लकड़ी की टोकरियां का चलन बढ़ा
मनमोहन सेजू/ बाड़मेर: मारवाड़ क्षेत्र में हजारों वर्षों से चली आ रही “पडले” की परंपरा अब आधुनिक रूप ले रही है. इस परंपरा में विवाह के दिन बारात के पहुंचने पर वर पक्ष की तरफ से वधु पक्ष को एक विशेष थाली में सोने के आभूषण, वेशभूषा, फल, सिंदूर, चूड़ा, चूड़ियां, चांदी की पायल, चांदी की बिछिया, कड़े और पूरे परिवार के कपड़े भेजे जाते थे. यह सांस्कृतिक परंपरा आज भी जीवित है, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव भी आया है.
हाईटेक टोकरी का बढ़ा चलन
पहले जहां यह सभी चीजें कांसी या पीतल की थाली में भेजी जाती थीं, वहीं अब इनकी जगह तेजी से हाईटेक टोकरी ने ले ली है. आजकल मारवाड़ के विभिन्न समाजों, जैसे राजपूत, राजपुरोहित, चारण, राव, चौधरी, मेघवाल और कई अन्य समुदायों में “पडले” की थाली की जगह आकर्षक और आधुनिक पैकिंग वाली टोकरी पसंद की जा रही है.
स्थानीय दुकानदार का बयान
बाड़मेर जिले के मुख्यालय स्थित वेद राज जी की गली में देव कृष्णा के मालिक किशन बी राजपुरोहित ने बताया कि मारवाड़ में “पडले” की परंपरा में बदलाव आ चुका है. उन्होंने बताया, पहले थाली का उपयोग होता था, लेकिन अब हाईटेक टोकरी का इस्तेमाल बढ़ गया है. यह बदलाव समय के साथ हुआ है और अब यह परंपरा आधुनिक रूप में बदल गई है.
आकर्षक टोकरियां उपलब्ध
किशन बी राजपुरोहित के अनुसार, अब लोग हाईटेक टोकरी का उपयोग करना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि ये आकर्षक और आधुनिक होती हैं. उनकी दुकान पर 50 रुपए से लेकर हजारों रुपये तक की आकर्षक टोकरियां उपलब्ध हैं, जिन्हें थारवासी खास तौर पर पसंद करते हैं. यह बदलाव समय की मांग और लोगों की बदलती पसंद का प्रतीक है. इस तरह, बाड़मेर सहित मारवाड़ क्षेत्र में पारंपरिक “पडले” परंपरा अब आधुनिक तकनीकी युग के साथ कदमताल करते हुए नई दिशा में विकसित हो रही है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 22:20 IST