Last Updated:January 19, 2025, 17:17 IST
Bhilwara News: मायरा लेकर सैकड़ों की संख्या में रिश्तेदार व ग्रामीणो के साथ बैलगाड़ियों पर सवार होकर पहुंचे. इस दौरान बैलगाड़ियों को खींचने वाले बैलों का साज श्रृंगार किया गया. बैलों के गले में घुंघरू बांधे गए व परिजन व रिश्तेदार गाजे बाजे के साथ...और पढ़ें
बैलगाड़ी के काफिले के साथ मायरे वाले परिवार
साल 2025 के शादियों के सीजन की शुरुआत हो गई है. शादियों के सीजन में अलग-अलग परंपराएं और देखें जाता है. जिन्हें शहर और ग्रामीण परिवेश के रहने वाले लोग बखूबी अच्छे से निभाते हैं. ऐसे ही एक अनोखी परंपरा भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में देखने को मिला है. जहां भाई अपनी बहन का मायरा भरने के लिए 20 से 25 बैलगाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचा.
भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ उपखण्ड क्षेत्र के खटवाड़ा ग्राम से पुरानी पद्दति से बेंड बाजों व मसक-ढोल नगाड़ों का वादन करते हुए दर्जनों बैलगाड़ियो पर सवार होकर पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए भंवरलाल तेली, नंदलाल तेली निवासी खटवाड़ा से दोनों भाइयों ने अपनी बहनों के यहां जोजवा ग्राम के कैलाश पुत्र जगदीश तेली किसान ग्रुप बोरवेल्स वालो के यहा पर मायरा भरने गए.
बैलगाड़ियों के काफिले के साथ पहुँचे भाई
खटवाड़ा गांव से भाई भंवरलाल तेली, नंदलाल तेली व उनके परिजन एवं रिश्तेदारों के साथ दर्जनों बैलगाड़ियों पर सवार होकर बहन के घर जोजवा गांव में मायरा भरने पहुंचे. लग्जरी कारों की जगह सजी-धजी बेलगाड़ियों में मायरा भरने जा रहे भाइयों की तस्वीर राहगीरों ने जगह-जगह मोबाइल कैमरे में कैद की हैं. राहगीरों ने बैलगाड़ियों के साथ सेल्फी भी ली. बैलों के गले में बंधे घुंघरू, गाजे बाजे और बैलगाड़ियों के पहियों की आवाज सुनकर लोगों ने कहा कि समाज में अपनी पुरानी संस्कृति से ही सामाजिक संस्कृति जीवित है. इस दौरान सभी लोगों ने राजस्थानी साफा बांधा हुआ था.
कुमकुम का टीका लगाकर स्वागत
गांव की गलियों से गुजर रहे बैलगाड़ी को देख कर लोगों की पुरानी ताजा हो गई. खटवाड़ा गांव से मायरा लेकर बहन के ससुराल जोजवा गांव में पहुंचने पर बहन के ससुराल वालों ने कुमकुम का टीका लगाकर स्वागत किया है. वहीं जोजवा वासियो ने पुष्पवर्षा कर मायरा भरने आए लोगो का जोरदार स्वागत-सम्मान किया.
दुल्हन की तरह सजी बैलगाड़ी –
मायरा लेकर सैकड़ों की संख्या में रिश्तेदार व ग्रामीणो के साथ बैलगाड़ियों पर सवार होकर पहुंचे. इस दौरान बैलगाड़ियों को खींचने वाले बैलों का साज श्रृंगार किया गया. बैलों के गले में घुंघरू बांधे गए व परिजन व रिश्तेदार गाजे बाजे के साथ नाचते गाते बहन के घर मायरा भरने के लिए रवाना हुए। भाई अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए परम्परागत बैलगाड़ियों में मायरा लेकर गए.
Location :
Bhiwani,Haryana
First Published :
January 19, 2025, 17:17 IST