भगवान राम नहीं मार सकते थे मेघनाद को, फिर किसने किया उसका वध 

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Last Updated:January 22, 2025, 16:59 IST

Laxman Sacrificing 14 years of Sleep: लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक बिना सोए राम और सीता की रक्षा की, जिससे वे मेघनाद का वध कर सके. मेघनाद को अमर बनाने की रावण की योजना शनिदेव ने विफल की थी.

भगवान राम नहीं मार सकते थे मेघनाद को, फिर किसने किया उसका वध 

केवल लक्ष्मण ऐसे व्यक्ति थे जो मेघनाद का संहार कर सकते थे.

हाइलाइट्स

  • लक्ष्मण ने 14 सालों तक बिना सोए राम और सीता की रक्षा की
  • मेघनाद का वध लक्ष्मण ने किया, भगवान राम नहीं कर सकते थे
  • शनिदेव ने मेघनाद को अमर बनाने की रावण की योजना विफल की

Laxman Sacrificing 14 years of Sleep: जब भगवान राम और उनकी पत्नी सीता 14 साल के लिए वनवास पर गए तो उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी साथ में थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि लक्ष्मण रात भर जागते रहते थे ताकि उनके भाई और भाभी को कोई दिक्कत न हो. वह पूरे वनवास के दौरान एक दिन भी नहीं सोए. वह राम और सीता की रखवाली के लिए लगातार जागते रहे. इसी कारण उन्हें ‘गुडा केश’ भी कहा जाता था. गुडा केश का मतलब होता है, जो निद्रा का स्वामी हो. अपनी इसी खासियत की वजह से लक्ष्मण लंका युद्व में रावण के बड़े पुत्र और अति बलशाली मेघनाद का वध करने में सफल रहे थे. लक्ष्मण ने अपने बाण से मेघनाद का सिर धड़ से अलग कर दिया था.

मेघनाद को अजर-अमर बनाना चाहता था रावण
माना जाता है कि लंकापति रावण बहुत बड़ा विद्वान था. रावण अपने से भी कहीं ज्यादा गुणवान, पराक्रमी और विद्वान अपने बड़े पुत्र मेघनाद को बनाना चाहता था. सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते मेघनाद लंका का युवराज भी था. धर्म ग्रंथों के अनुसार अपने पुत्र को सबसे ज्यादा शक्तिशाली और अजर अमर बनाने की कामना को लेकर त्रिलोक विजेता रावण ने उसके जन्म के समय सभी देवताओं को एक ही स्थान अर्थात ग्यारहवें घर में मौजूद रहने के लिए कहा था. लेकिन भगवान शनिदेव ने रावण की आज्ञा का पालन नहीं किया और 12वें घर में जाकर बैठ गए. जिससे मेघनाद अजर अमर न हो सके. 

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कैसे पड़ा मेघनाद और इंद्रजीत नाम
रावण ने अपने ज्येष्ठ पुत्र का नाम मेघनाद क्यों रखा इसके पीछे भी एक कहानी है. मंदोदरी ने जब पुत्र को जन्म दिया तो तब उसके रोने की आवाज किसी सामान्य बच्चे की तरह नहीं बल्कि बादलों की गड़गड़ाहट की तरह सुनाई दी. इस वजह से उनका नाम मेघनाद रखा गया. पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने स्वर्ग पर अपना कब्जा जमाने के लिए देवताओं पर आक्रमण कर दिया. इस युद्व में मेघनाद ने भी भाग लिया था. युद्व के दौरान जब इंद्र ने रावण पर आक्रमण करना चाहा तो अपने पिता को बचाने के लिए मेघनाद आगे आ गए. मेघनाद ने इंद्र और उनके वाहन एरावत पर पलटवार करते हुए इंद्र सहित सभी देवताओं को परास्त कर दिया. जिसके बाद उन्हें इंद्रजीत के नाम से भी पुकारा जाने लगा.

ब्रह्मा ने क्या दिया वरदान
युद्व जीतने के बाद मेघनाद जब स्वर्ग से निकलने लगे तो उन्होंने इंद्र को अपने साथ ले लिया. मेघनाद इंद्र को लंका ले आए. ब्रह्मा जी ने मेघनाथ से आग्रह किया कि वो इंद्र को मुक्त कर दें. तो मेघनाद ने ब्रह्मा जी का आग्रह ठुकरा दिया. फिर ब्रह्मा जी ने इंद्र को छोड़ देने के बदले एक वरदान मांगने का वचन दिया. मेघनाद ने उनसे अमर होने का वरदान मांगा. ब्रह्मा जी ने मेघनाद को समझाने का प्रयास किया कि यह तो किसी जीव के लिए संभव नहीं है, तुम कोई दूसरा वरदान मांग लो. लेकिन मेघनाद अपनी बात से डिगने को तैयार नहीं हुए.

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फिर क्या मिला आशीर्वाद
उनके न मानने पर ब्रह्मा जी ने मेघनाद को वरदान दिया कि अगर वो अपनी कुल देवी निकुंभला देवी का यज्ञ करें और जब यज्ञ पूर्ण हो जाएगा तो उन्हें एक रथ प्राप्त होगा. इस रथ पर बैठकर लड़ने से न तो वह पराजित होगा और न ही उसकी मृत्यु होगी. ब्रह्मा जी ने इंद्र को यह आशीर्वाद भी दिया कि धरती पर केवल एक व्यक्ति ही उसका वध कर सकता है जो 14 सालों से सोया न हो. लक्ष्मण ही ऐसे थे जो मेघनाद का वध कर सकते थे, क्योंकि वनवास के दौरान वह 14 वर्षों तक सोए नहीं थे. यही वजह है कि राम-रावण युद्व के दौरान लक्ष्मण के हाथों मेघनाद का अंत हुआ.

मेघनाद की भुजा ने किया लक्ष्मण का गुणगान
युद्व में लक्ष्मण ने अपने घातक बाण से मेघनाद का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया था और उसे भगवान राम के चरणों में रख दिया. राम मेघनाद की पत्नी सुलोचना को यह संदेश भेजना चाहते थे कि उसका पति युद्व में मारा जा चुका है. इसके लिए राम ने मेघनाद की एक भुजा काटकर सुलोचना के पास भेजी. सुलोचना को अपने पति की मौत पर भरोसा नहीं हुआ. तब सुलोचना के कहने पर मेघनाद की कटी हुई भुजा ने लिखकर उसे भरोसा दिलाया. भुजा ने लिखकर लक्ष्मण का गुणगान किया. पति की मौत के बारे में जानकर सुलोचना शोक में डूब गईं. उन्होंने कहा कि वो सती होना चाहती हैं. इसके बाद मंदोदरी के कहने पर सुलोचना श्रीराम के पास पहुंची. उन्होंने श्रीराम से कहा कि आप मुझे मेरे पति का सिर लौटा दीजिए ताकि मैं सती हो सकूं. सुलोचना की दशा देखकर श्रीराम द्रवित हो गए. उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे पति को जीवित कर देता हूं, लेकिन सुलोचना ने मना कर दिया. 

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जब जोर जोर से हंसने लगा सिर
इस बीच सुग्रीव को आशंका हुई कि मेघनाद कि कटी हुई भुजा ने लक्ष्मण का गुणगान कैसे किया. सुलोचना ने कहा कि क्या वह यह बात तब मानेंगे जब ये कटा शीश हंसेगा. सुलोचना ने कटे हुए शीश से कहा कि हे स्वामी, हंस दीजिए. इतना कहते ही मेघनाद का कटा हुआ सिर जोर जोर से हंसने लगा. इसके बाद ही सुलोचना सती हो गईं.

क्यों राम नहीं मार सकते थे मेघनाद को
एक बार ऋषि अगस्त्य ने कहा था कि मेघनाद को खुद भगवान श्रीराम भी नहीं मार सकते थे. उन्हें तो केवल लक्ष्मण ही मार सकते थे. कथाओं के अनुसार एक बार ऋषि अगस्त्य अयोध्या आए तो लंका युद्व पर चर्चा होने लगी. श्रीराम ने उन्हें बताया कि किस तरह से उन्होंने रावण और कुंभकर्ण जैसे महारथियों का वध किया था. अनुज लक्ष्मण ने भी मेघनाद और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों का वध किया था. ऋषि अगस्त्य ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि रावण और कुंभकर्ण अति शक्तिशाली थे, लेकिन सबसे बड़ा वीर मेघनाद ही था. लक्ष्मण ने उसका वध किया. केवल वही ऐसे व्यक्ति थे जो उसका संहार कर सकते थे.

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ये दो खास काम भी किए लक्ष्मण ने
ऋषि अगस्त्य से लक्ष्मण की प्रशंसा सुनकर राम प्रसन्न तो बहुत हुए, लेकिन उन्हें आश्चर्य भी हुआ कि ऐसी क्या बात थी कि मेघनाद को केवल लक्ष्मण ही मार सकते थे. राम ने ऋषि अगस्त्य से अपनी जिज्ञासा प्रकट की. तब ऋषि अगस्त्य ने बताया कि मेघनाद को वरदान मिला था कि उसका वध वही कर सकता है जो 14 वर्षों से सोया ना हो, 14 वर्षों तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो और जिसने 14 वर्षों तक भोजन न किया हो. श्रीराम ने कहा, ऐसा कैसे संभव है कि लक्ष्मण ने सीता का मुख न देखा हो, जबकि मैं और सीता बगल की कुटिया में रहते थे. 14 वर्षों तक सोए न हो यह भी कैसे संभव है. फिर 14 वर्षों तक मैं नियमित रूप से लक्ष्मण को भोजन के लिए फल-फूल देता था.

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राम के सवाल पर क्या बोले लक्ष्मण
ऋषि अगस्त्य ने कहा कि क्यों न लक्ष्मण से ही यह पूछ लिया जाए. लक्ष्मण ने बताया कि मैंने कभी सीता जी के चरणों के ऊपर देखा ही नहीं, इसीलिए मैं उनके आभूषणों को पहचान नहीं सका था. लक्ष्मण ने कहा कि जब आप फल-फूल देते थे तो कहते थे कि लक्ष्मण फल रख लो, आपने कभी खाने को कहा ही नहीं. फिर आपकी आज्ञा के बिना मैं कैसे खाता. 14 वर्षों तक नहीं सोने के बारे में लक्ष्मण ने कहा कि आप और सीता माता एक कुटिया में सोते थे. मैं बाहर धनुष पर बाण चढ़ाए आपकी रक्षा के लिए खड़ा रहता था.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

January 22, 2025, 16:59 IST

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