Last Updated:January 12, 2025, 12:09 IST
Maharashtra Politics and Devendra fadnavis: महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति में देवेंद्र फडणवीस सबसे बड़े नेता हैं. उन्होंने अपने दम पर भाजपा को अब तक की सबसे बड़ी जीत दिलाई है. ऐसे में अब वह भविष्य की तैयारी में भी जुट गए हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद देवेंद्र फडणवीस की भाजपा पूरे फॉर्म में है. इस वक्त पार्टी से लेकर सरकार तक में फडणवीस का एकछत्र प्रभाव है. ऐसे में उन्होंने भविष्य में पार्टी को और मजबूत करने का बेड़ा भी अपने ऊपर उठाया है. उन्होंने राजनीतिक रूप से बेहद जटिल राज्य महाराष्ट्र में सभी वर्गों और समूहों को साधने का एक अकाट्य फॉर्मूला बनाया है. इस फॉर्मूले से न केवल विरोधी कांग्रेस पार्टी बल्कि भाजपा की सहयोगी पार्टियां भी चित हो गई हैं.
देवेंद्र फडणवीस की भाजपा ने राज्य में कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति की है. शनिवार को शिरडी में भाजपा के सम्मेलन की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रवींद्र चव्हाण को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की. ऐसे में स्पष्ट हो गया है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों तक चंद्रशेखर बावनकुले अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे. कहा जा रहा था कि रवींद्र चव्हाण बीजेपी के अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे. ऐसी उम्मीद थी कि शिरडी सम्मेलन में उनके नाम की आधिकारिक घोषणा की जाएगी. लेकिन फिलहाल उन्हें बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है. कहा जा रहा है कि मार्च में बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा.
रवींद्र चव्हाण को पार्टी संगठन में पद
बीजेपी पार्टी संगठन में पहले कार्यकारी अध्यक्ष का पद मौजूद नहीं था. रवींद्र चव्हाण को पहले संगठनात्मक निर्माण का काम दिया गया था और उन्हें संगठन का प्रभारी बनाया गया था. इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष की नई जिम्मेदारी दी गई है. बताया गया है कि आने वाले समय में स्थानीय निकाय चुनाव होने तक चंद्रशेखर बावनकुले प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे.
कौन हैं रवींद्र चव्हाण?
रवीन्द्र चव्हाण को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के पसंदीदा के रूप में जाना जाता है. चव्हाण मूल रूप से कोंकण के रहने वाले हैं लेकिन वह डोंबिवली निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं. वह एक बड़े मराठा चेहरा हैं. वह शुरू से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं. वह पूर्व में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. जब उनके देवेंद्र फडणवीस की नई सरकार में शामिल नहीं किया गया तब ही कयास लगाए जाने लगे कि उनको संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है. डोंबिवली से विधायक चव्हाण 54 साल के हैं. वह 2009 से ही डोंबिवली से चुनाव जीत रहे हैं.
राजनीतिक मायने
चव्हाण की नियुक्ति को राज्य के प्रभावी मराठा समुदाय को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में मराठा आरक्षण के मसले पर यह समुदाय भाजपा खासकर देवेंद्र फडणवीस से दूर हो गया था. लेकिन संघ की कोशिश से विधानसभा चुनाव में इसने भाजपा का साथ दिया. महायुति में एकनाथ शिंद भी मराठा समुदाय से आते हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव में मराठा समुदाय से मिले समर्थन के बदले भाजपा उनको उचित महत्व देने की रणनीति पर चल रही है. चव्हाण की इस नियुक्ति से भाजपा ने राज्य के तीनों प्रभावी वर्गों ब्राह्मण, ओबीसी और मराठा का साधने की रणनीति बनाई है. देवेंद्र फडणवीस खुद ब्राह्मण हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ओबीसी से आते हैं. अब चव्हाण को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने मराठा समुदाय को भी यह संदेश देने की कोशिश की है वह उनको भी खास महत्व देती है.