एक कहावत है कंगाली में आटा गीला होना. यह कहावत पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार के लिए इस वक्त बिलकुल फिट बैठ रही है. पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान आईएमएफ के लोन के जरिए सांस ले रहा है. अब उसका दम फिर से घुटने वाला है. वजह है इमरान खान की अपील पर पीटीआई समर्थकों का इस्लामाबाद मार्च. पहले ही शहबाज शरीफ आतंकी हमलों को लेकर चीन के दबाव में थे. फिर शिया-सुन्नी की लड़ाई में 50 से अधिक लोगों मारे गए और अब इमरान खान की पीटीआई का इस्लामाबाद कूच का नारा उनकी गले की फांस बन गया है.
पाकिस्तान में रविवार से पीटीआई का प्रदर्शन शुरू हो गया है. अलग-अलग इलाकों से पीटीआई के हजारों समर्थकों ने कूच करना शुरू कर दिया है. इस प्रदर्शन के शुरू होने से पहले ही 48 घंटे के लिए पूरे इस्लामाबाद में अघोषित लॉकडाउन कर दिया है. और शायद पाकिस्तान दुनिया का इकलौता देश है, जिसकी राजधानी इस वक्त कंटेनर लॉक्ड है. पाकिस्तान सरकार ने इस प्रदर्शन को दबाने और इस्लामाबाद तक प्रदर्शनकारियों को ना पहुंचने देने के लिए जितने भी रास्ते हैं, सबको बड़े बड़े शिपिंग कंटेनर रखकर बंद कर दिया है. कुल 35 से ज्यादा ऐसी सड़कें हैं जो बाकी प्रांत से इस्लामाबाद को जोड़ती हैं, जो बंद हैं. जिन शिपिंग कंटेनरों से सड़कें ब्लॉक की गई हैं, ये कोई मुफ्त की नहीं हैं. इसके लिए भी करोड़ों खर्च करने पड़ सकते हैं. अगर ये प्रदर्शन लंबे समय तक चला तो इन कंटेनरों के लिए शहबाज सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. कंटेनर के किराए की बात करें तो यह करोड़ों में है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 25 करोड़ रूपये तो 1600 से ज्यादा का कंटेनरों के किराये के तौर पर पिछले पांच महीने में पाकिस्तानी सरकार को चुकाने पड़े हैं. और एक बार फिर से कंटेनर सड़कों पर हैं. पिछले डेढ़-दो साल में सरकार को प्रदर्शनों को रोकने के लिए 270 करोड़ रुपये ज्यादा का खर्च पड़े हैं.
1900 करोड़ का रोजाना आर्थिक नुकसान
इस प्रदर्शन का कॉल इमरान खान ने जेल से किया. अपने सभी समर्थकों को इस्लामाबाद आने की अपील की. तीन मांगों को माने जाने तक डटे रहने को भी कहा गया है. यह सबको पता है कि इमरान खान की पार्टी की जो मांग है, वह शहबाज सरकार कभी नहीं मानने वाली है. यह बात सबको पता है. एसे में पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने नफा-नुकसान का हिसाब अभी भी लगाना शुरू कर दिया है. पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय की मानें तो इमरान खान की पार्टी के इस प्रदर्शन के चलते हर दिन 190 बिलियन रुपये यानी 19 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान का अनुमान है.
कितने का होगा और नुकसान
अगर यह प्रदर्शन 10 दिन भी टिक गया तो पाकिस्तान की हालत बद से बदतर हो सकती है. कुछ पाकिस्तानी रिपोर्ट में ये भी साफ हुआ है कि अगर एक दिन पूरा पंजाब बंद हो जाए तो 26 अरब रुपये का नुकसान होता है और उस प्रदर्शन से सबसे ज्यादा प्रभावित पाकिस्तान का पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत है. इसके अलावा जलसे में होने वाली तोड़फोड़ या अन्य नुकसान भी करोड़ों में होता है, जो कि किसी ना किसी रूप से सरकार को ही उठाना पड़ता है. पाकिस्तान में चाहे वो किसी की भी सरकार हो प्रदर्शन के जरिए ही प्रेशर ग्रुप दबाव बनाता है. और इससे पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान की माली हालत और खराब हो जाती है.
फिर प्रदर्शन की कीमत चुकाएगी आवाम
पाकिस्तानी में प्रदर्शनों का एक लंबा इतिहास रहा है. चाहे वो तहरीक-ए-लब्बैक का प्रोटेस्ट हो या फिर मौलाना फजल उर रहमानी के जमात उलेमा-ए-इस्लाम का इमरान खान को गद्दी से हटाने के लिए आजादी मार्च. या फिर पीटीआई का इमरान खान को छुड़वाने के लिए मौजूदा प्रदर्शन. कीमत पाकिस्तान की आवाम को ही चुकानी पड़ती है. साल 2022 में इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाया गया. 9 मई 2023 को इमरान खान को गिरफ्तार किया गया और पाकिस्तान में हिंसा शुरू हो गई थी. 29 अगस्त से वो अब भी जेल में ही हैं. और माना जा रहा है कि इस बार भी पाकिस्तान में सड़कों पर हिंसा भड़क सकती है क्योंकि अगर पुलिस से हालात काबू में नहीं आए तो पाकिस्तानी फौज को उतरना पड़ेगा. फौज और इमरान खान के बीच के रिश्ते कैसे हैं, वो जग जाहिर है.
FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 09:57 IST