प्रदर्शनी में उनकी पेंटिंग के लिए सम्मानित किया गया था. वे बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ दसवीं तक पढ़ाई की है लेकिन उनकी कला ने उन्हें एक पहचान दिलाई है. वे देशभर में विभिन्न मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेते हैं और अपनी कला को लोगों तक पहुंचाते हैं.
मेले में लोगों को खूब पसंद आ रही गोंड पेंटिंग
सूरजकुंड मेले में प्रदीप मरावी की गोंड पेंटिंग्स लोगों को खूब आकर्षित कर रही हैं. मेले में आए कई लोग इन पेंटिंग्स को खरीद भी रहे हैं और गोंड कला के बारे में जानने में रुचि दिखा रहे हैं. प्रदीप बताते हैं यह पहली बार है जब मैं सूरजकुंड मेले में आया हूं. यहां लोगों को हमारी कला पसंद आ रही है यह देखकर अच्छा लग रहा है.
गोंड पेंटिंग न सिर्फ एक कला है बल्कि आदिवासी समाज की परंपराओं मान्यताओं और उनकी जीवनशैली की झलक भी देती है. प्रदीप मरावी और उनके जैसे कलाकार इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और इसे नए रंग-रूप में पेश कर रहे हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस कला से जुड़ सकें.
Location :
Faridabad,Haryana
First Published :
February 12, 2025, 17:18 IST