Last Updated:January 11, 2025, 22:49 IST
Triveni Sangam Sonbhadra : पांडवों की मां कुंती की प्यास बुझाने वाली धारा से लेकर भगवान राम के वनवास तक, काफी रहस्य समेटे है ये स्थान.
सोनभद्र. गुप्त काशी के नाम से पहचाना जाने वाला सोनभद्र जिला अपनी प्राकृतिक छटा और धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व के कारण यूपी में अलग स्थान रखता है. भगवान ब्रह्मा की तपोस्थली, भगवान राम का वनवास, भगवान शिव का अज्ञातवास, मार्कण्डेय, कण्व और च्यवन जैसे ऋषियों की साधना का केंद्र और अज्ञातवास के दौरान पांडवों की मां कुंती की प्यास बुझाने वाली सोनभद्र की धारा समेत ये जिला काफी कुछ रहस्य समेटे हुए है.
इस जनपद में एक और भी चीज है जिसकी चर्चा भी करना जरूरी है. हम बात कर रहे हैं यहां होने वाले त्रिवेणी संगम पर तीन नदियों के मिलन की. जी हां, प्रयागराज ही नहीं इस जिले में तीन नदियों का मिलन होता है. सोनभद्र जनपद में सोन, रेणुका और विजुल नदी का मिलन जनपद के चोपन क्षेत्र स्थित महल पुर में होता है. यहां से तीनों नदियां आगे बिहार के रास्ते पटना में जाकर गंगा में मिल जाती हैं. इसे लोग आध्यात्म से जोड़कर भी देखते हैं.
मां गंगा जैसी पूजा
यही वजह है कि गुप्त काशी में भी त्रिवेणी संगम के होने की बात कही जाती है. बड़ी बात ये कि इन तीनों नदियों का जल भी कभी नहीं सूखता. इन नदियों के तटीय इलाकों में धार्मिक आयोजन होते रहते हैं. चाहे छठ पूजा हो या मकर संक्रांति पर स्नान, इन नदियों को मां गंगा की तरह ही पूजा जाता है. इनके किनारे गंगा आरती के तर्ज पर भी कार्यक्रम होते हैं.
कई नामों की माला
लोकल 18 से बात करते हुए इन विषयों के जानकार रवि प्रकाश चौबे कहते हैं कि सोन त्रिवेणी संगम का वर्णन रामचरितमानस में तुलसी दास ने भी किया है. आग्नेय पुराण और काशी खंड में भी इसका जिक्र है. सोनभद्र को गुप्त काशी, आदि काशी, अनंत काशी, सोनांचल और ऊर्जाचंल इत्यादि नामों से भी जाना जाता है.