बांग्लादेश: नारे-ए-तकबीर का उठा नारा और धड़ाधड़ बरसने लगे हिंदुओं पर ईंट-पत्थर

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नई दिल्ली: बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई है. हिंसा के बीच इस्कॉन लीडर चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की गई. इसके बाद बवाल और बढ़ गया. बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगांव में मंगलवार को हुई झड़प में एक वकील की कथित तौर पर हत्या हुई है. कई लोगों का दावा है कि यह हत्या चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद विरोध में हुई है. बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोटे ने एक बयान जारी कर सारी सच्चाई बता दी है.

बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोटे बयान में कहा है कि “वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में कोई सनातनी शामिल नहीं है, एक समूह योजनाबद्ध हत्या को अंजाम देकर सनातनी को दोषी ठहराने की कोशिश कर रहा है.” बयान में आगे कहा गया कि ‘बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोटे के प्रवक्ता को को 26 नवंबर को चटगांव जज कोर्ट में लाया गया. उन्हें झूठे कथित देशद्रोह के मामले में कोर्ट में गिरफ्तार दिखाया गया. कोर्ट ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर दी और उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया.’

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नारे-ए-तकबीर के नारे के साथ सनातनियों पर हमला
बयान में आगे कहा गया कि बाद में, चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की रिहाई की मांग को लेकर आम सनातनी ने कोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. हजारों सनातनी जेल वैन के सामने लेट गए और विरोध प्रदर्शन किया. उस समय पुलिस, सशस्त्र पुलिस और सेना, बीजीबी ने बिना उकसावे के सनातनी पर हमला किया. उन्होंने गोलीबारी और ग्रेनेड फेंकने जैसी घटनाएं भी कीं. उस समय सनातनी इधर-उधर बिखर गए और अपनी जान बचाने के लिए भाग गए. उस समय, कानून लागू करने वाली सेना और कुछ नागरिकों ने नारे-ए-तकबीर के नारे लगाते हुए सनातनियों पर हमला किया और सनातनियों पर ईंट और पत्थर फेंके.

कैसे हुआ वकील पर हमला
बयान में संगठन में आगे कहा, ‘सनातनियों ने हमेशा दूसरे धर्मों के पूजा स्थलों का सम्मान किया है. किसी भी सनातनियों ने मस्जिद पर हमला नहीं किया. बल्कि नारे-ए-तकबीर के नारे लगाने वालों ने मस्जिद की खिड़कियों पर पत्थर फेंके. हम इसकी कड़ी निंदा और विरोध करते हैं. बाद में अफवाह फैलाई गई कि मस्जिद पर हमला हुआ है और अन्य लोग इकट्ठा हो गए. सभी ने सनातनियों पर हमला कर दिया. उस समय, उन्होंने चटगांव के वकील सैफुल इस्लाम अलिफ पर नारे-ए-तकबीर के नारे लगाते हुए हमला किया और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया.’

बयान में आगे कहा गया कि वकील सैफुल की तस्वीर देखने से साफ पता चलता है कि सनातनियों ने ऐसी कोई हत्या नहीं की. बल्कि उन बदमाशों ने वकील सैफुल को मार डाला और इसके बजाय सनातनियों को दोषी ठहराया. हमने देखा है कि कई लोग सोशल मीडिया पर यह फैला रहे हैं कि वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या इस्कॉन के सदस्यों ने की!! जो पूरी तरह से गलत और जानबूझकर किया गया है. क्योंकि सनातनी निहत्थे थे. तो फिर हमें पता लगाना चाहिए कि किसने सुनियोजित तरीके से अलिफ की हत्या की. हम इस हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग करते हैं.

संगठन ने आगे कहा, ‘हमने देखा कि सफेद कपड़े पहने लोग कोर्ट परिसर से बाहर निकले और नारे-ए-तकबीर के नारे लगाते हुए पुलिस के साथ सावक कॉलोनी में आग लगा दी. उन्होंने फिरंगीबाजार रोड पर लोकनाथ मंदिर पर भी हमला किया. इतना ही नहीं, उन्होंने गंगाबाड़ी, पत्थरघाटा समेत कई इलाकों पर हमला किया. अगर कोई लाल धागा पहने सनातनी सड़क पर दिखता है तो उसकी पिटाई की जाती है और सनातनी की दुकान पर हमला किया जाता है. हम चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की तत्काल बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं. हम आज की घटना की न्यायिक जांच समिति के गठन की मांग करते हैं. अगर संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और अन्य मानवाधिकार संगठनों के साथ मिलकर जांच की जाए तो असली तथ्य सामने आ जाएंगे.’

‘देश की स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है संगठन’
संगठन ने अपी मांग हमारा 8 सूत्री आंदोलन जारी रहेगा. झूठे मुकदमे दर्ज करके और उत्पीड़न करके सनातनी को दबाया नहीं जा सकता. चिन्मय प्रभु ने कहा है कि भले ही वे जेल में हों, लेकिन यह आंदोलन रुकना नहीं चाहिए. इसलिए सभी को अपने-अपने पदों से तैयार रहना चाहिए. हम शांतिपूर्ण कार्यक्रमों में विश्वास करते हैं और देश की स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Tags: Bangladesh news, World news

FIRST PUBLISHED :

November 27, 2024, 12:15 IST

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