बेटियां के इस स्कूल के बाथरूम में दरवाजे नहीं हैं, अधिकारी भी रह गए सन्न!

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Agency:Local18

Last Updated:February 05, 2025, 22:27 IST

Koppl News: कोप्पल के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में बाथरूम में दरवाजे नहीं हैं, मच्छरों से परेशान लड़कियां, खराब पानी की व्यवस्था, मुख्य शिक्षिका निलंबित पर आदेश लागू नहीं. सरकारी सुविधाओं का अभाव.

बेटियां के इस स्कूल के बाथरूम में दरवाजे नहीं हैं, अधिकारी भी रह गए सन्न!

हाइलाइट्स

  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में बाथरूम में दरवाजे नहीं हैं.
  • लड़कियां मच्छरों और खराब पानी से परेशान हैं.
  • मुख्य शिक्षिका निलंबित, पर आदेश लागू नहीं हुआ.

कोप्पल: कर्नाटक के कोप्पल जिले में एक बालिका विद्यालय है, जिसे सुनकर गर्व होना चाहिए, लेकिन जब अंदर झांकते हैं, तो हालात देखकर गुस्सा भी आता है और अफसोस भी. यहां लड़कियां पढ़ने तो आती हैं, लेकिन उनके लिए शौचालय और स्नानघर (bathroom) तक में दरवाजे नहीं हैं. सोचिए, एक ऐसा हॉस्टल जहां रहने वाली 120 लड़कियां हों, लेकिन बाथरूम में प्राइवेसी तक न मिले? शिकायतें जब हद से गुजर गईं, तो आखिरकार जिम्मेदार अधिकारियों ने दौरा किया और फिर सच्चाई सामने आ गई.

बाथरूम में दरवाजे नहीं, मच्छरों से परेशान बेटियां
बता दें कि 16 जनवरी को समग्र शिक्षा विभाग (Department of Composite Education) के सहायक समन्वयक एच. अंजनप्पा ने कोप्पल तालुक के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का निरीक्षण किया और भाई, जो देखा, वो किसी भी माता-पिता को चिंता में डाल सकता है.

हॉस्टल के बाथरूम और शौचालयों में दरवाजे ही नहीं थे
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, खिड़कियों पर जाली तक नहीं, जिससे मच्छर काट-काटकर बच्चों को परेशान कर रहे थे. पानी की व्यवस्था बिल्कुल खराब—बच्चियों को बिना शुद्ध किए हुए ट्यूबवेल का पानी पीना पड़ रहा था, और खाना भी उसी से बनता था. अब बताइए, जब पीने का पानी तक साफ न हो, तो पढ़ाई-लिखाई कैसे होगी?

सस्पेंशन की तलवार—लेकिन कार्रवाई कब?
इस लापरवाही के लिए स्कूल की मुख्य शिक्षिका कस्तूरी बडिगेर को जिम्मेदार ठहराया गया. रिपोर्ट के आधार पर जन शिक्षा उप निदेशक (DDPI) श्रीशैल बिरादर ने 20 जनवरी को शिक्षिका के निलंबन का आदेश भी दे दिया. लेकिन… ये आदेश सिर्फ कागजों पर है! अब तक इसे लागू नहीं किया गया.

बेटियों को उनका हक कब मिलेगा?
यह विद्यालय केंद्र सरकार द्वारा संचालित है और सरकारी अनुदानों पर चलता है, लेकिन समस्या सिर्फ यह नहीं है कि सुविधाएं नदारद हैं—यहां बच्चों को जो कुछ भी मिलना चाहिए, वह भी पूरी तरह नहीं मिल रहा.

नारियल तेल, नोटबुक और ट्रैकसूट जो सरकार ने मुफ्त में भेजे थे, वो अभी तक पूरी तरह बांटे ही नहीं गए. सरकारी फंड का सही इस्तेमाल नहीं किया गया और कई दस्तावेज़ भी संदेह के घेरे में हैं.

First Published :

February 05, 2025, 22:27 IST

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