पार्टनर की बेवफाई से मिल सकती है सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज! इससे कैसे बचें

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Last Updated:January 20, 2025, 14:39 IST

Explainer- पति और पत्नी का रिश्ता बहुत अनमोल होता है. वह हमेशा एक-दूसरे की सेहतमंद रहने की दुआ करते हैं. उनके बीच भले तकरार हो लेकिन प्यार भी होता है. लेकिन इन सबके बीच पार्टनर के करीब आने से कई बार बीमारियां भी मिल सकती...और पढ़ें

पार्टनर की बेवफाई से मिल सकती है सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज! इससे कैसे बचें

सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होने पर थकान महसूस होती है और वजन कम होने लगता है (Image-Canva)

जब भी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज यानी STD की बात होती है तो सबसे पहले खामोशी पसर जाती है. कोई इस पर खुलकर बात नहीं करता लेकिन दिमाग में सबसे पहले एड्स एचआईवी का नाम ही आता है. यह बेहद खतरनाक बीमारी है जो इंसान की जान तक ले सकती है. लेकिन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज में कई बीमारियां आती हैं. यह बीमारियां पार्टनर से ही मिलती हैं. संबंध बनाते हुए सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट के रूप में बॉडी में ट्रांसफर हो सकता है. यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती हैं. 

कई तरह के इंफेक्शन
मायो क्लिनिक के अनुसार सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन 20 तरह के होते हैं. इस तरह के इंफेक्शन अधिकतर पार्टनर से फैलते हैं. अगर किसी व्यक्ति के एक से ज्यादा पार्टनर हों तो ऐसा होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा यह इंफेक्शन खून चढ़ाते हुए या इंजेक्शन की एक ही सूई को कई लोगों पर इस्तेमाल करने से भी हो सकता है. अगर महिला इस इंफेक्शन की चपेट में हो तो इनफर्टिलिटी से जूझ सकती हैं या प्रेग्नेंसी के दौरान, बच्चे को जन्म देने के दौरान या ब्रेस्टफीडिंग करवाते हुए बच्चे में यह ट्रांसफर हो सकता है. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन में क्लैमाइडिया, जेनिटल हर्पीज, एचपीवी, ट्राइकोमोनिएसिस और गोनोरिया जैसी बीमारी आती हैं.

कुछ बीमारियां हैं लाइलाज
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन को दो भागों में बांटा गया है. गोनोरिया, सिफलिस, क्लैमिडिया और ट्राइकोमोनिएसिस जैसी बीमारी समय रहते पहचान में आ जाएं तो इनका इलाज संभव है. क्लैमिडिया एंटीबायोटिक की डोज से ठीक हो सकता है. लेकिन हेपेटाइटिस बी, सी, एचपीवी, एचआईवी और हर्पीज ऐसी बीमारी है जो लाइलाज है. इन्हें ठीक करने की अब तक कोई दवा नहीं बनी है. खून की जांच कर इन बीमारियों का पता लगाया जा सकता है.

सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है (Image-Canva)

सर्वाइकल कैंसर हो सकता है
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रूमा सात्विक कहती हैं कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर देखा जाता जो Human Papillomavirus (HPV) की वजह से होता है. यह वायरस सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन की वजह से शरीर में प्रवेश करता है. सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से में होता है. अगर महिला या उसका पार्टनर एक से ज्यादा लोगों से संबंध बनाए तो यह बीमारी हो सकती है. वहीं अगर यह इंफेक्शन किसी के पार्टनर को हो और महिला की इम्यूनिटी कमजोर हो तो वह एचपीवी की चपेट में आ सकती है. इस कैंसर को रोकने के लिए बच्चों को एचपीवी की वैक्सीन लगाई जाती है. वहीं इस कैंसर का पता पैप स्मीयर टेस्ट से लगाया जा सकता है.  

50% महिलाएं क्लैमिडिया की शिकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में हर दिन 10 लाख लोग सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज की चपेट में आते हैं और लगभग 12 करोड़ क्लैमिडिया से जूझ रहे हैं. लगभग 50%  महिलाएं इस साइलेंट इंफेक्शन से पीड़ित हैं. यह इंफेक्शन धीरे-धीरे पूरे शरीर को नष्ट कर देता है. यह संक्रमण इतना खतरनाक है कि महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचाता है. क्लैमिडिया होने से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी यानी यूट्रस के बाहर गर्भ ठहरने का खतरा रहता है. अगर इंफेक्शन गंभीर है तो फैलोपियन ट्यूब को ही रिमूव करना पड़ जाता है. इस कारण से महिलाएं इनफर्टिलिटी की शिकार हो सकती हैं. 

प्रेग्नेंसी आसान नहीं होती
अगर कोई महिला यौन संबंधी इंफेक्शन से जूझ रही है और वह प्रेग्नेंट हो जाए तो बच्चे की जान को खतरा बना रहता है. यह इंफेक्शन भ्रूण में भी प्रवेश कर सकता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार ऐसी स्थिति में महिला को मिसकैरेज झेलना पड़ सकता है या बच्चे की समय से पहले डिलीवरी हो सकती है. ऐसे बच्चे का वजन बहुत कम हो सकता है, नवजात की इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, उसे निमोनिया या आंखों का इंफेक्शन हो सकता है.

STD के लक्षण को पहचानें
अगर किसी व्यक्ति को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन हो तो उनके यूरिन से बहुत बदबू आती है. प्राइवेट पार्ट में जलन या यूरिन के साथ ब्लड आ सकता है. इस बीमारी में पेट के निचले हिस्से में बहुत दर्द रहता है. वहीं संबंध बनाते हुए भी दर्द सताता है. कई बार प्राइवेट पार्ट में सूजन आ जाती है. बुखार भी हो सकता है. इसके अलावा कई बार हाथ, पैर या पेट पर रैशेज हो सकते हैं. 

हर व्यक्ति को समय-समय पर मेडिकल टेस्ट करवाते रहने चाहिए (Image-Canva)

शादी से पहले कराने चाहिए टेस्ट
अक्सर लोग शादी के लिए लड़की-लड़के की कुंडली मिलाते हैं लेकिन उनकी प्रीमैरिटल स्क्रीनिंग होना भी बेहद जरूरी है ताकि समय से पहले ही इंफेक्शन या जेनेटिक डिसऑर्डर की पहचान हो जाए. हर कपल को कंप्लीट ब्लड काउंट यानी CBC कराना चाहिए. हेपेटाइटिस बी, सी और ए, एचआईवी/एड्स की जांच होनी चाहिए. कुछ जेनेटिक टेस्ट, सीमेन एनालिसिस और ऑव्युलेशन टेस्ट कराने चाहिए ताकि फर्टिलिटी का पता चल सके. इसके अलावा सिफलिस टेस्ट होना चाहिए ताकि पता चल सके कि मां से बच्चे में कोई इंफेक्शन तो नहीं फैला है.

इस बीमारी से ऐसे बचें
अगर कोई व्यक्ति अपने पार्टनर को वाकई में प्यार करता है और उन्हें इस गंभीर बीमारी से दूर रखना चाहते हैं तो हमेशा संबंध बनाते हुए कंडोम या दूसरे कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों का इस्तेमाल करें. इसके अलावा कभी भी एक से ज्यादा व्यक्ति से संबंध ना बनाएं. साथ ही HPV और हैपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगवा लें. 

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Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

January 20, 2025, 14:39 IST

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