बेडरूम से लेकर किचन तक... हर जगह दफ्न है लाश, ये है UP की मौत वाली बस्ती!

1 hour ago 1

X

इटावा

इटावा : आंगन से लेकर चूल्हे तक घर घर में दफन हैं अपनों के शव, एक सैकड़ा से अधिक

इटावा: अरे ये क्या! चारों तरफ कब्र ही कब्र. सुनने में अजीब लगेगा लेकिन ऐसा सच में है. इटावा जिले के चकरनगर की नई बस्ती में सालों से इंसान अपने घरों में ही परिजनों के शवों को दफनाते आ रहे हैं. यह परंपरा अब भी जारी है. इस बस्ती के हर घर में कब्र बनी हुई है. यह बस्ती इंसानों के रहने के लिए बनाई गई है, लेकिन हालात कब्रिस्तान जैसे हैं.

क्यों हैं इस बस्ती में कब्र ही कब्र?
इटावा जिले के मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित चकरनगर की नई बस्ती में कब्रों के बीच रहना आम बात है. यहां के लोगों का कहना है कि इस बस्ती में हर घर में कोई न कोई कब्र मौजूद है. बेडरूम में चाचा-चाची की कब्र तो आंगन में दादा-दादी की.  यहां के लोग अपने परिजनों को घर के अंदर ही दफनाते हैं और कब्र बनाने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि गांव में कब्रिस्तान की कमी है.

मजबूरी में घरों में दफनाए जाते हैं शव
गांव वालों का कहना है कि यहां कब्रिस्तान की व्यवस्था नहीं होने की वजह से वो अपने परिजनों को घर के अंदर ही दफनाते हैं. समाजवादी सरकार के दौरान कब्रिस्तान का मुद्दा उठाया गया था, जिसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी पी. गुरु प्रसाद ने नई बस्ती से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर कब्रिस्तान के लिए जगह तय कर दी थी. लेकिन इतनी दूरी पर दफनाने के लिए लोग तैयार नहीं हुए.

बच्चों पर कब्रों का असर
तकिया गांव के मुख्तियार बताते हैं कि उनकी मां की कब्र उनके सोने के कमरे के पास है और बच्चे अक्सर रात में जग जाते हैं. इमाम मौलाना कमालुद्दीन असरफी के अनुसार, इस्लाम धर्म में कब्रों को एक जिंदा इंसान की तरह माना जाता है. हदीस में नबी ने कहा है कि कब्रों को तकलीफ नहीं दी जा सकती और उन्हें वही इज्जत मिलनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें: इस गांव में गली-गली घूमते हैं भूत! करते हैं घरों की रक्षा, लोगों को नहीं लगता डर

कुछ घरों में पांच से सात कब्रें
1970 के दशक में शुरू हुई इस परंपरा के तहत यहां कई घरों में पांच से सात कब्रें मिल सकती हैं, जो आंगन से लेकर चूल्हे तक फैली हुई हैं. लोगों के पास ढंग की छत नहीं है.

अब हो रही है कब्रिस्तान में दफनाने की शुरुआत
तीन साल पहले पंचायत स्तर पर कब्रिस्तान के लिए जमीन तय कर दी गई थी, जिसके बाद से लोग अब कब्रिस्तान की जमीन पर अपने परिजनों को दफनाने लगे हैं. हालांकि, यह प्रक्रिया अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाई है और कई लोग अब भी अपने घरों में परिजनों को दफनाने के लिए मजबूर हैं.

Tags: Etawah news, Local18

FIRST PUBLISHED :

October 2, 2024, 12:00 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article