सिरके की वैरायटी में यह किसान कर रहा कमाल
सहारनपुर: सहारनपुर के रहने वाले किसान लगातार विभिन्न प्रकार की चीजों का आविष्कार करते रहते हैं. इसी कड़ी में सहारनपुर की विधानसभा बेहट के गांव नुनिहारी के रहने वाले किसान सुरेंद्र कुमार ने इस बार एक ऐसा सिरका तैयार किया है जिसको आप खाने में इस्तेमाल कर पेट की बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं. इसके साथ ही इस सिरके का फसलों पर छिड़काव कर कीटों से बचाव किया जा सकता है. किसान सुरेंद्र कुमार ने बेल का सिरका तैयार किया है
ली है ट्रेनिंग
किसान सुरेंद्र कुमार ने गौ विज्ञान केंद्र नागपुर से ट्रेनिंग की हैं. वे बताते हैं कि उन्होंने कुछ बेल के पेड़ लगा रखे हैं, उन पेड़ों पर आने वाली बेल का इस्तेमाल वे सिरका बनाने में करते हैं. वे हर साल 200 लीटर बेल का सिरका तैयार करते हैं. बेल के सिरके का इस्तेमाल पेट की समस्याओं को दूर करता है, जबकि इसका प्रयोग सुरेंद्र कुमार अपनी फसलों पर भी करते हैं. 750ml की बोतल वे ₹200 में देते हैं. खास बात यह है कि उनका यह सिरका सरकारी स्लॉट में भी खूब बिकता है और दूर-दूर से लोग उनसे सिरका खरीदने घर पर ही आते हैं.
ये है संरक्षण का सही तरीका
किसान सुरेंद्र कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि बेल बड़ा ही कल्याणकारी है. गर्मियों के दिनों में बेल का जूस गर्मी और पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए एक सीजन के बाद बेल नहीं मिल पाती. लोग लंबे समय तक बेल को रखने के लिए उसमें प्रेजरेटिव डालते हैं इसके काफी नुकसान होते हैं.
हालांकि सिरका एक ऐसी चीज है जिससे हम उसके गुणों को कई हजार गुना बढ़कर संरक्षित कर सकते हैं. वे आगे बताते हैं कि लोग हाइब्रिड सब्जियों और फलों की ओर ज्यादा भाग रहे हैं. लेकिन हम प्रयास करते हैं की हाइब्रिड का नहीं बल्कि देसी चीजों का इस्तेमाल करें. इसलिए अपने सिरके में वे देसी बेल का इस्तेमाल करते हैं.
ऐसे तैयार करते हैं बेल का सिरका
पेड़ से पकी हुई बेल तोड़ने के बाद उसमें से गूदा निकाल लेते हैं. गूदा निकालने के बाद उसमें थोड़ा पानी मिलाकर उसको पतला कर लेते हैं. फर्मेंटेशन के लिए उसमें हल्का देसी गुड़ का इस्तेमाल करते हैं. जिसको लगभग 3 महीने से 6 महीने तक बंद कर रख दिया जाता है. यह 6 महीने में पूरे तरीके से तैयार हो जाता है. सुरेंद्र कुमार हर साल 200 लीटर सिरका तैयार करते हैं. डिमांड इसकी इतनी है कि 200 लीटर सिरका भी कम पड़ जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 10:04 IST